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मग माझा जीव तुझ्या वाटेवर वणवणेल !


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मग माझा जीव तुझ्या वाटेवर वणवणेल !
अन्‌ माझी हाक तुझ्या अंतरात हुरहुरेल !

मी फिरेन दूर दूर तुझिया स्वप्नांत चूर
तिकडे पाऊल तुझे उंबर्‍यात अडखळेल !

विसरशील सर्व सर्व आपुले रोमांचपर्व
पण माझे नाव तुझ्या ओठांवर हुळहुळेल !

सहज कधी तू घरात लावशील सांजवात
माझेही मन तिथेच ज्योतीसह थरथरेल !

जेव्हा तू नाहशील, दर्पणात पाहशील
माझे अस्तित्व तुझ्या आसपास दर्वळेल !

जेव्हा रात्री कुशीत माझे घेशील गीत,
माझे तारुण्य तुझ्या गात्रांतुन गुणगुणेल !

मग सुटेल मंद मंद वासंतिक पवन धुंद
माझे आयुष्य तुझ्या अंगणात टपटपेल !
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गीत - सुरेश भट
संगीत - पं. हृदयनाथ मंगेशकर
स्वर - लता मंगेशकर

वृक्ष वल्ली आम्हां सोयरी वनचरे

 
वृक्ष वल्ली आम्हां सोयरी वनचरे |
पक्षी ही सुस्वरे आळविती ||१||
 
येणें सुखें रुचे एकांताचा वास |
नाही गुण दोष अंगा येत ||२||
आकाश मंडप पृथुवी आसन |
रामे तेथें मन क्रीडा करी ||३||
कंथा कुमंडलु देहउपचारा |
जाणवितो वारा अवसरु ||४||
हरिकथा भोजन परवडी विस्तार |
करोनी प्रकार सेवू रुची ||५||
तुका म्हणे होय मनाची संवाद |
आपुला चि वाद आपणासी ||६||
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संगीतकार : श्रीनिवास खळे
स्वर : लता मंगेशकर
 

मराठी पाउल पडते पुढे !


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चित्रपट : मराठा तितुका मेळवावा
गीतकार : शांता शेळके
संगीतकार : आनंदघन
स्वर : लता मंगेशकर, उषा मंगेशकर, पं.हृदयनाथ मंगेशकर, हेमंत कुमार

धुवा बनाके फ़िज़ाओ में


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धुवा बनाके फ़िज़ाओ में उड़ा दिया मुझको
मैं जल रहा था किसी ने ब्झहा दिया मुझको

खड़ा हून आज भी रोटी के चार हरफ़ लिए
सवाल ये है किताबों ने क्या दिया मुझको

सफेद संग की चादर लपेट कर मुझपर
फसीने शहर से किसी ने सज़ा दिया मुझको

मैं एक ज़ररा बुलंदी को छूने निकला था
हवा ने थम के ज़मीन पर गिरा दिया मुझको
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मौसीकार : जगजीत सिंग
फनकार : लता मंगेशकर


नीला आसमाँ सो गया


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नीला आसमाँ सो गया
ला रा ला रा ला, ला ला ला ला
ला रा ला रा ला, ला ला रा ला हो
नीला आसमाँ सो गया

ओ हो, ऑन्स बरसे रात भीगे होंठ तरराए
धड़कने कुच्छ कहना चाहे कह नहीं पाए
हवा का गीत मध्यम है
समय की चाल भी कम है
नीला आसमाँ सो गया

ओ, मेरी बाहों में शरमाते लाजाते ऐसे तुम आए
की जैसे बादलों में चाँद धीरे धीरे आ जाए
यह तन्हाई यह मैं और तुम
ज़मीन भी हो गयी गुमसूँ
नीला आसमाँ सो गया
ला रा ला रा ला, ला ला रा ला
ला रा ला रा ला, ला ला रा ला हो
नीला आसमाँ सो गया
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स्वर : अमिताभ बच्चन

अन्नदाता (१९८२)


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अन्नदाता (१९८२)
निर्देशक : असित सेन
संगीतकार : सलिल चौधरी
स्वर : लता मंगेशकर, किशोरे कुमार, मुकेश, मन्ना दे, साबिता चॉवधारी

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Om Prakash plays the role of a rich old billionaire - Amba Prasad. He has all the money to buy anything he wants, but what he wants is true love and affection. He goes on a self-exile to a village and finds shelter in the home of Aarti, a poor girl who has a disabled brother and is alone in the world, as her parents have passed away. To make ends meet, Aarti does various jobs throughout the day. In just a few days, Amba Prasad gets close to Aarti and her brother and bonds with them as if they were his own children. He then realizes that love and happiness do not necessarily lie where money is.

फिर छिडि रात, बात फूलों की

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फिर छिडि रात, बात फूलों की
रात है या बारात फूलों की

फूल के हैं फूल के गजरे
शाम फूलों की, रात फूलों की

आपका साथ-साथ फूलों का
आपकी बात बात फूलों की

फूल खिलते रहेंगे दुनिया में
रोज़ निकलेगी बात फूलों की

नज़रें मिलती हैं जाम मिलते हैं
मिल रही है हयात फूलों की

ये महकती हुई ग़ज़ल मकाडू
जैसे सहारा में रात फूलों की
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स्वर : तलत अज़ीज़ और लता मंगेशकर

तेरे बीना जिया जाए ना


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तेरे बीना जिया जाए ना
बिन तेरे, तेरे बिन साजना
साँस में साँस आए ना

जब भी ख़यालों में टू आए
मेरे बदन से खुशबू आए
महके बदन में रहा ना जाए, रहा जाए ना

रेशमी राते रोज ना होगी
ये सौगाते रोज ना होगी
जिंदगी तूज़ बिन रास ना आए, रास आए ना
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स्वर : लता मंगेशकर और किशोरे कुमार

होता है यह ज़िंदगी के साथ


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न जाने क्यूँ, होता है यह ज़िंदगी के साथ
अचानक यह मॅन, किसिके जाने के बाद
करे फिर उसकी याद छ्होटी छ्होटी सी बात
ना जाने क्यूँ ...

जो अंजान पल, ढाल गये कल, आज वो
रंग बदल बदल, मॅन को मचल मचल
रहें है चल, ना जाने क्यूँ वो अंजान पल
सजे भी ना मेरे, नैनो में
टूटे रे है रे सपनो के महल
न जाने क्यूँ ...

वोही है डगर, वोही है सफ़र
है नहीं साथ मेरे मगर अब मेरा हुंसफर
इधर उधर ढूंडे नज़र वोही है डगर
कहाँ गयी शामें, मधभरी
वो मेरे, मेरे वो दिन गये किधर
न जाने क्यूँ ...
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स्वर : लता मंगेशकर

A Rare Combination !!!

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... sung by one legend and composed by a singer who is other legend !!!