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फ़रिश्तों की नगरी में आ गया हूँ मैं


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फ़रिश्तों की नगरी में मैं आ गया हूँ मैं
आ गया हूँ मैं
ये रानाईयां देख चकरा गया हूँ मैं
आ गया हूँ मैं

यहां बसने वाले बड़े ही निराले
बड़े सीधे सादे बड़े भोले भाले
पती-पत्नी मेहनत से करते हैं खेती
तो दादा को पोती सहारा है देती
यहाँ शीरीं फ़रहाद कंधा मिला कर
हैं ले आते झीलों से नदियां बहा कर
ये चाँदी की नदियां बहे जा रही हैं
कुछ अपनी ज़ुबाँ में कहे जा रही हैं
फ़रिश्तों की नगरी में...

कन्हैया चला ढोर बन में चराने
तो राधा चली साथ बंसी बजाने
बजी बाँसुरी नीर आँखों से छलका
मुझे हो गया है नशा हल्का हल्का
परींदे मेरे साथ गाने लगे हैं
इशारों से बादल बुलाने लगे हैं
हसीं देख कर मुस्कुराने लगे हैं
कदम अब मेरे डगमगाने लगे हैं
फ़रिश्तों की नगरी में...

अरे वाह लगा है यहाँ कोई मेला
तो फिर इस तरह मैं फिरूं क्यूं अकेला
मैं झूले पे बैठूंगा चूसूंगा गन्ना
किसी का तो हूँ मैं भी हरियाला बन्ना
ओ भैय्या जी लो ये दुअन्नी संभालो
चलो मामा उतरो मुझे बैठने दो
फ़रिश्तों की नगरी में...
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शायर : केदार शर्मा
संगीतकार : स्नेहल भाटकर
फनकार : मुकेश
चित्रपट : हमारी याद आयेगी

जानें क्यूँ ऐसा लगता हैं....


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चित्रपट : श्रद्धांजलि (१९८०)
गीतकार : अंजान
संगीतकार : हेमंत भोसले
स्वर : आशा भोसले और भूपेंदर सिंह

पहला नशा


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चाहे तुम ना कहो,
मैने सुन लिया...
के साथी प्यार ....
मुझे चुन लिया....चुन लिया... मैने सुन लिया

पहला नशा...पहला हुंमार
नया प्यार है...नया इंतेज़ार
करलू में क्या अपना हाल...
मेरे दिले बेकरार ...तू ही बता....(पहला नशा...)

उड़ता ही फिरूम इन हवाओं में कही
या में झूल जाउ इन घत्ताओं में कही....
एक कर डू आसमान और ज़मीन...
कहो यारों क्या करू क्या नही.....(पहला नशा..)

उसने बॅयात की कुछ ऐसे डांग से
सपने दे गया हज़ारों रंग के
रह जाो जैसे में हार के..
और चूमे वो मुझे प्यार से....(पहला नशा...)

राजा को रानी से प्यार हो गया


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--राजा --
राजा को रानी से प्यार हो गया
पहली नज़र में पहला प्यार हो गया
दिल जिगर दोनो घायल हुए
तीरे नज़र दिल के पार हो गया

--रानी--
राजा को रानी से प्यार . .
नज़र में पहला प्यार हो गया
दिल जिगर दोनो घायल हुए
तीरे नज़र दिल के पार हो गया

--राजा--
राजा को रानी से प्यार हो गया

--रानी--
राजा को रानी से प्यार हो गया

--राजा--
ओ, राहों से राहें, बाहों से बाहें
मिलके भी मिलती नहीं

--रानी--
हो, होता है अक्सर अरमान की कलियाँ
खिलके भी खिलती नहीं

--राजा--
ओ, फिर भी ना जाने क्यूँ नहीं .
फिर भी ना जाने क्यूँ नहीं माने
दीवाना दिल बेक़रार हो गया
राजा को रानी से प्यार हो गया

--रानी--
राजा को रानी . प्यार हो गया

--राजा--
रानी को देखो, नज़रें मिली तो
आँखें . लगी

--रानी--
हो, करती भी क्या वो सर को झुकाके
कंगना घुमाने लगी

--राजा--
ओ, राजा . ऐसा जादू चलाया

--रानी--
राजा ने ऐसा जादू .
ना करते करते इकरार हो गया

--राजा--
राजा को रानी से प्यार . .
पहली नज़र में पहला प्यार हो गया

--रानी--
दिल जिगर दोनो . हुए
तीरे नज़र दिल के पार हो गया

हम सभ कें नैनों में

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हम कितने एकाकी


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सांझ ढले गगन तले
हम कितने एकाकी
सांझ ढले गगन तले
हम कितने एकाकी
छ्होड चले नैनो को
किरणों के पाख़ी
पाठ की जाली से झाँक रही तीन कलियाँ - २

