हमारी ही मुठि में आकाश सारा


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हमारी ही मुठि में आकाश सारा
जब भी खुलेगी चमकेगा तारा
कभी ना ढले जो, वो ही सितारा
दिशा जिस से पहचाने संसार सारा

हथेली पे रेखाएँ हैं सब अधूरी
किस ने लिखी हैं नहीं जानना हैं
सुलज़ाने उन को न आएगा कोई
समज़ना हैं उनको ये अपना करम हैं
अपने करम से दिखाना हैं सब को
खुद का पनपना, उभरना हैं खुद को
अंधेरा मिटाए जो नन्हा शरारा
दिशा जिस से ...

हुमारे पीच्चे कोई आए ना आए
हूमेई ही तो पहले पहुचना वाहा हैं
जिन पर हैं चलना नई पीढ़ीयों को
उन ही रास्तों को बनाना हूमेई हैं
जो भी साथ आए उन्हे साथ ले ले
अगर ना कोई साथ दे तो अकेले
सुलगा के खुद को मिटा ले अंधेरा
दिशा जिस से ...

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भा
भ्रष्टाचार
के खिलाफ