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होता है यह ज़िंदगी के साथ


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न जाने क्यूँ, होता है यह ज़िंदगी के साथ
अचानक यह मॅन, किसिके जाने के बाद
करे फिर उसकी याद छ्होटी छ्होटी सी बात
ना जाने क्यूँ ...

जो अंजान पल, ढाल गये कल, आज वो
रंग बदल बदल, मॅन को मचल मचल
रहें है चल, ना जाने क्यूँ वो अंजान पल
सजे भी ना मेरे, नैनो में
टूटे रे है रे सपनो के महल
न जाने क्यूँ ...

वोही है डगर, वोही है सफ़र
है नहीं साथ मेरे मगर अब मेरा हुंसफर
इधर उधर ढूंडे नज़र वोही है डगर
कहाँ गयी शामें, मधभरी
वो मेरे, मेरे वो दिन गये किधर
न जाने क्यूँ ...
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स्वर : लता मंगेशकर