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खुशी दो घड़ी की, मिले ना मिले
शमा आरज़ू की, जले ना जले
खुशी दो घड़ी की ...
रहेगुज़र में कही मंज़िलें भी मिलें (२)
देख कर एक पल, दम लिया फिर चले
खुशी दो घड़ी की ...
हर कदम पर नये मरहजे थे खड़े (२)
हम चले दिल चला, दिल चला हम चले
खुशी दो घड़ी की ...
शमा आरज़ू की, जले ना जले
खुशी दो घड़ी की ...
रहेगुज़र में कही मंज़िलें भी मिलें (२)
देख कर एक पल, दम लिया फिर चले
खुशी दो घड़ी की ...
हर कदम पर नये मरहजे थे खड़े (२)
हम चले दिल चला, दिल चला हम चले
खुशी दो घड़ी की ...
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स्वर : किशोर कुमार
June 9, 2011 at 3:24:00 PM GMT+5:30
v nice
June 9, 2011 at 3:24:00 PM GMT+5:30
behad sunder...............hrudayasparshi...........
June 9, 2011 at 3:59:00 PM GMT+5:30
beautiful background it reminds me my heaven! my young days ! and my parents and surroundings.
June 9, 2011 at 4:21:00 PM GMT+5:30
kya bat hai abhi.................shabba khair.........:
June 9, 2011 at 4:50:00 PM GMT+5:30
शमा आरज़ू की, जले ना जले.............................. खुशी दो घड़ी की, मिले ना मिले...good1
June 10, 2011 at 8:19:00 AM GMT+5:30
wat a pain in voice... .....so painful is the loneliness and the feeling of dejection...