मरीज़ इश्क का क्या हैं

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मरीज़ इश्क़ का क्या है, जिया जिया ना जिया
है एक साण्स का झग्ड, लिया लिया ना लिया

बदन ही आज अगर तार-तार है मेरा
तो एक चाक गरीबाण सिया सिया ना सिया

ये और बात के तू हर रहे-ख़याल मेइण है
के तेरा नाम zअबाण से लिया लिया ना लिया

मेरे ही नाम पे आया है जाम महफ़िल मेइण
ये और बात के मैने पिया पिया ना पिया

ये हाले दिल है सफ़ी मैण तो सोचता ही नहीं
के क्यूण किसी ने सहारा दिया दिया ना दिया
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शायर : डॉ. शफी हसन
मौसिकार : हरिहरन
फनकार : हरिहरन