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माँ सूनाओ मुझे वो कहानी



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माँ सूनाओ मुझे वो कहानी
जिसमे राजा ना हो ना हो रानी

जो हमारी तुम्हारी कथा हो
जो सभी के हृदय की व्यथा हो
गंध जिसमे हो अपनी धरा की
बात जिसमे ना हो अप्सरा की
हो ना पारियाँ जहाँ आसमानी

वो कहानी को हसना सीखा दे
पेट की भूख को जो भुला दे
जिसमे सच की भरी चाँदनी हो
जिसमे उम्मीद की रोशनी हो
जिसमे ना हो कहानी पुरानी
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शायर: नंदलाल पाठक
फ़नकार: सीज़ा रॉय

मैं कैसे कहु जाने मन


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शफ़क हो, फूल हो, शबनम हो, महताब हो तुम
नही जवाब तुम्हारा के लाजवाब हो तुम

मैं कैसे कहु जाने मन, तेरा दिल सुने मेरी बात,
यह आखो की शयही, यह होतो का उजाला,
यह ही है मेरे दिन रात, मैं कैसे कहु जाने मन

काश तुम को पॅट्स हो, तेरे रूखे रोशन से,
तारे खिले है, दिए जले है,
दिल में मेरे कैसे कैसे

माहेक्ने लगी है वही से मेरी राते,
जहा से हुआ तेरा साथ,
मैं कैसे कहु जाने मन

पास तेरे आया था, में तो काटो पे चल के,
लकिन यहा तो कदमो के नीचे,
फर्श बीच गये गुल के

के अब ज़िंदगानी है, कसमे बहरा,
लो हाथो रहे तेरा हाथ

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फनकार : जगजीत सिंह

मेरे दिल में तू ही तू है


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मेरे दिल में तू ही तू है, दिल की दवा क्या करूँ
अभी:
दिल भी तू है जाँ भी तू है, तुझपे फ़िदा क्या करूँ
अभी-सुभी: 
मेरे दिल में तू ही तू है, दिल की दवा क्या करूँ
सुभी:
खुद को खो के तुझको पाकर क्या\-क्या मिल क्या कहूँ
तेरी होके जीने में क्या आय मज़ा क्या कहूँ
अभी:
कैसे दिन हैं कैसी रातें कैसी फ़िज़ा क्या कहूँ
मेरी होके तूने मुझको क्या क्या दिया क्या कहूँ
सुभी:
मेरे पहलू में जब तू है फिर मैं दुआ क्या करूँ
अभी:
दिल भी तू है जाँ भी तू है तुझपे फ़िदा क्या करूँ
अभी-सुभी:
मेरे दिल में तू ही तू है, दिल की दवा क्या करूँ
अभी:
है ये दुनिया दिल की दुनिया मिलके रहेंगे यहाँ
लूटेंगे हम खुशियाँ हर पल दुःख न सहेंगे यहाँ
सुभी:
अरमानो के चंचल धारे ऐसे बहेंगे यहाँ
ये तो सपनो की जन्नत है, सब ही कहेंगे यहाँ
ये दुनिया मेरे दिल में बसी है, दिल से जुदा क्या करूँ
अभी:
दिल भी तू है जाँ भी तू है, तुझपे फ़िदा क्या करूँ
अभी-सुभी: 
मेरे दिल में तू ही तू है, दिल की दवा क्या करूँ

तुझ्या मुळे आला नवा अर्थ माझ्या जीवनाला


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तुझ्या मुळे आला नवा अर्थ माझ्या जीवनाला,
देव कुणाच्या रुपात असा भेटे माणसाला...

तिला आधाराला हात सोपी झाली पायवाट,
कशी अवचीत्ती आली अशी सुखाची पहाट,
घेऊ स्वच्छंदी भरार्या दाहीदिशा स्वागताला,

तुझ्या मुळे आला नवा अर्थ माझ्या जीवनाला,
देव कुणाच्या रुपात असा भेटे माणसाला...
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स्वर : जगजित सिंघ

तुमने सूली पे लटकते जिसे देखा होगा



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तुमने सूली पे लटकते जिसे देखा होगा,
वक्त आएगा वही शक्स मसीहा होगा

ख्वाब देखा था के सेकर में बसेरा होगा,
क्या खबर थी की यही ख्वाब तो सच्चा होगा

मैं फ़िज़ाओं में बिखर जाऊँगा खुशबू बनकर,
रंग होगा न बदन होगा न चेहरा होगा
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मौसिकार : जगजीत सिंघ
फनकार : जगजीत सिंघ

