जब तेरे नैन मुस्कुराते हैं


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जब तेरे नैन मुस्कुराते हैं
ज़ीस्त के रंज भूल जाते हैं

क्यूँ शिकन डालते हो माथे पर
भूल कर आ गए हम जाते हैं

कश्तियाँ यूँ भी डूब जाती हैं
नाख़ुदा किसलिये डराते हैं

इक हसीं आँख के इशारे पर
क़ाफ़िले राह भूल जाते हैं

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फनकार और मौसिकार : मेहन्दी हसन