राग बिलासखानी तोड़ी | Raag Bilaaskhaani ToDi

परदेस


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Many times I do get confused as to which would (or could) be the language more comfortable to ‘very’ individual, first in a ‘country-wise’ way followed by across the border and beyond. In may ways I am in a ‘limited’ frame, whether by region, country or beyond. So I decided to use (in this particular context) in a common ‘international’ language in a desi style the emphasis is on local word called ‘hinglish’.

In my ‘half’ the life, beginning from the tender age of 6, music, and more particularly towards the ‘hindustaani thaaT’, I was more accustomed in a mid and north Indian environment. I was certainly to see, watch, hear as well ‘take signature’ of various Ustaad’, Begum’ and Pandit’ such as Pandit Bhimsen Joshi, Pandit Jasraaj, Pandit Vishwamohan Bhat, Pandit Mallikarjoon Mansoor, Ustaad Nijamuddin (tablaa), Begum Parvin Sultaan and any others. And yet, there are many others who are in my collections, I have not been so lucky to meet or see ‘face-to-face’ with several such. One of such is Pandit Ajay Pohankar. I have watched, heard in several Cds, concerts such as Sawai Gandharv in Pune and Kesarbai Kerkar in Goa. But ‘not’ in a ‘closer’ “feelings” of meeting face-to-face. Several times in the recent t.v. channels, I did watch him in the ‘Saa Re Ga Ma Pa’ some months ago. Followed by some selective purchase of CDs too.

I present an additional (amongst many) a Thumri (once again), in an expressive view of one amongst many thumris, by Pandit Ajay Pohankar.

The expressions variates in from forms of love and expressions along with the different change as well feelings in fluctuating seasons connected with ‘loss’ of togetherness, far from reality.
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पंडित अजय पोहनकर

सभी प्यार करते हैं


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ज़िदगी में तो सभी प्यार किया करते हैं
جدگی میں تو سبھی پیار کیا کرتےہیں
मैं तो मरकर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा
میںتو مرکر بھی میری جان تجھےچاہونگا

तू मिला है तो ये एहसास हुआ है मुझको
تو ملا ہے تو یہ احساس ہوا ہے مجھکو
ये मेरी उम्र मोहब्बत के लिए थोड़ी है
یہ میری عمر موہببت کےلئے تھوڑی ہے
एक ज़रा सा ग़म-इ-दौरान का भी हक है जिस पर
ئیک زرا سا گم -ا - دوران کا بھی ھک ہے جس پر
मैंने वो सांस भी तेरे लिए रख छोड़ी है
میںنے وہ سانس بھی تیرےلئے رکھ چھوڑی ہے
तुझ पे हो जाऊँगा कुर्बान तुझे चाहूँगा
تجھ پےھو جااُونگا کربان تجھےچاہونگا
मैं तो मरकर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा
تجھ پےھو جااُونگا کربان تجھےچاہونگا

अपने जज़्बात में नगमात रचाने के किये
اَپنےجزبات میں نگمات رچانےکےکیہ
मैंने धड़कन की तरह दिल में बसाया है तुझे
میںنے دھڑکن کی طرح دل میں بسایا ہے تجھی
मैं तसव्वुर भी जुदाई का भला कैसे करून?
?میںتسوور بھی جدائی کا بھلا کیسےکرون
मैंने किस्मत की लकीरों से चुराया है तुझे
میںنے کسمت کی لکیروںسےچرایا ہے تجھی
प्यार का बनके निगेहबान तुझे चाहूंगा
پیار کا بنکےنگیہبان تجھےچاہونگا
मैं तो मरकर भी मेरी जान तुझे चाहूंगा
میںتو مرکر بھی میری جان تجھےچاہونگا

तेरी हर चाप से जलते हैं खायालूँ में चिराग
تیری ھر چاپ سےپانیتےہیں کھایالوںمیں چراگ
जब भी तू आये जगाता हुआ जादू आये
جب بھی تو آمدنی جگاتا ہوا جادو آیہ
तुझको छूलूं तो ए जान-इ-तमन्ना मुझको
تجھکو چھولوںتو ئی جان -ا - تمننا مجھکو
देर तक अपने बदन से तेरी खुशबू आये
در تک اپنے بدن سےتیری خوشبو آیہ
तू बहारों का है उन्वान तुझे चाहूंगा
تو بہاروںکا ہے اُنوان تجھےچاہونگا
मैं तो मरकर भी मेरी जान तुझे चाहूंगा
میںتو مرکر بھی میری جان تجھےچاہونگا
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शायर : कतील शिफाई
फ़नकार : मेंदी हसन

घर असावे


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ह्या भावगीता मागे माझ्या काही खास आठवणी...
पुण्याच्या नगरीत माझी पहिली १९९०-१९९१ च्या सुमारास झाली. कोकणाच्या ऐयर-गैर ग्रॅजुयेशन पर्यंत गोव्यात होतो. घराच्या चार चवकठात खुल्या मानाने बोलण्याची संधी जवळ जवळ नसल्यातच जमा. मग, गाणे अयकणे, बघणे हाच एक उपाय होता. पण जेव्हा पुण्यात आलो, पहिली पुणे केम्प मधील हिन्दी शाळेतले मुख्य प्राध्यापक सुधाकर प्रभू काकांकडे रहायचो. इथून आयुषाचे नवीन अ-ब-क-ड चालू झाले. त्या सुमारास, प्रभात रोडला एका झेरॉक्ष च्या दुकानात मल्टिपल प्रिंट करून ठेवलेली कविता मनात टपली. मनात कायमची राहिलेली ही कविता आणि ३ खास लोकांकडून मला असंख्य मानसिक बळ, आधार, चेतना आणि एक नवीन जिध्ह असंख्य पणे वाडली. एक शिक्षक, गुरू बरोबर एक मित्र ह्या नात्याने सुध्हा असंख्य प्रेम त्यांच्याकडून मला मिळाले. प्रा. सुधाकर काका कायम हसमुक असायचे. दुसरे म्हणजेच भैईया वैद्य. त्यावेळेस ते डेक्कन बधील आपटे शाळेचे मुख्य प्राध्यापक होते. भैईया काका कायम म्हणायचे 'आपल्या जिध्हिने पुढे चाल, जग तुझ्या मागे येईल'. पोस्ट ग्रॅजुयेशन करताना तीसरे खास म्हणजेच डॉ. शेजवलकर !!!
आणि आयुषाच्या प्रत्तेक टप्प्यात ती कविता व ते तीन 'मित्र', नसा नसात जिवंत राहीले. बर्‍याच वर्षानंतर जेव्हा ती कविता व त्याचे स्वर/संगीत अयकले की जुन्या आठवणी उजणतात. फेसबुक वर स्टिल इमेज पधतिने रिलीस केली होती. पण पुन्हा एकदा पूर्ण विडियो द्वारे. त्याही बरोबार त्या तीन 'मैत्र' व गुरू प्राध्यापकांना शतः प्रणाम!
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घर असावे घरा सारखे, नकोच नुसत्या भिंती
इथे असावे प्रेम जिव्हाला, नकोच नुसती नाती.

