राग मेघ | RAAG MEGH



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काल माझ्या 'जंगलात' ह्या वर्षाचा पहिला पाउस बडला आणि मेघ दाटला.
तेव्हा राग मेघ माझ्या मनात टपला.
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संजीव अभ्यंकर | SANJEEV ABHYANKAR
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Raag Megh is one of the oldest raags in Indian classical music. Raag Megh belongs to the kafi thath and is associated with the rainy season.

एक नज़्म | ئیک نجم



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बात निकलेगी तो फिर दूर तलाक़ जाएगी
بات نکلیگی تو پھر دور تلاک جائیگی
लोग बेवजा उदासी का सबब पुच्चेंगे
لوگ بیوجا اُداسی کا سبب پچینگی
यह भी पुच्चेंगे के तुम इतनी परेशहाण क्यूँ हो
یہ بھی پچینگےکےتماتنی پریشہان کیوںھو

उंगलियाँ उठेगी सूखे हुवे बालों की तरफ
اُنگلیاںاُٹھیگی سوکھےھوےبالوںکی ترپھ
एक नज़र देखेंगे गुज़रे हुवे सालों की तरफ
ئیک نظر دکھینگےگجرےھوےسالوںکی ترپھ
चूड़ियो पर भी कई तंज़ किए जाएँगे
چوڑیو پر بھی کئی تنج کئی جائیںگی
काँपते हातहों पे भी फ़िक्र-ए-कसे जाएँगे
کانپتےھاتہوںپےبھی فکر - ئی - کسےجائیںگی

लोग ज़ालिम है हर इक बात का ताना देंगे
جالم ہے ھراک بات کا تانا دنگی
बातों बातों मे मेरा ज़िक्र भी ले आएँगे
باتوںباتوںمیں میرا جکر بھی لےآئیںگی

उनकी बातों का ज़रा सा भी असर मत लेना
اُنکی باتوںکا زرا سا بھی اثر مت لینا
वरना चेहेरे के तासूर से समाज जाएँगे
ورنا چیہیرےکےتاسور سےسماج جائیںگی

चाहे कुच्छ भी हो सावालात ना करना उनसे
چاہےکچچھ بھی ھو ساوالات نا کرنا اُنسی
मेरे बारे मे कोई बात ना करना उनसे
میرےبارےمیں کوئی بات نا کرنا اُنسی
बात निकलेगी तो दूर तलाक़ जाएगी
بات نکلیگی تو دور تلاک جائیگی
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नज़्म निगार : कफील अज़र
نجم نگار : کپھیل اَجر
संगीत : जगजीत सिंग
سنگیت : جگجیت سنگ
गायक : जगजीत सिंग
گایک : جگجیت سنگ

ताज मेहेल मैं आजाना...


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जब आँचल रात का लहराए,
और सारा आलम सो जाए,
तुम मुझसे मिलने, समा जलाकर,
ताजमहल में आ जाना.
तुम मुझसे मिलने, समा जलाकर,
ताजमहल में आ जाना,
जब आँचल रात का लहराए..

यह ताजमहल ज़ो चाहत की,
आँखों का सुनहेरा मोटी है,
हर रात जहाँ दो रूहों की,
खामोशी ज़िंदा होती है,
इस ताज के साए में आकर तुम,
गीत वफ़ा का दोहराना.
तुम मुझसे मिलने, समा जलाकर,
ताजमहल में आ जाना,
जब आँचल रात का लहराए..

तन्हाई है जागी-जागी सी,
माहौल है सोया-सोया हुआ,
जैसे के तुम्हारे ख्वाबों में,
खुद ताजमहल हो खोया हुआ,
हो, ताजमहल का ख्वाब तुम्ही,
यह राज़ ना मैने पहचाना.
तुम मुझसे मिलने, समा जलाकर,
ताजमहल में आ जाना,
जब आँचल रात का लहराए..

जो मौत मोहब्बत में आए,
वो जान से बढ़कर प्यारी है,
दो प्यार भरे दिल रोशन हैं,
वो रात बहुत अंधियारी है,
तुम रात के इस आँधियरे में,
बस एक झलक दिखला जाना,
तुम मुझसे मिलने, समा जलाकर,
ताजमहल में आ जाना,
जब आँचल रात का लहराए..