ये करें और वो करें

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ये करे और वो करेऐसा करे वैसा करे,
जिंदगी  दो दिन कि हैं दो दिन मैं हम क्या क्या करे
जी में आता हैं की दे पर्दे का जवाब,
हम  से वो परदा करें दुनियाँ से हम परदा करें
सुन रहा हूँ कुछ लुटेरे आ गायें हैं शेहेर मैं,
आप जल्दी बाँध अपने घर का दरवाजा करे
इस पुरानी बेवफ़ा दुनियाँ का रोना कब तलक,
आईने मिल-जुल के इस दुनियाँ नया पैदा करे
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 शायर : शकेब जलाली मौसिकार : जगजीत सिंघ
फनकार : जगजीत सिंघ और चित्र सिंघ

अपनी आग को ज़िंदा रखना कितना मुश्किल है



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अपनी आग को ज़िंदा रखना कितना मुश्किल है,
पत्थर बीच आईना रखना कितना मुश्किल है

कितना आसान है तस्वीर बनाना औरों की,
खुद को पासे-आईना रखना कितना मुश्किल है

तुमने मंदिर देखे होंगे ये मेरा आँगन है,
एक दिया भी जलता रखना कितना मुश्किल है

चुल्लू में हो दर्द का दरिया ध्यान में उसके होंठ,
यूँ भी खुद को प्यासा रखना कितना मुश्किल है
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मौसीकार : जगजीत सिंग
फनकार : जगजीत सिंग और चित्रा सिंग



ज़िंदगी धूप तुम घना साया


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तुम को देखा तो ये ख़याल आया
ज़िंदगी धूप तुम घना साया

आज फिर दिल ने इक तमन्ना की
आज फिर दिल को हम ने समझाया

तुम चले जाओगे तो सोचेंगे
हम ने क्या खोया हम ने क्या पाया

हम जिसे गुनगुना नहीं सकते
वक़्त ने ऐसा गीत क्यूँ गाया

दिल-ए-नादान तुझे हुआ क्या है ?

 

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दिल-ए-नादान तुझे हुआ क्या है
आख़िर इस दर्द की दावा क्या है

हम है मुश्ताक़ और वो बेज़ार
या इलाही, ये माजरा क्या है

मैं भी मूह मे ज़ुबान रखता हूँ
काश पुच्च्ो की मुद्दा क्या है

जबकि तुझ बिन नही कोई मौजूद
फिर ये हगामा आई खुदा क्या है

ये पारी-चेहरा लोग कैसे है
गामज़ा-ओ-उष{}वा-ओ-. क्या है

शिकाने-ज़ुलाफे-आमबारी क्या है
निगाहे-चश्मे-सूरमा सा क्या है

सब्ज़-ओ-गुल कहाँ से आए है
अब्र क्या चीज़ है, हवा क्या है

हमको उनसे वफ़ा की है उम्मीद
जो नही जानते वफ़ा क्या है

हन भला कर, तेरा भला होगा
और दरवेश की सदा क्या है

जान तुम पर निसार करता हूँ
मैं नही जानता दुआ क्या है

मैने माना की कुच्छ नही ग़ालिब
मुफ़्त हाथ आए, तो बुरा क्या है
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मौसिकार : जगजीत सिंह
फनकार : जगजीत सिंह और चित्रा सिंह

धुवा बनाके फ़िज़ाओ में


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धुवा बनाके फ़िज़ाओ में उड़ा दिया मुझको
मैं जल रहा था किसी ने ब्झहा दिया मुझको

खड़ा हून आज भी रोटी के चार हरफ़ लिए
सवाल ये है किताबों ने क्या दिया मुझको

सफेद संग की चादर लपेट कर मुझपर
फसीने शहर से किसी ने सज़ा दिया मुझको

मैं एक ज़ररा बुलंदी को छूने निकला था
हवा ने थम के ज़मीन पर गिरा दिया मुझको
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मौसीकार : जगजीत सिंग
फनकार : लता मंगेशकर


मिलकर जुदा हुवे तो


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मिलकर जुदा हुए तो ना सोया करेंगे हम
एक दूसरे के याद में रोया करेंगे हम

आँसू चालक चालक के सताएँगे रात भर
मोती पलक पलक में पिरोया करेंगे हम

जब दूरियों की याद दिलों को जलाएगी
जिस्मों को चाँदनी में भिगोया करेंगे हम

गर दे गया दगा हमें तूफान भी 'क़तील'
साहिल पे कश्टियों को दुबोया करेंगे हम
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फनकार : जगजीत सिंग और चित्रा सिंग

दुनियाँ जिसे केह्तें हैं

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Composed by Jagjit Singh
Sung by Jagjit Singh & Chitra Singh