त्या शब्दांना अर्थ असावा, नकोच नुसती वाणी
सूर जुळावे परस्परांचे, नकोत नुसती गाणी

त्या अर्थाला अर्थ असावा, नकोत नुसती नाणी
अश्रुतुनही प्रित झरावी, नकोत नुसते पाणी

या घर्ट्यातून पिल्लू उडावे, दिव्या घेउनी शक्ति
आकांक्षाचे पंख असावे, उंबरठ्यावर भक्ति


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गीत : विमल लिमये
स्वर/संगीत : श्रीधर फडके


फ़ासले | پھاسلے


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फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था
پھاسلے ایسی بھی ھونگےیہ کبھی سوچا نہ تھا
सामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था
سامنے بیٹھا تھا میرےاور وہ میرا نہ تھا

वो की खुशबू की तरह फैला था मेरे चार सु
وہ کی خوشبو کی طرح پھیلا تھا میرےچار س
मैं उसे महसूस कर सकता था छू सकता न था
میںاُسےمحسوس کر سکتا تھا چھو سکتا نہ تھا

रात भर उस की ही आहट कान में आती रही
رات بھر اُس کی ھی آہٹ کان میں آتی رہی
झाँक कर देखा गली में कोई भी आया न था
جھانک کر دکھا گلی میں کوئی بھی آیا نہ تھا

अक्स तो मौजूद थे पर अक्स तन्हाई के थे
اَکس تو موجود تھےپر اَکس تنہائی کےتھی
आइना तो था मगर उस में तेरा चेहरा न था
آئنا تو تھا مگر اُس میں تیرا چہرا نہ تھ

आज उस ने दर्द भी अपने अलहेदाह कर दिए
آج اُس نےدرد بھی اپنے اَلہیداہ کر دئی
आज मैं रोया तो मेरे साथ वो रोया न था
آج میںرویا تو میرےساتھ وہ رویا نہ تھا

ये सभी विरानियाँ उस के जुदा होने से थीं
یہ سبھی ورانیاں اُس کے جدا ھونے سے تھین
आँख धुंधलाई हुई थी शहर धुन्धलाया न था
آنکھ دھندھلائی ہوئی تھی شہر دھندھلایا نہ تھا

याद करके और भी तकलीफ होती थी अदीम
یاد کرکے اور بھی تکلیپھ ھوتی تھی اَدیم
भूल जाने के सिवा अब कोई भी चाराह न था
بھول جانے کے سوا اب کوئی بھی چاراہ نہ تھا
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शायर : आदीं हाशमी
شایر : آدیںھاشمی
फ़नकार : गुलाम अली
فنکار : گلام اَلی
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faasle aise bhii ho.nge ye kabhii sochaa na thaa
saamane baiThaa thaa mere aur vo meraa na thaa

vo ki Khushbuu kii tarah phailaa thaa mere chaar suu
mai.n use mahasuus kar sakataa thaa chhuu sakataa na thaa

raat bhar us kii hii aahaT kaan me.n aatii rahii
jhaa.Nk kar dekhaa galii me.n ko_ii bhii aayaa na thaa

aks to maujuud the par aks tanahaa_ii ke the
aa_iinaa to thaa magar us me.n teraa cheharaa na thaa

aaj us ne dard bhii apane alahedah kar diye
aaj mai.n royaa to mere saath vo royaa na thaa

ye sabhii viiraaniyaa.N us ke judaa hone se thii.n
aa.Nkh dhu.Ndhalaa_ii hu_ii thii shahar dhu.Ndhalaayaa na thaa

yaad karake aur bhii takaliif hotii thii ‘Adeem’
bhuul jaane ke sivaa ab ko_ii bhii chaaraah na thaa

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Lyrics by Adeem Hashmi
Fankaar by Gulam Ali

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मुका पाउस बरसावा असे वाटते



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मुका पाउस बरसावा असे वाटते
तुझा आवाज ऐकावा असे वाटते
कधी धरशील का माझ्या पुढे तू चेहरा
मलाही चंद्र स्पर्शावा असे वाटते
मुका पाउस बरसावा असे वाटते

जरा गर्दीत मी आता उभा राहतो
कुणी माणूस थांबावा असे वाटते
मुका पाउस बरसावा असे वाटते

मला मी शेवटी कळलो जरी नाही तरी ही
तुला समजून सांगावा असे वाटते
मुका पाउस बरसावा असे वाटते
तुझा आवाज ऐकावा असे वाटते

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शब्द : सौमित्र
स्वर/संगीत : मिलिंद जोशी

काही बोलायाचे आहे


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काही बोलायाचे आहे, पण बोलणार नाही
देवळाच्या दारामध्ये, भक्ती तोलणार नाही

माझ्या अंतरात गंध कल्प कुसुमांचा दाटे
पण पाकळी तयांची, कधी खुलणार नाही

नक्षत्रांच्या गावातले मला गवसले गुज
परि अक्षरांचा संग त्याला मिळणार नाही

मेघ जांभळा एकला राहे नभाच्या कडेला
त्याचे रहस्य कोणाला कधी कळणार नाही

दूर बंदरात उभे एक गलबत रुपेरी
त्याचा कोष किनार्‍यास कधी दिसणार नाही

तुझ्या कृपाकटाक्षाने झालो वणव्याचा धनी
त्याच्या निखार्‍यात कधी तुला जाळणार नाही
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गीत :कुसुमाग्रज
गायक :श्रीधर फडके
संगीतकार :यशवंत देव