जब आँचल रात का लहराए,
और सारा आलम सो जाए,
तुम मुझसे मिलने, समा जलाकर,
ताजमहल में आ जाना.
तुम मुझसे मिलने, समा जलाकर,
ताजमहल में आ जाना,
तुम ताजमहल में आ जाना.

उन असो वा असो सावली



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आशा भोसले व अरुण दाते यांनी गुंफलेली एक उत्कृष्ट मराठी भावगीत (किव्हा 'ग़ज़ल' म्हण्यास गयिर नाही)

मैं और मेरी तन्हाई


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आवारा है गलियों में, मैं और मेरी तन्हाई
آوارا ہے گلیوںمیں , میںاور میری تنہائی

जायें तो कहाँ जायें हर मोड़ पे रुसवाई
جایہںتو کہاںجائیں ھر موڑ پےرسوائی

मैं और मेरी तन्हाई
میںاور میری تنہائی

यह फूल से चेहरे है, हसते हुए घुलदस्ते हैं
یہ پھول سےچہرہ ہے , ھستےہوئے گھلدستےہیں

कोई भी नही अपना बेगाने है सब रास्ते
کوئی بھی نہی اپنا بیگانےہے سب راستی

राहें भी तमाशायी
راہیںبھی تماشایی

मैं और मेरी तन्हाई
میںاور میری تنہائی

अरमान सुलगते हैं सिने में चीता जैसे
اَرمان سلگتےہیں سنےمیں چیتا جیسی

कातिल नज़र आती है, दुनिया की हवा जैसे
کاتل نظر آتی ہے , دنیا کی ھوا جیسی

रोटी है मेरे दिल पर, बजाती हुई शहनाई
روٹی ہے میرےدل پر , بجاتی ہوئی شہنائی

मैं और मेरी तन्हाई
میںاور میری تنہائی

आकाश के माथे पर तारों का चारा है
آکاش کےماتھےپر تاروںکا چارا ہے

पहलू में मगर मेरे ज़ख़्मों का गुलिस्ता है
پہلو میں مگر میرےجخموںکا گلستا ہے

आँखों से लहू टपका दामन में बहार आई
آنکھوںسےلہو ٹپکا دامن میں بہار آئی

मैं और मेरी तन्हाई
میںاور میری تنہائی

हर एक बात पे | ہر ایک بات پی


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हर एक बात पे कहते हो तुम की तूऊ क्या है
ہر ایک بات پےکہتےھو تم کی تواُو کیا ہے

तुम्ही कहो के ये अँगाज़-ए-गुफ्तगुउ क्या है
تمہی کہو کےیہ اَنگاج - ئی - گپھتگاُ کیا ہے
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मिर्ज़ा ग़ालिब और बेगम आबिदा परवीन की एक बेहतरीन ग़ज़ल
مرجا غالب اور بیگم آبدا پروین کی ایک بیہترین غزل

कोई पास आया | کوئی پاس آیا


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कोई पास आया सवेरे सवेरे
کوئی پاس آیا سویرےسویری

मुझे आज़माया सवेरे सवेरे
مجھےآزمایا سویرےسویری

मेरी दासतान को ज़रा सा बदल कर
میری داستان کو زرا سا بدل کر

मुझे ही सुनाया सवेरे सवेरे
مجھےھی سنایا سویرےسویری

जो कहता था कल शब् संभालना संभालना
جو کہتا تھا کل شب سنبھالنا سنبھالنا

वही लडखडाया सवेरे सवेरे
وہی لڈکھڈایا سویرےسویری

कटी रात साड़ी मेरी मयकदे में
کٹی رات ساڑی میری میکد میں

खुदा याद आया सवेरे सवेरे
کھدا یاد آیا سویرےسویری
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गीतकार : साहिद राही | ساہد راہی
गायक : जगजीत सिंग | جگجیت سنگ
संगीतकार : जगजीत सिंग | جگجیت سنگ