गंध भारी गुनगुण में मगन हुई तीन कलियाँ
इतने में तिमिर डासा सपने ले नयनो में
कलियों के आँसुओं का कोई नहीं साथी
छ्चोड़ चले नयनो को
किरणों के पाख़ी
सांझ ढले गगन तले
जुगनूउ का पाट ओढे आएगी रात अभी - २

निशिगंधा के सुर में कह देगी बात सभी
कपटा है मान जैसे डाली अंबावा की
छ्होड चले नयनो को
किरणों के पाख़ी
सांझ ढले गगन तले
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चित्रपाट : उत्सव
शायर : वसंत देव
संगीतकार : लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
स्वर : सुरेश वाडकर




ज़िंदगी धूप तुम घना साया


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तुम को देखा तो ये ख़याल आया
ज़िंदगी धूप तुम घना साया

आज फिर दिल ने इक तमन्ना की
आज फिर दिल को हम ने समझाया

तुम चले जाओगे तो सोचेंगे
हम ने क्या खोया हम ने क्या पाया

हम जिसे गुनगुना नहीं सकते
वक़्त ने ऐसा गीत क्यूँ गाया

Abhi❤Subhi


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तुम्हारा प्यार चाहिएँ


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प्यार चाहिएँ, मूज़े जीने के लिए
तुम्हारा प्यार चाहिएँ, मूज़े जीने के लिए
मूज़ को हर घड़ी दीदार चाहीए

रूप रंग पर मरता आया, सदियों से ये जमाना
मई मान की सुंदरता देखू, प्यार का मैं दीवाना
तुम्हारा प्यार.. .. ..

मेरे सिवा तुम अओर किसी को दिल में ना आने डोगी
फूलों की तो बात ही क्या है, कातों पे साथ चलॉगी
तुम्हारा प्यार.. .. ..
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चित्रपाट : मनोकामना
संगीतकार : बप्पी लहरी
स्वर : बप्पी लहरी

आप की याद आती रही रातभर

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आप की याद, आती रही रातभर
चश्मा-ये-नाम मुस्कुराती रही रातभर

रातभर दर्द की शम्मा जलती रही
गम की लाउ तारथराती रही रातभर

बासूरी की सुरीली सुहानी सदा
याद बन बन के आती रही रातभर

याद के चाँद दिल में उतरते रहे
चाँदनी ज़गमगाती रही रातभर

कोई दीवाना गलियों में फिरता रहा
कोई आवाज़ आती रही रातभर
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चित्रपट : गमन
निर्देशक : मुज़फर अली
मौसीकार : जयदेव
फनकार : छाया गांगुली

सोचा था मैंने तो ऐ जान मेरी


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सोचा था मैंने तो ऐ जान मेरी
मोतियों से भर दूँगा माँग तेरी
पर कुछ ना तुझे दे सका
एक मजबूर दिल के सिवा हूँ
तड़पे दिल पलकों के पीछे कितने महल ख़ाबों के लिये \-२
खुलते कभी तो महलों के दर जलते कभी अरमाँ के दिये
तू हँसती एक गुल की तरह
मैं गाता बुलबुल की तरह हूँ

सोचा था मैंने तो ऐ जान मेरी
मोतियों से भर दूँगा माँग तेरी
कब चाहा पर्बत बन जाना देता है जो सदियों का पता \-२
चाहूँ बस एक पल का तराना बन के किसी गुँचे की सदा
खिल जाता एक पल ही सही
धूल का फिर आँचल ही सही हूँ

सोचा था मैंने तो ऐ जान मेरी
मोतियों से भर दूँगा माँग तेरी
फिर भी इस जलते सीने में अब तो यही अरमान पले \-२
चाँदी के सोने के ख़ज़ाने रख दूँ तेरे क़दमों के तले
उठता है तूफ़ान उठे
लुटती है तो जान लुटे हूँ
:आशा भोसले:  
जान-ए-मन तू अकेला नहीं
मैं तेरे साथ हूँ और सिर्फ़ तेरे साथ
:
दो:
हूँ
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चित्रपाट : चाँदी सोना
गीतकार : मजरूह सुल्तान पूरी
संगीतकार : राहुल देव बर्मन
स्वर : किशोर कुमार और आशा भोसले

मैं सुंदर हूँ

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कहाँ से आएँ बदरा


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कहाँ से आए बदरा
घुलता जाए कजरा
कहाँ से आए बदरा
घुलता जाए कजरा

पलकों के सतरंगी दीपक
बन बैठे आँसू की झालर
मोटी का अनमोलक हीरा
मिट्टी मे जेया फिसला
कहाँ से आए बदरा

