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अब क्या ग़ज़ल सुनाऊं

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कैसे सुकून पाऊँ, तुझे देखने के बाद,
अब क्या ग़ज़ल सुनाऊं, तुझे देखने के बाद

आवाज़ दे रही है मेरी ज़िंदगी मुझे,
जाऊं मैं या ना जाऊं, तुझे देखने के बाद

क़ाबे का ऐहेतराम भी मेरी नज़र में हैं,
सर किस तरफ जुकाऊं, तुझे देखने के बाद

तेरी निगाह-ए-मस्त ने मखनूर कर दिया,
क्या मैकड़े को जाऊं, तुझे देखने के बाद

नज़रों मे ताब-ए-दीद ही बाकी नही रही,
किस से नज़र मिलऊं, तुझे देखने के बाद
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शायर : सईद शहीदी
फनकार : तलत अज़ीज़
संगीतकार : जगजीत सिंह