चाहेंगें तुझे पर...

___________

चाहेंगे तुझे पर कभी रुसवा ना करेंगे
सायें से भी अपने तेरा शिकवा न करेंगे

पूछेंगे हवओंसे घटाओंसे तेरा हाल
मिलने को तेरे वास्ते आया ना करेंगे

तु मिल भी गया राह में भूले से जो मुझ को
मीलने का दुबारा कभी वादा ना करेंगे

जिस नाम की ताजीम किया करते हैं परदे
उस नाम को दिवार पे लिक्का ना करेंगे
______________

फनकार : तलत अज़ीज़
संगीतकार : जगजीत सिंह

अपने दिल की बात

____________________

चाँद निकला था, मगर रात न थी पहेले से
ये मुलाक़ात, मुलाक़ात न थी पहेले से
रंज कुच्छ कम तो हुआ आज तेरे मिलने से,
ये अलग बात के वो बात न थी पहली से

मेरे तो एक बात का इतना गिला हुआ
कुच्छ आप को भी याद है अपना कहा हुआ...

तेरे गले के हार से आए वफा की बू
फूलों में कोई दिल तो नही है बुंधा हुआ...

ऐचारा साज़ ये तो बता किसका क्या इलाज़
आंसू थमे तो दर्द जिगर में सिवा हुआ...

मधुफल में अपनी आंकसे आई सदा मुझे
मैं नक्ष-ऐ-पाईयार हूँ लेकिन मिटा हवा...
____________________

फनकार : तलत अज़ीज़
संगीतकार :  जगजित सिंह