बाबुल मोरा


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His (Wajid Ali Shah) poem Bhairavi thumri "Baabul moraa Naihar chhooto jaay" has been sung by several prominent singers, but the version most remembered is by Kundan Lal Saigal for the 1930s movie Street Singer.
This poem will express in 3 perspectives subsequently but not K.L. Saigal.
Watch, hear and see the difference.
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बाबुल मोरा, नैहर छूटो ही जाए, बाबुल मोरा, नैहर छूटो ही जाए
चार कहार मिल, मोरी डोलिया सजावें (उठायें), मोरा अपना बेगाना छूटो जाए | बाबुल मोरा ...
आँगना तो पर्बत भयो और देहरी भयी बिदेश, जाए बाबुल घर आपनो मैं चली पीया के देश | बाबुल मोरा ...
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بابُل مورا، نیہر چھُوٹو ہی جائے
بابُل مورا، نیہر چھُوٹو ہی جائے

چار کہار مِل، موری ڈولِیا سجاویں (اُٹھایّں)
مورا اَپنا بیگانا چھُوٹو جائے | بابُل مورا ۔۔۔

آںگنا تو پربت بھیو اؤر دیہری بھیی بِدیش
جائے بابُل گھر آپنو میں چلی پیّا کے دیش | بابُل مورا ۔۔۔
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She must go to-day, I miss her now at heart ..
What must a father feel, when come
The pangs of parting from his child at home?
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मैं नशे में हूँ...


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ठुकराओ या अब के प्यार करो मैं नशे में हूँ
जो चाहो मेरे यार करो मैं नशे में हूँ

अब भी दिला रहा हूँ यकीं-ऐ-वफ़ा मगर
मेरा ना एतबार करो मैं नशे में हूँ

गिरने दो तुम मुझे, मेरा साग़र संभाल लो
इतना तो मेरे यार करो मैं नशे में हूँ

मुझको कदम कदम पे भटकने दो वाइज़ों
तुम अपना कारोबार करो मैं नशे में हूँ

फ़िर बेखुदी में हद से गुज़रने लगा हूँ मैं
इतना ना मुझसे प्यार करो मैं नशे में हूँ

दुनिया



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दुनिया को ये कमाल भी करके दिखाइए
मेरी ज़बीन पे अपना मुक़द्दर सजाईए...

मैं चाँदनी में गूँध के लाया हून रात को,
अब आप इससे कोई सवेरा बनाईए...

सबने किए हैं मुझेपे ज़फ़ाओं के ताज़रूरबे,
एक बार आप भी तो मुझे आज़माईए...

शायद छुपा हो इस मैं कहें नाम आपका,
दुनियाँ से चुपके मेरी ग़ज़ल गुनगुनाई यह...
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शायर : क़तील शिफाइ
फनकार : तलत अज़ीज़

अजुनी रुसून आहे



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अजुनी रुसून आहे, खुलता कळी खुले ना
मिटते तसेच ओठ, कि पाकळी हले ना !

समजून मी करावी, म्हणुनीच तू रुसावे
मी हास सांगताच, रडताही तू हसावे
ते आज का नसावे, समजावणी पटे ना
धरिला असा अबोला, कि बोल बोलवेना !

का भावली मिठाची, अश्रूत होत आहे
विरणार सागरी ह्या जाणून दूर राहे ?
चाले अटीतटीने, सुटता अ!I सुटेना
मिटविल अंतराला, ऐसी मिठी जुटे ना !

की गुड काही डाव, वरचा न हा तरंग
घेण्यास खोल ठाव, बघाल्यास अंतरंग ?
रुसवा असा कसा हा, ज्या आपले कळेना ?
अजुनी रुसून आहे, खुलता कळी खुले ना !
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गीत : आ . रा . देशपांडे 'अनिल'
संगीत : पंडित कुमार गंधर्व
स्वर : पंडित कुमार गंधर्व 

नशीली रात में



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नशीली रात में, जब तुमने जुल्फों को सवार है,
हमारे जस्बये दिल को, उमंगो ने उभरा है,

गुलो को मिल गए रंगत, तुम्हारे सुर्ख गालो से,
सितारों ने चमक पाई, तबसुम के उजालो से,

तुम्हारी मुस्कराहट ने बहारो को निखारा है,
हमारे जस्बये दिल को, उमंगो ने उभरा है,

लबे रंगीन अरे तूबा, गुलाबी कर दिया मौसम,
तुम्हारी शुक नजरों ने शराबी कर दिया मौसम,

नशे में चूर है आलम नशीला हर नजारा है,
हमारे जस्बये दिल को, उमंगो ने उभरा है,
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फ़िल्म : ज़ुल्फ़ के सायें सायें
स्वर/संगीत : जगजीत सिंह

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Nashili Raat Mein, Jab Tumne Julfo Ko Sawara Hai,
Hamare Jasbaye Dil Ko, Umaango Ne Ubhara Hai,

Gulo Ko Mil Gaye Rangat, Tumhare Surkh Galo Se,
Sitaro Ne Chamak Payi, Tabasum Ke Ujalo Se,

Tumhari Muskurahat Ne Baharo Ko Nikhara Hai,
Humare Jasbaye Dil Ko, Umaango Ne Ubhara Hai,

Labe Rangeen Are Tooba, Gulabi Kar Diya Mausam,
Tumhari Shook Najro Ne Sharabi Kar Diya Mausam,

Nashe Mein Chur Hai Aalam Nashila Har Najara Hai,
Hamare Jasbaye Dil Ko, Umaango Ne Ubhara Hai,

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Movie :
Zulf Ke Saayen Saayen
Music Composition & Singer :
Jagjit Singh

दाठे कंठ लागे डोळिया पाझर

याच साठी केला अठहास

 

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याच साथी केला अठहास शेवटचा दिस गोड व्हावा ॥१॥
आता निश्चितीनें पावलों विसांवा । खुंटलिया धांवा तृष्णेचिया ॥२॥
कवतुक वाटे जालिया वेचाचें । नांव मंगळाचे तेणें गुणें ॥३॥
तुका म्हणे मुक्ति परिणिली नोवरी । आतां दिवस चारी खेळीमेळी ॥४॥

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शब्द : संत तुकाराम संगीतकात : श्रीनिवास खळे
स्वर : पंडित भीमसेन जोशी

किरण आशेचा !!!



