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तुमने सूली पे लटकते जिसे देखा होगा,
वक्त आएगा वही शक्स मसीहा होगा
ख्वाब देखा था के सेकर में बसेरा होगा,
क्या खबर थी की यही ख्वाब तो सच्चा होगा
मैं फ़िज़ाओं में बिखर जाऊँगा खुशबू बनकर,
रंग होगा न बदन होगा न चेहरा होगा
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मौसिकार : जगजीत सिंघ
फनकार : जगजीत सिंघ
तुमने सूली पे लटकते जिसे देखा होगा,
वक्त आएगा वही शक्स मसीहा होगा
ख्वाब देखा था के सेकर में बसेरा होगा,
क्या खबर थी की यही ख्वाब तो सच्चा होगा
मैं फ़िज़ाओं में बिखर जाऊँगा खुशबू बनकर,
रंग होगा न बदन होगा न चेहरा होगा
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मौसिकार : जगजीत सिंघ
फनकार : जगजीत सिंघ
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