नींद पिया के संग सिधारी
सपनों की सुखी फुलवारी
अमृत होठों तक आते ही
जैसे विष में बदला
कहाँ से आए बदरा

उतरे मेघ या फिर छ्चाए
निर्दे झोंके अगाना बढ़ाए
बरसे हैं अब तोसे सावन
रोए मान है पागला
कहाँ से आए कहाँ से आए बद्रा
घुलता जाए कजरा
कहाँ से आए बदरा
घुलता जाए कजरा

पलकों के सतरंगी दीपक
बन बैठे आँसू की झालर
मोटी का अनमोलक हीरा
मिट्टी मे जेया फिसला
कहाँ से आए बदरा

नींद पिया के संग सिधारी
सपनों की सुखी फुलवारी
अमृत होठों तक आते ही
जैसे विष में बदला
कहाँ से आए बदरा

उतरे मेघ या फिर छ्चाए
निर्दे झोंके अगाना बढ़ाए
बरसे हैं अब तोसे सावन
रोए मान है पागला
कहाँ से आए बदरा

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स्वर : येसुदास और हेमलता

काली घोड़ी द्वार खड़ी

 
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सा नि रे सा
सा रे गा मा पा ढा नि सा
सा नि ढा पा मा गा रे सा
सा नि रे सा

काली घोड़ी द्वार खड़ी...खड़ी रे
मूँग से मोरी माँग भारी
बरजोरी सैय्या ले जावे
तक़ित भाई तगारी नागरी....टाटा ढा.

काली घोड़ी द्वार खड़ी...खड़ी रे

भीड़ के बीच अकेले मितवा
जंगल बीच महेक गये फुलावा
कौन ए तगवा बैयया धरी
तक़ित भाई तगारी नागरी....टाटा ढा.


बाबा के द्वारे भेजे हर करे
अम्मा को मीठी बतियां समज़हरे
इतवान से मोक हरी
तक़ित भाई तगारी नागरी....टाटा ढा.

सा गा मा ढा नि
सा ढा नि मा ढा मा गा सा
सा गा मा ढा नि सा
सा नि ढा मा गा सा
नि सा गा मा ढा नि
नि ढा मा गा सा नि
सा रे सा गा मा सा
मा ढा नि सा गा मा
मा ढा नि सा रे सा
मा ढा नि सा रे सा

काली घोड़ी पे गोरा सैय्या चमके
सैय्या चमके
चमक चमक चमके
काली घोड़ी पे गोरा सैय्या चमके
कजरारे मेखा में बीजूरी दमके
सुध बुध बिसर गयी हमारी
बरजोरी सैय्या ले जावे
तक़ित भाई तगारी नागरी....टाटा ढा.

काली घोड़ी दौड़ पड़ी

लाज चुनरिया उड़ उड़ जावे
अंगा अंगा की रंग रचाए
उनके कंधे लत बिखरी

काली घोड़ी दौड़ पड़ी

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धीरे से आजा रे अखियाँ मैं

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This was the movie Albela that I had seen-watched almost 35 years back in Panaji, at National Theater. Of 'course, the movie in every perspective is wonderful. Amongst all, one song has well 'impacted' on my mind.
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धीरे से आजा री अँखियाँ में
निंदिया आजा री आजा, धीरे से आजा
छ्होटे से नैनन की बगियाँ में
निंदिया आजा री आजा, धीरे से आजा

ओ ...
लेकर सुहाने सपनों की कलियाँ, सपनों की कलियाँ
आके बसा दे पलकों की गलियाँ, पलकों की गलियाँ
पलकों की छ्होटी सी गलियाँ में
निंदिया आजा री आजा, धीरे से आजा
धीरे से ...

ओ ...
तारों से च्छूप कर तारों से चोरी, तारों से चोरी
देती है रजनी चंदा को लॉरी, चंदा को लॉरी
हँसता है चंदा भी निंदियन में
निंदिया आजा री आजा, धीरे से आजा
धीरे से ...
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धीरे से आजा री अँखियाँ में
निंदिया आजा री आजा, धीरे से आजा
छ्होटे से नैनन की बगियाँ में
निंदिया आजा री आजा, धीरे से आजा

ओ ...
आँखें तो सब की हैं इक जैसी
जैसी अमीरों की, ग़रीबों की वैसी
पलकों की सूनी सी गलियाँ में
निंदिया आजा री आजा, धीरे से आजा
धीरे से ...

ओ ...
जागती है अँखियाँ सोती है क़िस्मत, सोती है क़िस्मत
दुश्मन ग़रीबों की होती है क़िस्मत, होती है क़िस्मत
दम भर ग़रीबों की कुटियाँ में
निंदिया आजा री आजा, धीरे से आजा
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अलबेला
संगीत : सी. रामचंद्र
स्वर : लता मंगेशकर और रामचंद्र चिताळकर