रिश्ता

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रिश्ता क्या है तेरा मेरा, मैं हूं शब और तू है सवेरा

तू है चाँद सीटोरोँ जैसा, मेरी किस्मत घोर अंधेरा

फूलों जैसे राहें तेरी, काटो जैसा मेरा डेरा

आता जाता है ए जीवन, पल-दो-पल का रैन बसेरा

(*ऎ मेरी मेहजबीन*)

अवेळीच केव्हा दाटला अंधार

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अवेळीच केव्हा दाटला अंधार
तिच्या गळा जड झाले काळे सर
एकदा मी तिच्या डोळ्यात पाहिले
हासताना नभ कळून गेले

पुन्हा मी पाहिले तिला अंगभर
तिच्या कासोळीला चांदण्याचा जर
आणि माझा मला पडला विसर
मिटीत थरके भरातील ज्वार

कितीक दिसांची पुन्हा ती भेटली
तिच्या ओटी कुण्या राव्याची साउली
त्या डोळियात जरा मी पाहिले
काजळात चंद्र पुडून गेले
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गीत : ना. धो. महानोर
संगीत व स्वर : श्रीधर फडके


सलाम कीजिए

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कोइना हो या सोनिया हो
ममता की आंचल हो या मायावती जाल...

उन्हे सलाम कीजिए !!!

ओ मृगनयनी चंद्रमुखी


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ओ मृग नयनी चंद्र मुखी, मैं हु तेरा प्रेम दिवाना
सून रतीय मन बतिया मेरे ओ सून रतिया मेरे
मुझे तू भूल ना जाना आ आ आ आ आ ........
मृग नयनी चान्रामुखी
जब जब मेरे नैनो से उलझे मद भर तेरे नैना
तब तब मन मै मेहेक उठे पहले सुहाग की रैना
आ आ आ आ आ आ
मृग नयनी चंद्र मुखी ....
आरमा याही है हाथो से तेरे पान सदा खाऊ रे
तेरी बाहो मी सांस लु मैं चरणो पे मर जाऊ रे
ओ मेरी जान फिर ऐसी कभी बात जुबान पे ना लाना २
साथ जिए है साथ मरेंगे गाते गाते गाना
मृग नयनी चंद्र मुखी ....
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चलचित्र : रंग बिरंगी
डाइरेक्टर : हृषिकेश मुखेर्जी
संगीतकार : राहुल देव बर्मन
गीतकार : योगेश
स्वर : डॉक्टर. वसंतराव देशपांडे और फ़ैयाज़

हंगामा

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When I first heard ghazals I knew only Pankaj Udaas. But during the time of Marathi Sahitya Sammhelan, on the pave lawn of Kala Academy in Panaji, the chairperson was (at that time) Ranjit Desai. He and his wife, Madhavi Desai, were staying at Hotel Samraat in Panaji. During that period, he noticed that I was hearing the ghazals sung by Pankaj Udaas on my walkman player. He told me to stop it and gave me a different ghazal cassette instead. I realized that my perspective of ghazals voluminously changed and that too entirely. Here is the first that I heard, cherished, enjoyed and shared with all who will love it too, sung and composed by nun other the Ghulaam Ali !!!
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हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं डाला चोरी तो नही की है

ना-तजुर्बाकारी से वाइज़ की ये बातें है
इस रंग को क्या जाने पुउछो तो कभी पी है

उस मई से नहिी.न मतलब दिल जिस से हो बेगाना
मक़सूद है उस मई से दिल ही में जो खिचकी है

वह दिल में की सदमे दो या जी में के सब सह लो
उन का भी अजब दिल है मेरा भी अजब जी है

हर ज़र्रा चमकता हैं अंवार-ए-इलाही से
हर साँस ये कहती हैं हम हैं तो खुदा भी हैं

सूरज में लगे धब्बा फितरत के करिश्मे हैं
बुत हम को कहें काफ़िर अल्लाह की मर्ज़ी हैं
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शायर : अकबर अल्लहाबादी
फ़नकार: गुलाम अली


"मौसम" का दूसरा पेहेलू

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दिल डूंडता हैं फिर वही फुर्सत के रात दिल
बैठे राहे तसव्वुर-ए-जाना कीये हुए....
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गीतकार: गुलझार
संगीतकार: मदन मोहन
स्वर: भुपेंदर और लता मंगेशकर
निदेशक: गुलझार
चलचित्र: मौसम


चुपके चुपके रात दिन

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चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है
उन्को अब तक आशिक़ुई का वोह जमाना याद है

खेंच ले ना वोह मेरा परदे का कोना दफ्फतन
और दुप्पटे से तेरा वोह मूह छुपाना याद है

दो पहेर की धूप में मेरे बुलाने के लिये
वोह तेरा कोठे पे नन्गे पाव आना याद है

हुमको अब ताक आशिक़ुई का वोह जमाना याद है
चुपके चुपके रात दिन आंसू जमाना याद है
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چپکےچپکےرات دن آنسو بہانا یاد ہے
اُنکو اب تک آشکئی کا وہہ جمانا یاد ہے

کھینچ لےنا وہہ میرا پرد کا کونا دپھپھتن
اؤر دپپٹےسےتیرا وہہ موہ چھپانا یاد ہے

دو پہیر کی دھوپ میں میرےبلانےکےلیے
وہہ تیرا کوٹھےپےننگےپاو آنا یاد ہے

ہمکو اب تاک آشکئی کا وہہ جمانا یاد ہے
چپکےچپکےرات دن آنسو جمانا یاد ہے