हम कितने एकाकी


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सांझ ढले गगन तले
हम कितने एकाकी
सांझ ढले गगन तले
हम कितने एकाकी
छ्होड चले नैनो को
किरणों के पाख़ी
पाठ की जाली से झाँक रही तीन कलियाँ - २

गंध भारी गुनगुण में मगन हुई तीन कलियाँ
इतने में तिमिर डासा सपने ले नयनो में
कलियों के आँसुओं का कोई नहीं साथी
छ्चोड़ चले नयनो को
किरणों के पाख़ी
सांझ ढले गगन तले
जुगनूउ का पाट ओढे आएगी रात अभी - २

निशिगंधा के सुर में कह देगी बात सभी
कपटा है मान जैसे डाली अंबावा की
छ्होड चले नयनो को
किरणों के पाख़ी
सांझ ढले गगन तले
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चित्रपाट : उत्सव
शायर : वसंत देव
संगीतकार : लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
स्वर : सुरेश वाडकर




मी असा कसा ?


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गीत: सुधीर मोगे
संगीत: आनंद मोडक
स्वर: आशा भोसले, रविंद्र साठे, अंजली मराठे
चित्रपट: चौकट राजा



हे जीवन सुंदर आहे


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हे जीवन सुंदर आहे !

नितळ निळाई आकाशाची अन् क्षितिजाची लाली
दवांत भिजल्या वाटेवरती किरणांची रांगोळी
कोठेही जा अवतीभवती निसर्ग एकच आहे
हे जीवन सुंदर आहे !

पानांमाधली सळसळ हिरवी अन किलबील पक्षांची
झूळझुळ पाणी वेळूमधुनी खुळी शीळ वार्‍याची
इथेतिथे संगीत अनामिक एकच घुमते आहे
हे जीवन सुंदर आहे !
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गीत: सुधीर मोगे
संगीत: आनंद मोडक
स्वर: आशा भोसले, रविंद्र साठे, अंजली मराठे
चित्रपट: चौकट राजा






ज़िंदगी धूप तुम घना साया


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तुम को देखा तो ये ख़याल आया
ज़िंदगी धूप तुम घना साया

आज फिर दिल ने इक तमन्ना की
आज फिर दिल को हम ने समझाया

तुम चले जाओगे तो सोचेंगे
हम ने क्या खोया हम ने क्या पाया

हम जिसे गुनगुना नहीं सकते
वक़्त ने ऐसा गीत क्यूँ गाया