वो दिल नवाज़ है

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वो दिल नवाज़ है नज़र शनाज़ नही
मेरा इलाज मेरे चरागर क पास नही

तारप रहे हैं ज़बान पर कई सवाल मगर
मेरे लिए कोई शयन-ए-इल्तमस नही

तेरे उजलों मैं भी दिल कांप कांप उठता है
मेरे मिज़ाज को असुदगी भी रस नही

कभी कभी जो तेरे क़ुर्ब मैं गुज़रे थे
अब उन दिनों का तसवउर भी मेरे पास नही

गुज़र रहे हैं अजब मरहलों से दीदा-ओ-दिल
सहर की आस तो है ज़िंदगी की आस नही

मुझे ये दर है क तेरी आरज़ू ना मिट जाए
बहुत दिनों से तबीयत मेरी उदास नही
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फनकार : मेहन्दी हसन