खूबरूयों से यारियाँ ना गयीं


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फनकार और मौसीकार
गुलाम अली

राग मालकौंस


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स्वर : पं. उपेंद्र भट
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Malkaush (also spelled Malkauns) is a raga in Indian classical music. It is one of the most ancient ragas of Indian classical music. The equivalent raga in Carnatic music is called Hindolam, not to be confused with the Hindustani Hindol.

The name Malkaush is derived by the combination of Mal and Kaushik, which means he who wears serpents like garlands—the god Shiva. However, the Malav-Kaushik mentioned in classical texts does not appear to be the same as the Malkauns performed today. The raga is believed to have been created by goddess Parvati (the wife of Shiva) to calm Shiva, when the lord Shiva was outraged and was not calming down after Tandav in rage of Sati's sacrifice.
~
Thaat
Bhairavi

Jaati
Audav - Audav

Vadi Swar
म (मध्यम )

Samvadi Swar
सा (षडाज)

Time
Third half of the night

Aaroh
नि॒॰ सा, ग॒ म, ध॒ नि॒ सां ।

Avroh
सां नि॒ ध॒ म ग॒ म ग॒ सा ।

Pakad
म, ग॒, म ध॒ नि॒ ध॒ , म, ग॒ , सा

महफ़िल में बार बार किसी पर नज़र गई


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तेरी बात ही सुनाने आये, दोस्त भी दिल ही दुखाने आये
फूल खिलते हैं तो हम सोचते हैं तेरे आने का ज़माने आये
शायद मुझे निकाल के पछता रहे हो आप
महफ़िल में इस ख़याल से फिल आ गया हूँ मैं

महफ़िल में बार बार किसी पर नज़र गई
हमने बचाई लाख मगर फिर उधर गई

उनकी नज़र में कोई तो जादू ज़ुरूर है
जिस पर पड़ी, उसी के जिगर तक उतर गई

उस बेवफा की आँख से आंसू झलक पड़े
हसरत भारी निगाह बड़ा काम कर गई

उनके जमाल-इ-रुख पे उन्ही का जमाल था
वोह चल दिए तो रौनक-इ-शाम-ओ-सहर गई

उनको खबर करो के है बिस्मिल करीब-इ-मर्ग
वोह आयेंगे ज़ुरूर जो उन तक खबर गई
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शायर : आगा बिसमिल
मौसीकार और फनकार : गुलाम अली

राग मारू बिहाग : एक आवासीय बैठक : पंडित गणपती भट


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::राग::
::स्वर::
::आवासीय बैठक::

आरती कीजिये हनुमान की

 
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"आरती की जिये हनुमान"

सोचा था मैंने तो ऐ जान मेरी


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सोचा था मैंने तो ऐ जान मेरी
मोतियों से भर दूँगा माँग तेरी
पर कुछ ना तुझे दे सका
एक मजबूर दिल के सिवा हूँ
तड़पे दिल पलकों के पीछे कितने महल ख़ाबों के लिये \-२
खुलते कभी तो महलों के दर जलते कभी अरमाँ के दिये
तू हँसती एक गुल की तरह
मैं गाता बुलबुल की तरह हूँ

सोचा था मैंने तो ऐ जान मेरी
मोतियों से भर दूँगा माँग तेरी
कब चाहा पर्बत बन जाना देता है जो सदियों का पता \-२
चाहूँ बस एक पल का तराना बन के किसी गुँचे की सदा
खिल जाता एक पल ही सही
धूल का फिर आँचल ही सही हूँ

सोचा था मैंने तो ऐ जान मेरी
मोतियों से भर दूँगा माँग तेरी
फिर भी इस जलते सीने में अब तो यही अरमान पले \-२
चाँदी के सोने के ख़ज़ाने रख दूँ तेरे क़दमों के तले
उठता है तूफ़ान उठे
लुटती है तो जान लुटे हूँ
:आशा भोसले:  
जान-ए-मन तू अकेला नहीं
मैं तेरे साथ हूँ और सिर्फ़ तेरे साथ
:
दो:
हूँ
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चित्रपाट : चाँदी सोना
गीतकार : मजरूह सुल्तान पूरी
संगीतकार : राहुल देव बर्मन
स्वर : किशोर कुमार और आशा भोसले

