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एक अकेला इस शहर में रात में और दोपहर में
आबोड़ाना ढूनडता है आशियाना ढूनडता है
दिन खाली खाली बर्तन है और रात है जैसे अँधा कुआँ
इन सूनी अंधेरी आँखों से आनसून की जगह आता हैं धुआँ
जीने की वजह तो कोई नही मरने का बहाना ढूनडता है
एक अकेला इस शहर में...
इन उमर से लंबी सड़कों को मंज़िल पे पोहॉंछते देखा नहीं
बस दौड़ती फिरती रहती हैं हुँने तो ठहेरते देखा नहीं
इस अजनबी से शहर में जाना पहेचना ढूनडता है
एक अकेला इस शहर में...
आबोड़ाना ढूनडता है आशियाना ढूनडता है
दिन खाली खाली बर्तन है और रात है जैसे अँधा कुआँ
इन सूनी अंधेरी आँखों से आनसून की जगह आता हैं धुआँ
जीने की वजह तो कोई नही मरने का बहाना ढूनडता है
एक अकेला इस शहर में...
इन उमर से लंबी सड़कों को मंज़िल पे पोहॉंछते देखा नहीं
बस दौड़ती फिरती रहती हैं हुँने तो ठहेरते देखा नहीं
इस अजनबी से शहर में जाना पहेचना ढूनडता है
एक अकेला इस शहर में...
May 16, 2011 at 2:58:00 PM GMT+5:30
one of my favourite song!
May 16, 2011 at 2:59:00 PM GMT+5:30
beautiful song....one of my favourite..thanks
May 16, 2011 at 2:59:00 PM GMT+5:30
my favorite too
May 16, 2011 at 3:00:00 PM GMT+5:30
down memory lane........
May 16, 2011 at 3:00:00 PM GMT+5:30
aprateem...Bhupendra Singh cha awaj kahi haatt ke hota..very touching...thanks abhi..
May 16, 2011 at 3:00:00 PM GMT+5:30
home alone
May 16, 2011 at 4:17:00 PM GMT+5:30
my elder brother used to look like amol ji ! yadeh taaza ho gyee!!
May 16, 2011 at 8:59:00 PM GMT+5:30
दिन खाली खाली बर्तन है और रात है जैसे अँधा कुआँ
इन सूनी अंधेरी आँखों से आनसून की जगह आता हैं धुआँ....
May 16, 2011 at 9:46:00 PM GMT+5:30
Thank you dear Abhijeet for a lovely number......
May 17, 2011 at 2:56:00 PM GMT+5:30
u r sweet person anita
May 17, 2011 at 2:56:00 PM GMT+5:30
one of ma fav...Abhi thanks..
May 17, 2011 at 2:57:00 PM GMT+5:30
merey badey bhai saahib amol sey bahut miltey they.yaad taza kaer dee merey dost!
June 9, 2011 at 4:35:00 PM GMT+5:30
एक अकेला इस शहर में रात में और दोपहर में
आबुदाना ढुंढता है आशियाना ढुंढता है .....