माँ सूनाओ मुझे वो कहानी



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माँ सूनाओ मुझे वो कहानी
जिसमे राजा ना हो ना हो रानी

जो हमारी तुम्हारी कथा हो
जो सभी के हृदय की व्यथा हो
गंध जिसमे हो अपनी धरा की
बात जिसमे ना हो अप्सरा की
हो ना पारियाँ जहाँ आसमानी

वो कहानी को हसना सीखा दे
पेट की भूख को जो भुला दे
जिसमे सच की भरी चाँदनी हो
जिसमे उम्मीद की रोशनी हो
जिसमे ना हो कहानी पुरानी
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शायर: नंदलाल पाठक
फ़नकार: सीज़ा रॉय

मनातल्या मनात मी तुझ्या समीप राहतो



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मनातल्या मनात मी तुझ्या समीप राहतो
तुला न सांगता तुझा वसंत रोज पाहतो

असेच रोज न्हाउनी लपेट ऊन्ह कोवळे
असेच चिंब केस तू उन्हांत सोड मोकळे
तुझा सुगंध मात्र मी इथे हळूच हुंगतो

अशीच रोज अंगणी लवून वेच तू फुले
असेच सांग लाजुनी कळ्यांस गूज आपुले
तुझ्या कळ्या, तुझी फुले इथे टिपून काढतो

तसा न राहिला अता उदास एकटेपणा
तुझीच रूपपल्लवी जिथे तिथे करी खुणा
पहा कसा हवेत मी तुझ्यासवे सळाळतो
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गीत  - सुरेश भट
संगीत - सलील कुलकर्णी
स्वर - हृषिकेश रानडे

मैं कैसे कहु जाने मन


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शफ़क हो, फूल हो, शबनम हो, महताब हो तुम
नही जवाब तुम्हारा के लाजवाब हो तुम

मैं कैसे कहु जाने मन, तेरा दिल सुने मेरी बात,
यह आखो की शयही, यह होतो का उजाला,
यह ही है मेरे दिन रात, मैं कैसे कहु जाने मन

काश तुम को पॅट्स हो, तेरे रूखे रोशन से,
तारे खिले है, दिए जले है,
दिल में मेरे कैसे कैसे

माहेक्ने लगी है वही से मेरी राते,
जहा से हुआ तेरा साथ,
मैं कैसे कहु जाने मन

पास तेरे आया था, में तो काटो पे चल के,
लकिन यहा तो कदमो के नीचे,
फर्श बीच गये गुल के

के अब ज़िंदगानी है, कसमे बहरा,
लो हाथो रहे तेरा हाथ

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फनकार : जगजीत सिंह

असे कसे जगायचे


मेरे दिल में तू ही तू है


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मेरे दिल में तू ही तू है, दिल की दवा क्या करूँ
अभी:
दिल भी तू है जाँ भी तू है, तुझपे फ़िदा क्या करूँ
अभी-सुभी: 
मेरे दिल में तू ही तू है, दिल की दवा क्या करूँ
सुभी:
खुद को खो के तुझको पाकर क्या\-क्या मिल क्या कहूँ
तेरी होके जीने में क्या आय मज़ा क्या कहूँ
अभी:
कैसे दिन हैं कैसी रातें कैसी फ़िज़ा क्या कहूँ
मेरी होके तूने मुझको क्या क्या दिया क्या कहूँ
सुभी:
मेरे पहलू में जब तू है फिर मैं दुआ क्या करूँ
अभी:
दिल भी तू है जाँ भी तू है तुझपे फ़िदा क्या करूँ
अभी-सुभी:
मेरे दिल में तू ही तू है, दिल की दवा क्या करूँ
अभी:
है ये दुनिया दिल की दुनिया मिलके रहेंगे यहाँ
लूटेंगे हम खुशियाँ हर पल दुःख न सहेंगे यहाँ
सुभी:
अरमानो के चंचल धारे ऐसे बहेंगे यहाँ
ये तो सपनो की जन्नत है, सब ही कहेंगे यहाँ
ये दुनिया मेरे दिल में बसी है, दिल से जुदा क्या करूँ
अभी:
दिल भी तू है जाँ भी तू है, तुझपे फ़िदा क्या करूँ
अभी-सुभी: 
मेरे दिल में तू ही तू है, दिल की दवा क्या करूँ