कैसे चुपाउँ राज़-ए-ग़म | کیسے چھپاؤ راز ا گم


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कैसे चुपाउँ राज़-ए-ग़म दीदार-ए-तार को क्या करू
दिल की तपिश को क्या करू सोज़-ए-जिगर को क्या करू ?

शोरिश-ए-आशिकी कहाँ और मेरी सादगी कहाँ
हुसं कों तेरे क्यां कहूँ अपनी नज़र कों क्यां कहूँ ?

गम का न दिल में हो गुज़र वस्ल की शब् हो यूँ बज़र
सब ये कुबील हैं मगर खौफ-ए-सहर को क्यां करूँ ?

हाल मेरा था जब बतर तब ना हुई तुम्हें खबर
बाद मेरे हवा असर अब मैं असर कों क्यां कहूँ ?
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शायर : सलीम गिलानी
फनकार : महेंदी हसन

6 Response to "कैसे चुपाउँ राज़-ए-ग़म | کیسے چھپاؤ راز ا گم"

  1. Subhi Abhijeet Dalvi Says:
    May 21, 2012 at 4:10:00 PM GMT+5:30

    बहुत खूब ....सुन्दर ग्राफिक्स

  2. Naina Saproo Trisal Says:
    May 21, 2012 at 5:33:00 PM GMT+5:30

    bahut khoob.

  3. सुमित म्हेत्रे Says:
    May 21, 2012 at 6:11:00 PM GMT+5:30

    बहुत हि बढीया ......tHANX

  4. Nainita Sarwate Says:
    May 21, 2012 at 7:51:00 PM GMT+5:30

    Super....

  5. Viswas Asolkar Says:
    May 22, 2012 at 8:32:00 AM GMT+5:30

    Melodious... thanks for the tag Abhi..

  6. Zohra Javed Says:
    May 22, 2012 at 8:32:00 AM GMT+5:30

    What an absolute treat....superb

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