बिन बारिष बरसात ना होगी


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बिन बारिष बरसात ना होगी
रात गयी तो रात ना होगी

राज़-इ-मोहब्बत तुम मत पूछो
मुझसे तो ये बात ना होगी

किस से दिल बहलाओगे तुम
जिस दम मेरी ज़ात ना होगी

अश्क भी अब ना पैद हुए हैं
शायम अब बरसात ना होगी

यूं देखेंगे आरिफ उसको
बीच में अपनी ज़ात ना होगी
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शायर : खालिद महमूद आरिफ़
मौसीकार/फनकार : गुलाम अली

3 Response to "बिन बारिष बरसात ना होगी"

  1. SUBHI Says:
    June 15, 2011 at 9:10:00 PM GMT+5:30

    जीवन में सब कुच्छ है ...फिर कुच्छ भी नही.....
    आंखे देखे मगर एहसास नही .....
    गुल है पार गुलशन नही ......हवा का एहसास है फिर सांस नही
    ऐसा ही है कुच्छ .....
    आंसू है मगर रोने का एहसास नही ....
    तुम हो भी साथ में पार साथ नही........

    अभी.... तुम ये सारी गजले कहां से लाते हो.....इतने vibrations create क्यून करते रहते हो...lolzzzz

    बहुत अच्छा लागा तुम्हारा VIDEO क्रिएशन .......

  2. Anita Dhillon Says:
    August 12, 2011 at 7:27:00 PM GMT+5:30

    rain brings life back i just love the rainy season!

  3. Anita Dhillon Says:
    August 12, 2011 at 7:28:00 PM GMT+5:30

    yioon daikheyengey aarif abb usko beech main apni zhaat naa hogee!

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