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बुगडी माझी सांडली ग
जाता सातार्‍याला ग जाता सातार्‍याला
चुगली नगा सांगू ग
माझ्या म्हातार्‍याला ग माझ्या म्हातार्‍याला

माझ्या शेजारी तरुण राहतो
टकमक टकमक मला तो पाहतो
कधी खुलेमे जवळ बाहतो
कधी नाही ते भुलले ग बाई
त्याच्या इशार्‍याला त्याच्या इशार्‍याला

घरात न्हवते तेव्हा बाबा
माझ्या मजवर कुठला ताबा
त्याची धिटाई... तोबा तोबा
वितळू लागे ग लोणी बाई
बघता निखार्‍याला बघता निखार्‍याला

त्याने आणिली अपुली गाडी
तयार जुंपुनी खिलार जोडी
मीही ल्याले ग पिवळी साडी
वेड्यावाणी जोडीने ग गेलो
आम्ही बाजाराला आम्ही बाजाराला !

येण्या आधी बाबा परतून
पोचालार मी घरात जाउन
मग पुसतील काना पाहून
काय तेव्हा सांगू मी ग बाई
त्याला बिचार्‍याला त्याला बिचार्‍याला !
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चित्रपट : सांगले ऐका (१९५९)
गीत : ग. गी. माडगुलकर
संगीत : राम कदम
स्वर : आशा भोसले

माझिया मना


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माझिया मना, जरा थांब ना
पाऊली तुझ्या माझिया खुणा
तुझे धावणे अन मला वेदना

माझिया मना, जरा बोल ना
ओळखू कसे मी, हे तुझे ऋतू
एकटी न मी सोबतीस तू
ओळखू कशा मी तुझ्या भावना

माझिया मना, जरा ऐक ना
सांजवेळ ही, तुझे चालणे
रात्र ही सुनी, तुझे बोलणे
उषःकाल आहे नवी कल्पना
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गीतकार :सौमित्र
गायक :आशा भोसले
संगीतकार :श्रीधर फडके

तरुण आहे रात्र अजूनि



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तरुण आहे रात्र अजूनि, राजसा निजलास का रे
एवढयातच त्या कुशीवर, तू असा वळलास का रे

अजूनही विझल्या न गगनी, तारकांच्या दीपमाळा
अजून मी विझले कुठे रे, हाय तू विझलास का रे

सांग या कोजागिरीच्या चांदण्याला काय सांगू
उमलते अंगांग माझे, आणि तू मिटलास का रे

बघ तुला पुसतोच आहे, पश्चिमेचा गार वारा
रातराणीच्या फुलांचा गंध तू लूटलास का रे

उसळती ट्टदयात माझ्या, अमृताच्या धूंद लाटा
तू किनार्‍या सारखा पण कोरडा उरलास का रे

ओठ अजूनि बंद का रे, श्वास ही मधुमंद का रे
बोल शेजेच्या फुलावर, तू असा रुसलास का रे
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गीतकार :सुरेश भट
गायक :आशा भोसले
संगीतकार :पं. हृदयनाथ मंगेशकर

वाटेवर काटे



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वाटेवर काटे वेचीत चाललो
वाटेल जसा फुलाफुलात चाललो

मिसळुनी मेळ्यात कधी, एक हात धरुनी कधी
आपुलीच साथ कधी करीत चाललो

आधीचा प्रसाद घेत, पुडची ऐकीत साद
नादातच शीळ वाजवीत चालतो

खांद्यावर बाळगिते, ओझे सुखदु:खाचे
फेकुन देऊन अता परत चाललो
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स्वर : पंडित वसंतराव देशपांडे
गीत : आ. रा. देशपांडे
संगीत : यशवंत देव

बगल्यानंची माळ फुले



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बगल्यानंची माळ फुले अजुनी अंबरात
भेट तुझी स्मरशी काय तू मनात ?

छेडिती पानात बीन थेंब पावसाचे
ओल्या रानात खुले ऊन अभ्रकाचे
मनकवडा घन घुमतो डोर डोंगरात

त्या गाठी, त्या गोष्टी, नारळिच्या खाली
पौर्णिमाच तव नयनी भर दिवसा झाली !
रिमझिमते अमृत ते विकल अंतरात

हातासह सोन्याची सांज गुंफताना
बगल्यांचे शुभ्र कळे मिळुनी मोजताना
कामालापरी मिटती दिवस उमलुनी तळ्यात

तू गेलीस तोडूनी ती माळ, सर्व धागे,
फडफडणे पंखाचे शुभ्र उरे मागे,
सलते ती तडफड का कधी तुझ्या उरात ?
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गीत : वा. रा. कांत
संगीत : श्रीनिवास खळे
स्वर : पंडित वसंतराव देशपांडे
राग : पहाड़ी (नादवेध)

ह्या कलिका मनातल्या



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उघड्या पुन्हा जहल्या जखमा उरातल्या
फुलती तुझ्या स्मृतींच्या कलिका मनातल्या

येऊ कशा निघोनी पाउल अडखळे
विरहात वेचीताना घटना सुखातल्या

उठता तरंग देही हळूवार भावनांचे
स्मरतात त्या अजुनी भेटी वनातल्या

हासूनिया खुणावी ती रात रंगलेली
तू मोजियास होत्या तारा नभातल्या
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गीत: उमाकांत काणेकर | संगीत: श्रीकांत ठाकरे | स्वर: शोभा गुर्टू | राग: मिश्र भैरवी

राग मेघ | RAAG MEGH



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काल माझ्या 'जंगलात' ह्या वर्षाचा पहिला पाउस बडला आणि मेघ दाटला.
तेव्हा राग मेघ माझ्या मनात टपला.
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संजीव अभ्यंकर | SANJEEV ABHYANKAR
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Raag Megh is one of the oldest raags in Indian classical music. Raag Megh belongs to the kafi thath and is associated with the rainy season.

