डाकिया डाक लाया

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डाकिया डाक लाया डाक लाया
कुशी का पयाँ कहीं दर्दनाक लाया
डाकिया डाक लाया ...

इंदर के भतीजे की साली की सगाई है
ओ आती पूरनामासी को क़रार पाई है
मामा आपको लेने आते मगर मजबूरी है
बच्चों समेत आना आपको ज़रूरी है
दादा तो अरे रे रे रे दादा तो गुज़र गए दादी बीमार है
नाना का भी तेरहवाँ आते सोमवार है
छ्होटे को प्यार देना बड़ों को नमस्कार
मेरी मजबूरी समझो कारद को तार
शादी का संदेसा तेरा है सोमनाथ लाया
डाकिया डाक लाया ...

आई डाकिया बाबू
क्या है री
छ्च महीना होई गावा काट नही लिखिन
काट नही लिखिन
बोल क्या लिखूं
बस जल्दी से आने का लिख दे
बिरहा में कैसे-कैसे काटीं रतियाँ
सावन सुनाए बैरी भीगीइ-भििगी बतियां
अग्नि की जलन में जले बावारिया
ओ नौकरिया छ्चोड़ के तू आ जाना साँवरिया
आजा रे साँवरिया आजा बैसाख आया
डाकिया डाक लाया ...
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चित्रपट : पलकों की छाव मैं
स्वर : किशोर कुमार और वंदना शास्त्री

नीला आसमाँ सो गया


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नीला आसमाँ सो गया
ला रा ला रा ला, ला ला ला ला
ला रा ला रा ला, ला ला रा ला हो
नीला आसमाँ सो गया

ओ हो, ऑन्स बरसे रात भीगे होंठ तरराए
धड़कने कुच्छ कहना चाहे कह नहीं पाए
हवा का गीत मध्यम है
समय की चाल भी कम है
नीला आसमाँ सो गया

ओ, मेरी बाहों में शरमाते लाजाते ऐसे तुम आए
की जैसे बादलों में चाँद धीरे धीरे आ जाए
यह तन्हाई यह मैं और तुम
ज़मीन भी हो गयी गुमसूँ
नीला आसमाँ सो गया
ला रा ला रा ला, ला ला रा ला
ला रा ला रा ला, ला ला रा ला हो
नीला आसमाँ सो गया
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स्वर : अमिताभ बच्चन

यह कहाँ आ गये हम


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मैं और मेरी तन्हाई अक्सर यह बातें करते हैं
तुम होती तो कैसा होता, तुम यह कहती, तुम वो कहती
तुम इस बात पे हैरान होती, तुम उस बात पे कितनी हँसती
तुम होती तो ऐसा होता, तुम होती तो वैसा होता
मैं और मेरी तन्हाई अक्सर यह बातें करते हैं

यह कहाँ आ गये हम
यूँही साथ साथ चलते
तेरी बाहों में है जानम
मेरे जिस्म-ओ-जान पिघलते
यह कहाँ आ गये हम
यूँही साथ साथ चलते

यह रात है, यह तुम्हारी ज़ूलफें खुली हुई है
है चाँदनी या तुम्हारी नज़रें से मेरी रातें धूलि हुई है
यह चाँद है या तुम्हारा कंगन
सितारें है या तुम्हारा आँचल
हवा का झोंका है या तुम्हारे बदन की खुश्बू
यह पट्टियों की है सरसराहट के तुमने चुपके से कुछ कहा है
यह सोचता हून मैं कब से गुमसूँ
के जब की मुझको भी यह खबर है
के तुम नहीं हो, कहीं नहीं हो
मगर यह दिल है के कह रहा है
के तुम यहीं हो, यहीं कहीं हो

ओ, तू बदन है मैं हून छ्चाया
तू ना हो तो मैं कहाँ हून
मुझे प्यार करने वाले
तू जहाँ है मैं वहाँ हून
हमें मिलना ही था हमदम
इसी राह पे निकलते
यह कहाँ आ गये हम
यूँही साथ साथ चलते
एमेम, मेरी साँस साँस माहेके
कोई भीना भीना चंदन
तेरा प्यार चाँदनी है
मेरा दिल है जैसे आँगन
कोई और भी मुलायम
मेरी शाम ढलते ढलते
यह कहाँ आ गये हम
यूँही साथ साथ चलते

मजबूर यह हालात, इधर भी है उधर भी
तन्हाई की एक रात, इधर भी है उधर भी
कहने को बहुत कुछ है, मगर किससे कहे हम
कब तक यूँही खामोश रहे और सहे हम
दिल कहता है दुनिया की हर एक रस्म उठा दे
दीवार जो हम दोनो में है, आज गिरा दे
क्यूँ दिल में सुलगते रहे, लोगों को बता दे
हन हुमको मोहब्बत है, मोहब्बत है, मोहब्बत
अब दिल में यही बात, इधर भी है उधर भी

यह कहाँ आ गये हम
यूँही साथ साथ चलते
यह कहाँ आ गये हम
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स्वर : अमिताभ बच्चन और लता मंगेशकर

आम्रपाली (१९६६)

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निर्देशक : फ.सी. मेहरा
संगीतकार : शंकर जैयकिसान

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King Ajaatshatru is a very powerful but greedy king. He has won several wars but has an insatiable thirst to rage more wars and win more provinces. Unfortunately, the army of a small town called Vaishali defeats him. Wounded and lost, Ajaatshatru dons the guise of a soldier and takes shelter with a beautiful woman named Amrapali. By the time he recovers, both of them find that they are in love with each other. Senapati Badbadhra Singh provides Ajaatshatru with a helping hand and both begin to plot against the kingdom of Vaishali. This time Ajaatshatru's strategy is quite different. Amrapali is unaware that her lover is a king. When the Samrat of Vaishali finds out that Amrapali is having an affair with King Ajaatshtru, he sentences her to be imprisoned for the rest of her life. Ajaatshatru is enraged at this and orders his soldiers to burn the entire town. Ajaatshatru reaches to rescue of his beloved, Amrapali. Will a disheartened Amrapali accept King Ajaatshatru?