मन वीणा के तार मोले

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मैं सुंदर हूँ

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ईर बीर फत्ते


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जब तेरे नैन मुस्कुराते हैं


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जब तेरे नैन मुस्कुराते हैं
ज़ीस्त के रंज भूल जाते हैं

क्यूँ शिकन डालते हो माथे पर
भूल कर आ गए हम जाते हैं

कश्तियाँ यूँ भी डूब जाती हैं
नाख़ुदा किसलिये डराते हैं

इक हसीं आँख के इशारे पर
क़ाफ़िले राह भूल जाते हैं

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फनकार और मौसिकार : मेहन्दी हसन

बिन बारिष बरसात ना होगी


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बिन बारिष बरसात ना होगी
रात गयी तो रात ना होगी

राज़-इ-मोहब्बत तुम मत पूछो
मुझसे तो ये बात ना होगी

किस से दिल बहलाओगे तुम
जिस दम मेरी ज़ात ना होगी

अश्क भी अब ना पैद हुए हैं
शायम अब बरसात ना होगी

यूं देखेंगे आरिफ उसको
बीच में अपनी ज़ात ना होगी
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शायर : खालिद महमूद आरिफ़
मौसीकार/फनकार : गुलाम अली

राग आनंद भैसव


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सवाई गंधर्व, पुणे

दिल में एक ल़हेर सी उठी हैं अभी


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दिल में एक ल़हेर सी उठी हैं अभी
कोई ताज़ा हवा चली हैं अभी

शोर बरपा है खाना ए दिल में
कोई दीवार सी गिरी हैं अभी

कुच्छ तो नाज़ुक मिज़ाज हैं हम भी
और ये चोठ भी नयी हैं अभी

भारी दुनियाँ में जी नहीं लगता
जाने किस चीज़ की कमी हैं अभी

तू शरीक-ए-सुख्हन नहीं हैं तो क्या
हम सुख्हन तेरी खामोशी हैं अभी

याद के बेनिशान जज़ीरों से
तेरी आवाज़ आ रही हैं अभी

शहेर के बेचराग़ गलियों में
ज़िंदगी तुझ को ढ्नडती हैं अभी

सो गये लोग उस हवेली के
एक खिडकी मगर खुली है अभी

तुम तो यारो अभी से उठ बैठे
शहर मैं रात जागती है अभी

वक़्त अच्छा भीइ आएगा 'नसीर'
गम ना कर ज़िंदगीइ पा.डी है अभी
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शायर : नसीर काज़मी
फनकार/मौसीकार : गुलाम अली

तुका आकाशाएवढा


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अणुरेणिया थोकडा |
तुका आकाशाएवढा ||१||

गिळुन सांडिले कलेवर |
भव भ्रमाचा आकार ||२||

सांडिली त्रिपुटी |
दीप उजळला घाटी ||३||

तुका म्हणे आता |
उरलो उपकारापुरता ||४||

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रचना : संत तुकाराम
संगीत : राम फाटक
स्वर : पंडित भीमसेन जोशी
राग : मालकौंस

धुवा बनाके फ़िज़ाओ में


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धुवा बनाके फ़िज़ाओ में उड़ा दिया मुझको
मैं जल रहा था किसी ने ब्झहा दिया मुझको

खड़ा हून आज भी रोटी के चार हरफ़ लिए
सवाल ये है किताबों ने क्या दिया मुझको

सफेद संग की चादर लपेट कर मुझपर
फसीने शहर से किसी ने सज़ा दिया मुझको

मैं एक ज़ररा बुलंदी को छूने निकला था
हवा ने थम के ज़मीन पर गिरा दिया मुझको
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मौसीकार : जगजीत सिंग
फनकार : लता मंगेशकर


मैने गांधी को नहीं मारा (२००५)


