महफ़िल में बार बार किसी पर नज़र गई


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तेरी बात ही सुनाने आये, दोस्त भी दिल ही दुखाने आये
फूल खिलते हैं तो हम सोचते हैं तेरे आने का ज़माने आये
शायद मुझे निकाल के पछता रहे हो आप
महफ़िल में इस ख़याल से फिल आ गया हूँ मैं

महफ़िल में बार बार किसी पर नज़र गई
हमने बचाई लाख मगर फिर उधर गई

उनकी नज़र में कोई तो जादू ज़ुरूर है
जिस पर पड़ी, उसी के जिगर तक उतर गई

उस बेवफा की आँख से आंसू झलक पड़े
हसरत भारी निगाह बड़ा काम कर गई

उनके जमाल-इ-रुख पे उन्ही का जमाल था
वोह चल दिए तो रौनक-इ-शाम-ओ-सहर गई

उनको खबर करो के है बिस्मिल करीब-इ-मर्ग
वोह आयेंगे ज़ुरूर जो उन तक खबर गई
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शायर : आगा बिसमिल
मौसीकार और फनकार : गुलाम अली

7 Response to "महफ़िल में बार बार किसी पर नज़र गई"

  1. anita dhillon Says:
    June 28, 2011 at 6:21:00 PM GMT+5:30

    Gulam Ali Sahib key kya kehney. Aur aap key bhee kya kehney!!

  2. Anita Dhillon Says:
    June 28, 2011 at 6:23:00 PM GMT+5:30

    fb ki mehfil may baar baar kissi pey nazar gayee .buddy i know u were also singing along with this ghazal . i could hear u .

  3. Anita Dhillon Says:
    June 28, 2011 at 6:23:00 PM GMT+5:30

    hum ney bachaayee laakh magar fir udar gayee!

  4. Mustufa Durwesh Says:
    June 29, 2011 at 7:11:00 AM GMT+5:30

    unki nazar me koi to...jaadu zaroor hai
    jis par padi useeke jigar tak utar gayee...

  5. Anita Dhillon Says:
    June 30, 2011 at 3:53:00 PM GMT+5:30

    bahut sey afsaney bayaan karti yeh ghazal!

  6. Anita Dhillon Says:
    June 30, 2011 at 4:03:00 PM GMT+5:30

    superb !

  7. Anita Dhillon Says:
    August 12, 2011 at 7:30:00 PM GMT+5:30

    mehfil mai baar baar kissi per nazar gayee!unki nazar mai koyee zhaadoo zaroor thaa!

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