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पहला नशा


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चाहे तुम ना कहो,
मैने सुन लिया...
के साथी प्यार ....
मुझे चुन लिया....चुन लिया... मैने सुन लिया

पहला नशा...पहला हुंमार
नया प्यार है...नया इंतेज़ार
करलू में क्या अपना हाल...
मेरे दिले बेकरार ...तू ही बता....(पहला नशा...)

उड़ता ही फिरूम इन हवाओं में कही
या में झूल जाउ इन घत्ताओं में कही....
एक कर डू आसमान और ज़मीन...
कहो यारों क्या करू क्या नही.....(पहला नशा..)

उसने बॅयात की कुछ ऐसे डांग से
सपने दे गया हज़ारों रंग के
रह जाो जैसे में हार के..
और चूमे वो मुझे प्यार से....(पहला नशा...)