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मैने गांधी को नहीं मारा (२००५)
निर्देशक : जाहनु बरूवा
गीतकार/लेखक : जाहनु बरूवा
संगीतकार : बप्पी लेह्री

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Widowed Uttam Chaudhary lives a comfortable lifestyle with his college-going son, Karan, a daughter, Trisha, who is in love with a South-Indian youth named Ashish Reddy, and an elder son who is married and works in the United States, through whose income the Chaudharys live on. Uttam is a Lecturer, but when he starts getting old, becoming forgetful, he is asked to retire. He is very close to Trisha, who looks after him. The first major episode Trisha's experiences in her father when he announces that he is getting ready to go to work and asks for his wife to bring him breakfast. Thereafter, things get worse, especially when Ashish's parents come to meet the Chaudharys. It is here that Uttam babbles on inexplicably about being responsible for killing Mohandas K. Gandhi. Trisha must now find out if her dad was in any way responsible for Gandhi's death, and what exactly triggered his long-suppressed memory in her dad's mind...

मिलकर जुदा हुवे तो


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मिलकर जुदा हुए तो ना सोया करेंगे हम
एक दूसरे के याद में रोया करेंगे हम

आँसू चालक चालक के सताएँगे रात भर
मोती पलक पलक में पिरोया करेंगे हम

जब दूरियों की याद दिलों को जलाएगी
जिस्मों को चाँदनी में भिगोया करेंगे हम

गर दे गया दगा हमें तूफान भी 'क़तील'
साहिल पे कश्टियों को दुबोया करेंगे हम
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फनकार : जगजीत सिंग और चित्रा सिंग

कहाँ से आएँ बदरा


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कहाँ से आए बदरा
घुलता जाए कजरा
कहाँ से आए बदरा
घुलता जाए कजरा

पलकों के सतरंगी दीपक
बन बैठे आँसू की झालर
मोटी का अनमोलक हीरा
मिट्टी मे जेया फिसला
कहाँ से आए बदरा

नींद पिया के संग सिधारी
सपनों की सुखी फुलवारी
अमृत होठों तक आते ही
जैसे विष में बदला
कहाँ से आए बदरा

उतरे मेघ या फिर छ्चाए
निर्दे झोंके अगाना बढ़ाए
बरसे हैं अब तोसे सावन
रोए मान है पागला
कहाँ से आए कहाँ से आए बद्रा
घुलता जाए कजरा
कहाँ से आए बदरा
घुलता जाए कजरा

पलकों के सतरंगी दीपक
बन बैठे आँसू की झालर
मोटी का अनमोलक हीरा
मिट्टी मे जेया फिसला
कहाँ से आए बदरा

नींद पिया के संग सिधारी
सपनों की सुखी फुलवारी
अमृत होठों तक आते ही
जैसे विष में बदला
कहाँ से आए बदरा

उतरे मेघ या फिर छ्चाए
निर्दे झोंके अगाना बढ़ाए
बरसे हैं अब तोसे सावन
रोए मान है पागला
कहाँ से आए बदरा

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स्वर : येसुदास और हेमलता

काली घोड़ी द्वार खड़ी

 
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सा नि रे सा
सा रे गा मा पा ढा नि सा
सा नि ढा पा मा गा रे सा
सा नि रे सा

काली घोड़ी द्वार खड़ी...खड़ी रे
मूँग से मोरी माँग भारी
बरजोरी सैय्या ले जावे
तक़ित भाई तगारी नागरी....टाटा ढा.

काली घोड़ी द्वार खड़ी...खड़ी रे

भीड़ के बीच अकेले मितवा
जंगल बीच महेक गये फुलावा
कौन ए तगवा बैयया धरी
तक़ित भाई तगारी नागरी....टाटा ढा.


बाबा के द्वारे भेजे हर करे
अम्मा को मीठी बतियां समज़हरे
इतवान से मोक हरी
तक़ित भाई तगारी नागरी....टाटा ढा.

