तुमने सूली पे लटकते जिसे देखा होगा



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तुमने सूली पे लटकते जिसे देखा होगा,
वक्त आएगा वही शक्स मसीहा होगा

ख्वाब देखा था के सेकर में बसेरा होगा,
क्या खबर थी की यही ख्वाब तो सच्चा होगा

मैं फ़िज़ाओं में बिखर जाऊँगा खुशबू बनकर,
रंग होगा न बदन होगा न चेहरा होगा
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मौसिकार : जगजीत सिंघ
फनकार : जगजीत सिंघ

ये करें और वो करें

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ये करे और वो करेऐसा करे वैसा करे,
जिंदगी  दो दिन कि हैं दो दिन मैं हम क्या क्या करे
जी में आता हैं की दे पर्दे का जवाब,
हम  से वो परदा करें दुनियाँ से हम परदा करें
सुन रहा हूँ कुछ लुटेरे आ गायें हैं शेहेर मैं,
आप जल्दी बाँध अपने घर का दरवाजा करे
इस पुरानी बेवफ़ा दुनियाँ का रोना कब तलक,
आईने मिल-जुल के इस दुनियाँ नया पैदा करे
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 शायर : शकेब जलाली मौसिकार : जगजीत सिंघ
फनकार : जगजीत सिंघ और चित्र सिंघ