एक नज़्म | ئیک نجم



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बात निकलेगी तो फिर दूर तलाक़ जाएगी
بات نکلیگی تو پھر دور تلاک جائیگی
लोग बेवजा उदासी का सबब पुच्चेंगे
لوگ بیوجا اُداسی کا سبب پچینگی
यह भी पुच्चेंगे के तुम इतनी परेशहाण क्यूँ हो
یہ بھی پچینگےکےتماتنی پریشہان کیوںھو

उंगलियाँ उठेगी सूखे हुवे बालों की तरफ
اُنگلیاںاُٹھیگی سوکھےھوےبالوںکی ترپھ
एक नज़र देखेंगे गुज़रे हुवे सालों की तरफ
ئیک نظر دکھینگےگجرےھوےسالوںکی ترپھ
चूड़ियो पर भी कई तंज़ किए जाएँगे
چوڑیو پر بھی کئی تنج کئی جائیںگی
काँपते हातहों पे भी फ़िक्र-ए-कसे जाएँगे
کانپتےھاتہوںپےبھی فکر - ئی - کسےجائیںگی

लोग ज़ालिम है हर इक बात का ताना देंगे
جالم ہے ھراک بات کا تانا دنگی
बातों बातों मे मेरा ज़िक्र भी ले आएँगे
باتوںباتوںمیں میرا جکر بھی لےآئیںگی

उनकी बातों का ज़रा सा भी असर मत लेना
اُنکی باتوںکا زرا سا بھی اثر مت لینا
वरना चेहेरे के तासूर से समाज जाएँगे
ورنا چیہیرےکےتاسور سےسماج جائیںگی

चाहे कुच्छ भी हो सावालात ना करना उनसे
چاہےکچچھ بھی ھو ساوالات نا کرنا اُنسی
मेरे बारे मे कोई बात ना करना उनसे
میرےبارےمیں کوئی بات نا کرنا اُنسی
बात निकलेगी तो दूर तलाक़ जाएगी
بات نکلیگی تو دور تلاک جائیگی
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नज़्म निगार : कफील अज़र
نجم نگار : کپھیل اَجر
संगीत : जगजीत सिंग
سنگیت : جگجیت سنگ
गायक : जगजीत सिंग
گایک : جگجیت سنگ

ताज मेहेल मैं आजाना...


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जब आँचल रात का लहराए,
और सारा आलम सो जाए,
तुम मुझसे मिलने, समा जलाकर,
ताजमहल में आ जाना.
तुम मुझसे मिलने, समा जलाकर,
ताजमहल में आ जाना,
जब आँचल रात का लहराए..

यह ताजमहल ज़ो चाहत की,
आँखों का सुनहेरा मोटी है,
हर रात जहाँ दो रूहों की,
खामोशी ज़िंदा होती है,
इस ताज के साए में आकर तुम,
गीत वफ़ा का दोहराना.
तुम मुझसे मिलने, समा जलाकर,
ताजमहल में आ जाना,
जब आँचल रात का लहराए..

तन्हाई है जागी-जागी सी,
माहौल है सोया-सोया हुआ,
जैसे के तुम्हारे ख्वाबों में,
खुद ताजमहल हो खोया हुआ,
हो, ताजमहल का ख्वाब तुम्ही,
यह राज़ ना मैने पहचाना.
तुम मुझसे मिलने, समा जलाकर,
ताजमहल में आ जाना,
जब आँचल रात का लहराए..

जो मौत मोहब्बत में आए,
वो जान से बढ़कर प्यारी है,
दो प्यार भरे दिल रोशन हैं,
वो रात बहुत अंधियारी है,
तुम रात के इस आँधियरे में,
बस एक झलक दिखला जाना,
तुम मुझसे मिलने, समा जलाकर,
ताजमहल में आ जाना,
जब आँचल रात का लहराए..

जब आँचल रात का लहराए,
और सारा आलम सो जाए,
तुम मुझसे मिलने, समा जलाकर,
ताजमहल में आ जाना.
तुम मुझसे मिलने, समा जलाकर,
ताजमहल में आ जाना,
तुम ताजमहल में आ जाना.

उन असो वा असो सावली



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आशा भोसले व अरुण दाते यांनी गुंफलेली एक उत्कृष्ट मराठी भावगीत (किव्हा 'ग़ज़ल' म्हण्यास गयिर नाही)

मैं और मेरी तन्हाई


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आवारा है गलियों में, मैं और मेरी तन्हाई
آوارا ہے گلیوںمیں , میںاور میری تنہائی

जायें तो कहाँ जायें हर मोड़ पे रुसवाई
جایہںتو کہاںجائیں ھر موڑ پےرسوائی

मैं और मेरी तन्हाई
میںاور میری تنہائی

यह फूल से चेहरे है, हसते हुए घुलदस्ते हैं
یہ پھول سےچہرہ ہے , ھستےہوئے گھلدستےہیں

कोई भी नही अपना बेगाने है सब रास्ते
کوئی بھی نہی اپنا بیگانےہے سب راستی

राहें भी तमाशायी
راہیںبھی تماشایی

मैं और मेरी तन्हाई
میںاور میری تنہائی

अरमान सुलगते हैं सिने में चीता जैसे
اَرمان سلگتےہیں سنےمیں چیتا جیسی

कातिल नज़र आती है, दुनिया की हवा जैसे
کاتل نظر آتی ہے , دنیا کی ھوا جیسی

रोटी है मेरे दिल पर, बजाती हुई शहनाई
روٹی ہے میرےدل پر , بجاتی ہوئی شہنائی

मैं और मेरी तन्हाई
میںاور میری تنہائی

आकाश के माथे पर तारों का चारा है
آکاش کےماتھےپر تاروںکا چارا ہے

पहलू में मगर मेरे ज़ख़्मों का गुलिस्ता है
پہلو میں مگر میرےجخموںکا گلستا ہے

आँखों से लहू टपका दामन में बहार आई
آنکھوںسےلہو ٹپکا دامن میں بہار آئی

मैं और मेरी तन्हाई
میںاور میری تنہائی

हर एक बात पे | ہر ایک بات پی


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हर एक बात पे कहते हो तुम की तूऊ क्या है
ہر ایک بات پےکہتےھو تم کی تواُو کیا ہے

तुम्ही कहो के ये अँगाज़-ए-गुफ्तगुउ क्या है
تمہی کہو کےیہ اَنگاج - ئی - گپھتگاُ کیا ہے
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मिर्ज़ा ग़ालिब और बेगम आबिदा परवीन की एक बेहतरीन ग़ज़ल
مرجا غالب اور بیگم آبدا پروین کی ایک بیہترین غزل

कोई पास आया | کوئی پاس آیا


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कोई पास आया सवेरे सवेरे
کوئی پاس آیا سویرےسویری

