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जिवलगा, राहिले रे दूर घर माझे
पाऊल थकले, माथ्यावरचे जड झाले ओझे
किर्र बोलते घन वनराई
सांज सभोवती दाटून येई
सुख सुमनांची सरली माया पाचोळा वाजे
गाव मागचा मागे पडला
पायतळी पथ तिमिरी बुडला
ही घटकेची सुटे सराई, मिटले दरवाजे
निराधार मी, मी वनवासी
घेशील केव्हा मज हृदयासी
तूच एकला नाथ अनाथा, महिमा तव गाजे
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गीतकार : शांता शेळके
गायक : आशा भोसले
संगीतकार : पं. हृदयनाथ मंगेशकर
Posted by
A+S ,
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TINTIN
,
3/18/2010 02:20:00 PM
During my childhood, one of my first 'entry' into comic world was interestingly, the adventures of Tintin. Literally 'watching' the comic book was amazing. After reading and that too repeatedly, I was eager to see, read and 'watch' the book with enthusiastic mood to get them from the library, particularly in Saraswati Mandir on 18th June Road as well from Sun library, roughly 100 meters from (my) Don Bosco school, for the comic book called "TINTIN - In Tibet" !
Today, after touching almost half a century of my life, I managed to dig it again; this time the entire animated version of these comics !! And the series will continue !!!
I share this with one and all, old and new, particularly my young generation upcoming friendly champs such as Roshni and Pooja (neighbor Gopi's daughters), Durga and Shiva (neighbor Shankar's kids), Mir (Paula's son), Jangchup (Kalsang's daughter), Sagu (Shailaja's daughter), Ashraya (Aditya's son), Chinmay and Ruchi (Rupesh's kids), Alisha and Sonia (Alex's daughters), Shaunak and Manavi (Darshan's kids) and Ishan (Sharad's son) and Atharv (Abhay Pendharkar's son).
जेव्हा हे बघितल तेव्हा तन-मन स्थबध झाल. ह्यातील एक असामान्य 'त्रिलोक' संगमाचा स्पर्श जाणवला. घराच्या 'त्रिकोणाचा' हा सुख-दुखाचा आधार शिल्प... मनातल्या मनात रडलो पण ह्या किव्हा अश्या प्रेमाचा धागा मनात टपला आणि अश्या वेळेस विंदा करंदीकरांची 'ज्वलंत' कविता मनावर दाटली.
चुकली दिशा तरीही हुकले न श्रेय सारे, वेड्या मुशाफिराला सामील सर्व तारे
मी चालतो अखंड चालायाचे म्हणून, धुंदीत या गतीच्या सारेच पंथ प्यारे
डरतात वादळांना जे दास त्या ध्रुवाचे, हे शीड तोडले की अनुकूल सर्व वारे!
मग्रूर प्राक्तनांचा मी फाडला नकाशा, विझले तिथेच सारे ते मागचे ईशारे
चुकली दिशा तरीही आकाश एक आहे, हे जाणतो तयाला वाटेल तेथ न्यारे
आशा तशी निराशा, हे श्रेय सावधांचे, बेसावधास कैसे डसणार हे निखारे?
मी चालतो अखंड चालायाचे म्हणून, धुंदीत या गतीच्या सारेच पंथ प्यारे
डरतात वादळांना जे दास त्या ध्रुवाचे, हे शीड तोडले की अनुकूल सर्व वारे!
मग्रूर प्राक्तनांचा मी फाडला नकाशा, विझले तिथेच सारे ते मागचे ईशारे
चुकली दिशा तरीही आकाश एक आहे, हे जाणतो तयाला वाटेल तेथ न्यारे
आशा तशी निराशा, हे श्रेय सावधांचे, बेसावधास कैसे डसणार हे निखारे?
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पंथी हून मैं उस पथ का, अंत नही जिसका
आस मेरी है जिसकी दिशा, आधार मेरे मान का
सांगी साथी मेरे, आँधियारे उजियारे
मुझको राह दिखाएँ, पलच्चीं के फुलझारे
पथिक मेरे पाठ के सब तारे, और नीला आकाश
पंथी हून मैं उस पाठ का
इस पाठ पर देखे कितने, सुख दुख के मेले
फूल चुने कभी खुशियों के
कभी कातों से खेले, जाने कब तक चलना है
मुझे इस जीवन के साथ, पंथी हून मैं उस पथ का
आस मेरी है जिसकी दिशा, आधार मेरे मान का
सांगी साथी मेरे, आँधियारे उजियारे
मुझको राह दिखाएँ, पलच्चीं के फुलझारे
पथिक मेरे पाठ के सब तारे, और नीला आकाश
पंथी हून मैं उस पाठ का
इस पाठ पर देखे कितने, सुख दुख के मेले
फूल चुने कभी खुशियों के
कभी कातों से खेले, जाने कब तक चलना है
मुझे इस जीवन के साथ, पंथी हून मैं उस पथ का
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Posted by
A+S ,
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Asha Bhosle
,
Gulzar
,
Rahul Dev Burman
,
भीनी भीनी भोर आइ
,
10.3.10
3/10/2010 02:22:00 PM
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भिनी भिनी भोर भोर आयी
भिनी भिनी भोर भोर आयी
रूप रूप पर छिडके सोना
स्वर्ण कलश चमकाती आयी आयी
भिनी भिनी भोर भोर आयी .........!! धृ !!
माथे सुनहरी टीका लगाये
आ आ आ आ आ आ .........
माथे सुनहरी टीका लगाये
बात बात पर गोटा लगाये लगाये
गोटा लगाई लगाई
आ आ आ आ आ आ आ आ
सात रंग कि जाई आयी आई
भिनी भिनी भोर भोर आई.......... !! १ !!
ओस धुले मुख पोछे सारे
आ आ .....आ आ ............
ओस धुले मुख पोछे सारे
आंगन लेत गई उजियारे
उजियारे उजियारे
सा रे ग मा धा नि......
जागो जगर की बेला आयी आयी
भिनी भिनी भोर आई... भोर आई .......!! २ !!
भिनी भिनी भोर आई.... भोर आई
रूप रूप पर छिडके सोना
रूप रूप पर छिडके सोना
स्वर्ण कलश चमकाती आई आई
भिनी भिनी भोर भोर आई
भिनी भिनी भोर भिनी आई......... ..!! ३ !!
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भिनी भिनी भोर भोर आयी
भिनी भिनी भोर भोर आयी
रूप रूप पर छिडके सोना
स्वर्ण कलश चमकाती आयी आयी
भिनी भिनी भोर भोर आयी .........!! धृ !!
माथे सुनहरी टीका लगाये
आ आ आ आ आ आ .........
माथे सुनहरी टीका लगाये
बात बात पर गोटा लगाये लगाये
गोटा लगाई लगाई
आ आ आ आ आ आ आ आ
सात रंग कि जाई आयी आई
भिनी भिनी भोर भोर आई.......... !! १ !!
ओस धुले मुख पोछे सारे
आ आ .....आ आ ............
ओस धुले मुख पोछे सारे
आंगन लेत गई उजियारे
उजियारे उजियारे
सा रे ग मा धा नि......
जागो जगर की बेला आयी आयी
भिनी भिनी भोर आई... भोर आई .......!! २ !!
भिनी भिनी भोर आई.... भोर आई
रूप रूप पर छिडके सोना
रूप रूप पर छिडके सोना
स्वर्ण कलश चमकाती आई आई
भिनी भिनी भोर भोर आई
भिनी भिनी भोर भिनी आई......... ..!! ३ !!
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