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मस्ताने हज़ारों हैं


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इन आँखों की मस्ती के, आ आ आ आ
इन आँखों की मस्ती के मस्ताने हज़ारों हैं
मस्ताने हज़ारों हैं
इन आँखों से वाबस्ता
इन आँखों से वाबस्ता अफ़साने हज़ारों हैं
अफ़साने हज़ारों हैं
इन आँखों की मस्ती के
एक तुम ही नहीं तन्हा, आ आ
एक तुम ही नहीं तन्हा उलफत में मेरी रुसवा
उलफत में मेरी रुसवा
इस शहेर में तुम जैसे
इस शहेर में तुम जैसे दीवाने हज़ारों हैं
दीवाने हज़ारों हैं
इन आँखों की मस्ती के मस्ताने हज़ारों हैं
इन आँखों की मस्ती के, आ आ आ
एक सिर्फ़ हुमि मई को, एक सिर्फ़ हुमि
एक सिर्फ़ हुमि मई को आँखों से पिलाते हैं
आँखों से पिलाते हैं
कहने को तो दुनिया में
कहने को तो दुनिया में मैखाने हज़ारों हैं
मैखाने हज़ारों हैं
इन आँखों की मस्ती के मस्ताने हज़ारों हैं
इन आँखों की मस्ती के
इस शम्म-ए-फ़रोज़ा को, आ आ
इस शम्म-ए-फ़रोज़ा को आँधी से दर्राटे हो
आँधी से दर्राटे हो
इस शम्म-ए-फ़रोज़ा के
इस शम्म-ए-फ़रोज़ा के परवाने हज़ारों हैं
परवाने हज़ारों हैं
इन आँखों की मस्ती के मस्ताने हज़ारों हैं
इन आँखों से वाबस्ता अफ़साने हज़ारों हैं
अफ़साने हज़ारों हैं
इन आँखों की मस्ती के....
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मौसीकार : ख़य्याम
फनकार : आशा भोसले

फिर छिडि रात, बात फूलों की

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फिर छिडि रात, बात फूलों की
रात है या बारात फूलों की

फूल के हैं फूल के गजरे
शाम फूलों की, रात फूलों की

आपका साथ-साथ फूलों का
आपकी बात बात फूलों की

फूल खिलते रहेंगे दुनिया में
रोज़ निकलेगी बात फूलों की

नज़रें मिलती हैं जाम मिलते हैं
मिल रही है हयात फूलों की

ये महकती हुई ग़ज़ल मकाडू
जैसे सहारा में रात फूलों की
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स्वर : तलत अज़ीज़ और लता मंगेशकर