पंथी हून मैं उस पथ का

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पंथी हून मैं उस पथ का, अंत नही जिसका
आस मेरी है जिसकी दिशा, आधार मेरे मान का

सांगी साथी मेरे, आँधियारे उजियारे
मुझको राह दिखाएँ, पलच्चीं के फुलझारे
पथिक मेरे पाठ के सब तारे, और नीला आकाश
पंथी हून मैं उस पाठ का

इस पाठ पर देखे कितने, सुख दुख के मेले
फूल चुने कभी खुशियों के
कभी कातों से खेले, जाने कब तक चलना है
मुझे इस जीवन के साथ, पंथी हून मैं उस पथ का
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