यह दिन क्या आए लगे फूल हंसने


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यह दिन क्या आए लगे फूल हंसने
देखो बसंती बसंती, होने लगे मेरे सपने

सोने जैसी हो रही हैं हर सुबह मेरी
लगे हर सांझ अब गुलाल से भारी
चलने लगी महकी हुई पवन मगन झूम के
आँचल तेरा झूम के

वहाँ मन बावरा, आज उड़ चला
जहाँ पर हैं गगन सलोना सावला
जाके वही रख दे कहीं मान रंगों में खोल के
सपने ये अनमोल से

यह दिन क्या आए लगे फूल हसने
देखो बसंती बसंती, होने लगे मेरे सपने
यह दिन क्या आए लगे फूल हंसने
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स्वर : मुकेश

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