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कोइ होता जिस को अपना, हम अपना कह लेते यारो
पास नहीं तो दूर ही होता, लेकीन कोइ मेरा अपना
आखो में नींद ना होती, आंसू हे तैरत रहा
ख्वाबाने में जागते हम रात भर
कोइ तो गम अपनाता, कोइ तो साथी होता
भूला हुआ कोइ वादा, बीती हुयी कुछ यादे
तनहाई दोहराती हैं रातभर
कोइ दिलासा होता, कोइ तो अपना होता
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