मुझे आज़माया सवेरे सवेरे
مجھےآزمایا سویرےسویری

मेरी दासतान को ज़रा सा बदल कर
میری داستان کو زرا سا بدل کر

मुझे ही सुनाया सवेरे सवेरे
مجھےھی سنایا سویرےسویری

जो कहता था कल शब् संभालना संभालना
جو کہتا تھا کل شب سنبھالنا سنبھالنا

वही लडखडाया सवेरे सवेरे
وہی لڈکھڈایا سویرےسویری

कटी रात साड़ी मेरी मयकदे में
کٹی رات ساڑی میری میکد میں

खुदा याद आया सवेरे सवेरे
کھدا یاد آیا سویرےسویری
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गीतकार : साहिद राही | ساہد راہی
गायक : जगजीत सिंग | جگجیت سنگ
संगीतकार : जगजीत सिंग | جگجیت سنگ

ज़िंदगी एक ख्वाब हैं

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ज़िंदगी ख्वाब है, ख्वाब में झूठ क्या
और भला सच है क्या
सब सच है
ज़िंदगी ख्वाब है

दिल ने हमसे जो कहा, हमने वैसा ही किया
फिर कभी फ़ुर्सत से सोचेंगे बुरा था या भला
ज़िंदगी ख्वाब है

एक कटरा मैईय का जब, पत्थर के होंठों पर पढ़ा
उसके सीने में भी दिल धड़का ये उसने भी कहा
क्या
ज़िंदगी ख्वाब है

एक प्याली भर के मैने, घाम के मारे दिल को दी
ज़हर ने मारा ज़हर को, मुरड़े में फिर जान आ गई
ज़िंदगी ख्वाब है

गाव दिसू लागले...



सुख आणि दु:ख


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पुन्हा एकदा भटान्नी गुंफलेली आयुषाची बेरिज. जेव्हा जेव्हा आयकतो, गुण गुण तो तेव्हा स्वताः ला स्वतः ची बेरिज करतो.
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भोगले जे दुःख त्याला, सुख म्हणावे लागले
एवढे मी भोगिले की मज हसावे लागले

ठेविले आजन्म डोळे, आपुले मी कोरडे
पण दुजांच्या आसवांनी, मज भिजावे लागले

लोक भेटायास आले, काढत्या पायासवे
अन अखेरी कुशल माझे, मज पुसावे लागले

गवसला नाहीच मजला, चेहरा माझा कधी
मी कशी होते मलाही आठवावे लागले

एकदा केव्हातरी मी वचन कवितेला दिले
राखरांगोळीस माझ्या गुणगुणावे लागले
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गीतकार :सुरेश भट गायक :आशा भोसले संगीतकार :श्रीधर फडके

गुंतवू नको पुन्हा...


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कवितेचा मर्मबंध (मंगेश पाडगावकर), धुंदमधूर बानढिलकी (श्रीनिवास खळे) आणि दोन अलौकिक आवाजांचे हीरे (आशा भोसले व अरुण दाते)

सर्व सर्व विसरु दे गुंतवू नको पुन्हा
येथ जीव जडविणे हाच होतसे गून्हा

हे धुके, अशी हवा, ही उदासता भरे
सूर सूर मिटुनिया लोपलीत पाखरे
हास हास लाडक्या श्रावणातल्य उन्हा

रात्र रात्र जागुनी वाट पहिली कुणी
मंद होऊनी विरे अन् पहाटचान्दणी,
स्वप्न संपुनी असे ये कठोर वांचना

काय मोर तांबतो मेघ दाटता शिरी ?
भान राधिके नुरे ऐकताच बासरी
बंधनात जन्मतो मुक्तिचा खरेपणा

हाक धुंद ही तुझी अंग अंग वेडिते
होऊनी प्रवाह या बंधनात ओढिते
मी मला अजणता गुंतते आशी पुन्हा

हास हास लाडक्या श्रिवणातल्या उन्हा
धुंद धुंद गंध ये दाटूनी फुलाविना

दोस्ती और एहसान | دوستی اور


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दोस्ती और एहसान | دوستی اور ئیہسان
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हम दोस्ती एहसान वफ़ा भूल गये हैं
ہم دوستی ئیہسان وفا بھول گئے ہیں

ज़िंदा तो हैं जीने की अदा भूल गये हैं
جندا تو ہیں جینےکی اَدا بھول گئے ہیں

हम दोस्ती एहसान वफ़ा भूल गये हैं
ہم دوستی ئیہسان وفا بھول گئے ہیں

खुश्बू जो लूटा ती है मसालते है उससी को
کھشبو جو لوٹا تی ہے مسالتےہے اُسسی کو

एहसान का बदला यही मिलता है काली को
ئیہسان کا بدلا یہی ملتا ہے کالی کو

एहसान तो लेते है सिला भूल गये हैं
ئیہسان تو لیتےہے سلا بھول گئے ہیں

हम दोस्ती एहसान वफ़ा भूल गये हैं...
ہم دوستی ئیہسان وفا بھول گئے ہیں

करते है मोहब्बत का और एहसान का सौदा
کیرتےہے موہببت کا اور ئیہسان کا سؤدا

मतलब के लिए करते है ईमान का सौदा
متلب کےلئے کرتےہے ئیمان کا سؤدا

दर्र मौत का और ख़ौफ़-ए-खुदा भूल गये हैं
درر موت کا اور خؤف - ئی - کھدا بھول گئے ہیں

हम दोस्ती एहसान वफ़ा भूल गये हैं...
ہم دوستی ئیہسان وفا بھول گئے ہیں

अब मों के घर पेर कोई पठार नही होता
اَب موںکےگھر پیر کوئی پٹھار نہی ھوتا

अब कोई भजी क़ुरबान किसी पेर नही होता
اَب کوئی بھجی کربان کسی پیر نہی ھوتا

यूँ भटके है मंज़िल का वफ़ा भूल गये हैं...
یوںبھٹکےہے منزل کا وفا بھول گئے ہیں
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रंग माझा वेगळा !