सा गा मा ढा नि
सा ढा नि मा ढा मा गा सा
सा गा मा ढा नि सा
सा नि ढा मा गा सा
नि सा गा मा ढा नि
नि ढा मा गा सा नि
सा रे सा गा मा सा
मा ढा नि सा गा मा
मा ढा नि सा रे सा
मा ढा नि सा रे सा

काली घोड़ी पे गोरा सैय्या चमके
सैय्या चमके
चमक चमक चमके
काली घोड़ी पे गोरा सैय्या चमके
कजरारे मेखा में बीजूरी दमके
सुध बुध बिसर गयी हमारी
बरजोरी सैय्या ले जावे
तक़ित भाई तगारी नागरी....टाटा ढा.

काली घोड़ी दौड़ पड़ी

लाज चुनरिया उड़ उड़ जावे
अंगा अंगा की रंग रचाए
उनके कंधे लत बिखरी

काली घोड़ी दौड़ पड़ी

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साज़ (१९९८)


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साज़ (१९९८)
निर्देशक : सई परांजपे
गीतलर : जावेद अक्तर
संगीतकार : ज़ाकिर हूसेन, भूपेन हज़ारीका, राज कमाल और यशवंत देव

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Mansi and Bansi come to Mumbai after the death of their parents. All they have as a legacy is a love for music instilled in them by their father Vrindavan, and their divine voices. After their initial struggle, Mansi finds her way into the film industry with music director Indraneel as her mentor. Mansi keeps Bansi's talent under wraps and gets her married to an unsuitable man. Her argument is that both should cherish their father's memory - Bansi by bearing children to carry on the family name and Mansi by keeping his music alive. When Indraneel picks Bansi as his new protégé, Mansi breaks off with him. The sisters become bitter rivals. After her divorce, Bansi fights to keep her place in the sun against crippling odds. A dynamic young music director Himen Desai, is obsessed with Bansi and she finally succumbs to his charm and persuasion. The film tells the story of a brave woman's battle to come to terms with her life, she does not give up even when she loses her voice. A renowned psychiatrist Dr Samarth comes into her life. Does she find fulfillment this time? Does she find her voice?

कौन आया मेरे मनके द्वारे

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स्वर : मन्ना डे

दाटलेले पावसाळी रंग सारा आठवे


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Paying Guest

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निर्देशक : परितोष पैन्तर
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Four friends' attempts to find employment and accommodation pits them against landlords and gangsters in Bangkok.

सागर जैसी आँखों वाली ये तो बता तेरा नाम है क्या

 
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हो, चेहरा है या चाँद खिला है
ज़ुलफ घानेरी शाम है क्या
सागर जैसी आँखों वाली
ये तो बता तेरा नाम है क्या

तू क्या जाने तेरी खातिर
कितना है बेताब ये दिल
तू क्या जाने देख रहा है
कैसे कैसे ख्वाब ये दिल
दिल कहता है तू है यहाँ तो
जाता लम्हा थम जाए
वक़्त का दरिया बहते बहते
इस मंज़र में जाम जाए
तूने दीवाना दिल को बनाया
इस दिल पर इल्ज़ाम है क्या
सागर जैसी आँखों वाली
ये तो बता तेरा नाम है क्या...

हो, आज माएईन तुझसे डोर सही
और तू मुझसे अंजान सही
तेरा साथ नहीं पऔन तो
खैर तेरा अरमान सही
ये अरमान हैं शोर नहीं हो
खामोशी के मेले हों
इस दुनिया में कोई नहीं हो
हम दोनो ही अकेले हों
तेरे सपने देख रहा हून
और मेरा अब काम है क्या
सागर जैसी आँखों वाली
ये तो बता तेरा नाम है क्या...
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स्वर : किशोर कुमार

सागर (१९८५)


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Raja, a fisherman is secretly in love with Mona. When wealthy Ravi comes to live with his grandmother, Kamladevi, he sees Mona and falls in love with her. Mona also reciprocates his love. Raja is devastated by this turn of events. But when Kamladevi gets to know that Ravi is seeing Mona, she puts pressure on Mona to give up Ravi and marry someone else.