रात आधी खींचकर मेरी हथेली


__________________


रात आधी, खींच कर मेरी हथेली एक उंगली से लिखा था 'प्यार' तुमने।

फ़ासला था कुछ हमारे बिस्तरों में
और चारों ओर दुनिया सो रही थी,
तारिकाएँ ही गगन की जानती हैं
जो दशा दिल की तुम्हारे हो रही थी,
मैं तुम्हारे पास होकर दूर तुमसे

अधजगा-सा और अधसोया हुआ सा,

रात आधी, खींच कर मेरी हथेली
एक उंगली से लिखा था 'प्यार' तुमने।

एक बिजली छू गई, सहसा जगा मैं,
कृष्णपक्षी चाँद निकला था गगन में,
इस तरह करवट पड़ी थी तुम कि आँसू
बह रहे थे इस नयन से उस नयन में,
मैं लगा दूँ आग इस संसार में है
प्यार जिसमें इस तरह असमर्थ कातर,
जानती हो, उस समय क्या कर गुज़रने
के लिए था कर दिया तैयार तुमने!
रात आधी, खींच कर मेरी हथेली एक उंगली से लिखा था 'प्यार' तुमने।

प्रात ही की ओर को है रात चलती
औ’ उजाले में अंधेरा डूब जाता,
मंच ही पूरा बदलता कौन ऐसी,
खूबियों के साथ परदे को उठाता,
एक चेहरा-सा लगा तुमने लिया था,
और मैंने था उतारा एक चेहरा,
वो निशा का स्वप्न मेरा था कि अपने पर
ग़ज़ब का था किया अधिकार तुमने।
रात आधी, खींच कर मेरी हथेली एक उंगली से लिखा था 'प्यार' तुमने।

और उतने फ़ासले पर आज तक सौ
यत्न करके भी न आये फिर कभी हम,
फिर न आया वक्त वैसा, फिर न मौका
उस तरह का, फिर न लौटा चाँद निर्मम,
और अपनी वेदना मैं क्या बताऊँ,
क्या नहीं ये पंक्तियाँ खुद बोलती हैं--
बुझ नहीं पाया अभी तक उस समय जो
रख दिया था हाथ पर अंगार तुमने।
रात आधी, खींच कर मेरी हथेली एक उंगली से लिखा था 'प्यार' तुमने।

 ___________

कवि (पिताह:):
हरिवौन्शराय बच्चन
स्वर (बेटा):
अमिताभ बच्चन

11 Response to "रात आधी खींचकर मेरी हथेली"

  1. Surekha Ja Says:
    October 15, 2010 at 12:01:00 PM GMT+5:30

    "फसला कुश्च था हमारे बिस्तरोन में.....और चारो ओर दुनिया सो राही थी
    और उतने फासले पर आज तक सौ यज्ञ कर के भी न आए फिर कभी हम....
    फिर न आया वक्त वैसा ...फिर न मौका उस तऱ्ह का
    This is really one of the unique posts.....m touched .......AB's voice is so powerful......thanks !!

  2. Ravindra Nevgi Says:
    October 15, 2010 at 12:02:00 PM GMT+5:30

    wah!wah!!

  3. Arun Misra Says:
    October 15, 2010 at 12:02:00 PM GMT+5:30

    बहुत सुन्दर,वाह!

  4. Akhil Mehra Says:
    October 15, 2010 at 12:02:00 PM GMT+5:30

    Us raat ke baad phir hum itne kareeb nahi aa paye
    Lovely

  5. Brajesh Srivastava Says:
    October 15, 2010 at 12:06:00 PM GMT+5:30

    this will be one of my most most fav video, thanks for posting it.

  6. Naina Saproo Trisal Says:
    October 15, 2010 at 12:07:00 PM GMT+5:30

    thanx abhijeet, its really wonderful.

  7. Surekha Ja Says:
    October 15, 2010 at 5:37:00 PM GMT+5:30

    कवि (पिताह:):हरिवौन्शराय बच्चन
    स्वर (बेटा): अमिताभ बच्चन...
    cute idea !!liked the way u displayed their talents...

  8. Swaty Thakar Says:
    October 15, 2010 at 6:17:00 PM GMT+5:30

    khup sundar kavya ....my favourite poet !

  9. Mangala Bhoir Says:
    October 15, 2010 at 6:51:00 PM GMT+5:30

    Apratim!

  10. Sheetal Nevgi Says:
    October 15, 2010 at 9:06:00 PM GMT+5:30

    Amitabh,s swar makes the poem more Apratim .

  11. Suneeta Jadhav Says:
    October 16, 2010 at 12:44:00 PM GMT+5:30

    thanx abhijeet, u always give wonderful things.

Post a Comment