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रंगुनी रंगांत सार्या रंग माझा वेगळा !
गुंतुनी गुंत्यात सार्या पाय माझा मोकळा !
कोण जाणे कोठुनी ह्या सावल्या आल्या पुढे;

मी असा की लागती ह्या सावल्यांच्याही झळा !
राहती माझ्यासवे ही आसवे गीतांपरी;

हे कशाचे दुःख ज्याला लागला माझा लळा!
कोणत्या काळी कळेना मी जगाया लागलो,

अन् कुठे आयुष्य गेले कापुनी माझा गळा ?
सांगती 'तात्पर्य' माझे सारख्या खोट्या दिशा :

'चालणार पांगळा अन् पाहणारा आंधळा !'
माणसांच्या मध्यरात्री हिंडणारा सूर्य मी :

माझियासाठी न माझा पेटण्याचा सोहळा !

मैं चाहता भी यही था...


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मैं चाहता भी यही था वो बेवफा निकले
میںچاہتا بھی یہی تھا وہ بیوپھا نکلی

उससे समझने का कोई तो सिलसिला निकले
اُسسےسمجھنےکا کوئی تو سلسلا نکلی

किताब-ए-माज़ी के पन्ने उलट के देख ज़रा
کتاب - ئی - ماجی کےپننےاُلٹ کےدیکھ
جرا

ना जाने कौनसा पन्ना मुड़ा हुआ निकले
نا جانےکؤنسا صفحہ مڑا ہوا نکلی

किताब-ए-माज़ी के कौनसा उलट के देख ज़रा
کتاب - ئی - ماجی کےکؤنسا اُلٹ
کےدیکھ جرا

ना जाने कौन सा सफ़हा मुड़ा हुआ निकले
نا جانےکون سا سفہا مڑا ہوا نکلی

जो देखने मे बोहोट ही करीब लगता है
جو دیکھنے میں بوہوٹ ھی قریب لگتا ہے

उस के बारे मे सोचु तो फासला निकले
اُس کےبارےمیں سوچ تو پھاسلا نکلی

मैं चाहता भी यही था वो बेवफा निकले
میںچاہتا بھی یہی تھا وہ بیوپھا نکلی

उससे समझने का कोई तो सिलसिला निकले
اُسسےسمجھنےکا کوئی تو سلسلا نکلی
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शायर : वासिम बरेलवी
شیار : واسم بریلوی
मौसिकार : जगजीत सिंह
موسیکار : جگجیت سنگھ
फनकार : जगजीत सिंह
فنکار : جگجیت سنگھ

चार होत्या पक्षिणी त्या



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चार होत्या पक्षिणी त्या रात्र होती वादळी
चार कंठी बांधलेली एक होती साखळी

दोन होत्या त्यात हंसी राजहंसी एक ती
आणि एकीला कळेना जात माझी कोणती

शुभ्र पंखांतून त्यांच्या वीज होती साठली
ना कळे एकीस की माझी लियाकत कोठली

तोडुनी आंधी तुफाने चालल्या, ती चालली
तीन होत्या दीपमाला एक होती सावली

बाण आला तो कोठुन जायबंदी हो गळा
सावलीला जाण आली जात माझी कोकिळा

कोकिळेने काय केले ? गीत झाडांना दिले
आणि मातीचे नभाशी एक नाते सांधले

मी सुरांच्या अत्तराने रात्र सारी शिंपली
साधनेवर वेदनेवर रागदारी ओतली

ती म्हणाली, एकटी मी राहिले तर राहिले
या स्वरांचे सूर्य झाले, यात सारे पावलेहोती
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नाटक : वीज म्हणाली धरतीला (१९७०)
गीत : वि. वा. शिरवाडकर
संगीत : पं. वसंतराव देशपांडे
स्वर : फैयाज

आधार कसा शोधावा




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मन मनास उमगत नाही, आधार कसा शोधावा ?
स्वप्नातील पदर धुक्याचा, हातास कसा लागावा ?

मन थेंबांचे आकाश, लाटांनी सावरलेले
मन नक्षत्रांचे रान, अवकाशी अवतरलेले
मन गरगरते आवर्त, मन रानभूल, मन चकवा

मन काळोखाची गुंफा, मन तेजाचे राऊळ
मन सैतानाचा हात, मन देवाचे पाऊल
दुबळया, गळक्या झोळीत हा सूर्य कसा झेलावा

चेहरा, मोहरा ह्याचा कुणी कधी पाहीला नाही
धनी अस्तित्वाचा तरीही, ह्याच्याविण दुसरा नाही
ह्या अनोळखी नात्याचा, कुणी कसा भरवसा द्यावा
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गीतकार :सुधीर मोघे
गायक :श्रीधर फडके
संगीतकार :श्रीधर फडके


EAST & WEST



(in the heart of my 'juntion point' at http://my-auroville-diary.blogspot.com/)

सुंदर ते ध्यान | சுந்தர் தே தியங்

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सुंदर ते ध्यान उभे विठेवरी
कर कतवरी तेहुनिया

तुळसी हार गळा कांसे पीटंबेर
आवडे निरंतर तेचि रूप

मकर कुंडले तळपटी श्रवणी
कांती कौस्थुभमणी विराजाती

तुका म्हणे मेज़ हेची सर्व सुख
पाहिना श्रिमुख आवडीने
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पुन्हा एकदा...
भक्तीगीत : सुंदर ते ध्यान
शब्द : संत तुकाराम
स्वर : पंडित कुमार गंधर्व


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சுந்தர் தே தியங் உபே விட்ஹெவரீ
கார் கடதவறீ தேஹுணிய

துளஸீ ஹார் கால காண்ஸெ பீடாம்பேர்
ஆவ்தே நிரண்தார் தேசி ரூப்

மாக்கார் குண்த்லே தளபடீ ஷ்ர்வணி
காந்தி கௌஸ்த்துப்மணீ வீராஜடீ

தூக்க ம்ஹணெ மேஸ் ஹேசி சார்வ் சூக்
பஹினா ஷ்ரிமுக் ஆவாதினே
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ஸ்வரம் : ச். சுபுலக்ஷ்மீ

गेले ते दिन गेले



वेगवेगळी फुले उमलली, रचुनि त्यांचे झेले; एकमेकांवरी उधळले, गेले ते दिन गेले
कदंब तरुला बांधून दोला, उंच खालती झोले; परस्परांनी दिले घेतले, गेले ते दिन गेले
हरीत बिलोरी वेलबुटीवरी, शीतरसांचे प्याले; अन्योन्यांनी किती झोकले, गेले ते दिन गेले
निर्मल भावे नव देखावे, भरुनी दोन्ही डोळे ; तू मी मिळूनी रोज पाहिले, गेले ते दिन गेले


