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अजीब सानेहा मुझ पर गुज़र गया यारों
मैं अपने सायँ से कल रात दर गया यारो
हर एक नक़्श तमन्ना का हो गया धुंधला
हर एक ज़कं मेरे दिल का भर गया यारो
भटक रही थी जो कश्ती वो गाक़र-ए-आब हुई
चढ़ा हुआ था जो दरिया उतार गया यारो
वो कौन था वो कहा का था क्या हुआ था उसे
सुना है आज कोई शाकस मार गया यारो
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मौसीकार : जयदेव
फनकार : हरिहरन
मैं अपने सायँ से कल रात दर गया यारो
हर एक नक़्श तमन्ना का हो गया धुंधला
हर एक ज़कं मेरे दिल का भर गया यारो
भटक रही थी जो कश्ती वो गाक़र-ए-आब हुई
चढ़ा हुआ था जो दरिया उतार गया यारो
वो कौन था वो कहा का था क्या हुआ था उसे
सुना है आज कोई शाकस मार गया यारो
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मौसीकार : जयदेव
फनकार : हरिहरन
May 26, 2011 at 12:02:00 PM GMT+5:30
Its good.....lil sad also
May 26, 2011 at 3:54:00 PM GMT+5:30
deep thoughts and beautiful music.
August 14, 2011 at 12:11:00 AM GMT+5:30
कल रात मै अपने साये से डर गया यारो"
कुछ मकाम ऐसे होते है जिंदगी मे ...इन्सान अपने ही साये से डर जाता है..........