या चिमण्यांनो परत फिरा रे



या चिमण्यांनो परत फिरा रे, घराकडे अपुल्या
जाहल्या तिन्हीसांजा जाहल्या

दहा दिशांनी येईल आता, अंधाराला पूर
अशा अवेळी असू नका रे आईपासुन दूर
चुकचुक करिते पाल उगीचच चिंता मज लागल्या

इथे जवळच्या टेकडीवरती, आहो आम्ही आई
अजून आहे उजेड इकडे, दिवसहि सरला नाही
शेळ्या, मेंढ्या अजुन कुठे ग, तळाकडे उतरल्या

अवतीभवती असल्यावाचुन, कोलाहल तुमचा
उरक न होतो आम्हा आमुच्या कधिही कामाचा
या बाळांनो, या रे लौकर, वाटा अंधारल्या
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गीत : ग. दि. माडगूळकर
संगीत : श्रीनिवास खळे
स्वर : लता मंगेशकर
चित्रपट : जिव्हाळा (१९६८).

संगीत...

इये मराठीची नगरी

ऐतबार

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किसी नज़र को तेरा, ऐतबार आज भी हैं
कहा हो तुम के ये दिल बेकरार आज भी हैं

वो वादिया, वो फिजायँ के हम मिले थे जहाँ
मेरी वफ़ा कॅया वही पर मज़ार आज भी हैं

न जाने देख के क्यू उन को ये हुआ एहसास
के मेरे दिल पे उन्हे इकतियार आज भी हैं

वो प्यार जिस के लिए ह्युमेन छ्चोड़ डी दुनियाँ
वफ़ा की राह में घायल वो प्यार आज भी हैं

यकीन नहीं हैं मगर आज भी ये लगता हैं
मेरी तलाश में शायद बहार आज भी हैं

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इये मराठीची नगरी

ख़ुशी दो घडी की मिले ना मिले

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खुशी दो घड़ी की, मिले ना मिले
शमा आरज़ू की, जले ना जले
खुशी दो घड़ी की ...

रहेगुज़र में कही मंज़िलें भी मिलें (२)
देख कर एक पल, दम लिया फिर चले
खुशी दो घड़ी की ...

हर कदम पर नये मरहजे थे खड़े (२)
हम चले दिल चला, दिल चला हम चले
खुशी दो घड़ी की ...
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Desire to Smile

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The desire to smile
has made me shed tears and
pain is my only companion.
Day was squandered for a living
and I yearn for love...
Even the stars sigh for me
and dreams are nothing but a farce
Which are those nimble footsteps
and this smiling tenderness ?
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साथ साथ

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मिलकर जुड़ा हुए तो ना सोया करेंगे हम
एक दूसरे के याद में रोया करेंगे हम

आँसू चालक चालक के सताएँगे रात भर
मोटी पालक पालक में पिरोया करेंगे हम

जब दूरियों की याद दिलों को जलाएगी
जिस्मों को चाँदनी में भिगोया करेंगे हम

गर दे गया दागा हमें तूफान भी 'क़तील'
साहिल पे कश्टियों को दूबोय करेंगे हम
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milkar juda huye tho na soya karenge hum
ek doosre ke yaad mein roya karenge hum

aansoo chalak chalak ke sathaayenge raath bhar
moti palak palak mein piroyaa karenge hum

jab dooriyon ki yaad dilon ko jalaayegi
jismon ko chaandni mein bhigoya karenge hum

gar de gaya daga hamen toofan bhi 'qateel'
sahil pe kashtiyon ko doobOya karenge hu
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दिया यह दिल अगर

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दिया यह दिल अगर उसको बशर है क्या कहिए
हुआ रक़ीब तो हो नामबर है क्या कहिए

दिया है दिल अगर उस को, बशर है क्या कहिए
हुआ रक़ीब तो हो, नामबर है, क्या कहिए

ये ज़िद, क आज ना आव और आए बिन ना रहे
क़ज़ा से शिकवा हमें किस क़दर है, क्या कहिए

रहे है यूँ गाह-ओ-बेगह क कू-ए-दोस्त को अब
अगर ना कहिए क दुश्मन का घर है, क्या कहिए

ज़िह-ए-करिश्मा क यूँ दे रखा है हमको फरेब
क बिन कहे ही उन्हें सब खबर है, क्या कहिए

समझ क करते हैं बाज़ार में वो पूरसिष-ए-हाल
क ये कहे की सर-ए-रहगुज़ार है, क्या कहिए

तुम्हें नही है सर-ए-रिश्ता-ए-वफ़ा का ख़याल
हमारे हाथ में कुछ है, मगर है क्या कहिए

उन्हें सवाल पे ज़ावं-ए-जुनून है, क्यूँ लारिय
हमें जवाब से क़तअ-ए-नज़र है, क्या कहिए

हसद सज़ा-ए-कमाल-ए-सुखन है, क्या कीजे
सितम, बहा-ए-माता-ए-हुनर है, क्या कहिए

कहा है किसने क ग़ालिब बुरा नही लेकिन
सिवाय इसाक की अशुफ़्तसर है क्या कहिए
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diya hai dil agar us ko, bashar hai kya kahiye
hua raqib to ho, namabar hai, kya kahiye

ye zid, k aj na awe aur aye bin na rahe
qaza se shikwa hamein kis qadar hai, kya kahiye

rahe hai yun gah-o-begah k ku-e-dost ko ab
agar na kahiye k dushman ka ghar hai, kya kahiye

zih-e-karishma k yun de rakha hai hamko fareb
k bin kahe hi unhen sab khabar hai, kya kahiye

samajh k karte hain bazar mein wo pursish-e-hal
k ye kahe ki sar-e-rahguzar hai, kya kahiye

tumhen nahi hai sar-e-rishta-e-wafa ka khayal
hamare hath mein kuch hai, magar hai kya kahiye

unhen sawal pe zaom-e-junun hai, kyun lariye
hamein jawab se qata-e-nazar hai, kya kahiye

hasad saza-e-kamal-e-sukhan hai, kya kije
sitam, baha-e-mataa-e-hunar hai, kya kahiye

kaha hai kisne k "ghalib" bura nahi lekin
siway isak ki ashuftasar hai kya kahiye
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Shaayar : Mirza Ghalib
Singer : Mohd. Rafi