उसकी हसरत है जिसे दिल से मिटा भी ना सकूँ
اُسکی ھسرت ہے جسےدل سےمٹا بھی نا سکون
ढूँदने उसको चला हून जिसे पा भी ना सकूँ
ڈھوندنےاُسکو چلا ھون جسےپا بھی نا سکون
मेहरबान होके बुला लो मुझे चाहो जिस वक़्त
میہربان ھوکےبلا لو مجھےچاہو جس وکت
मैं गया वक़्त नहीं हून के फिर आ भी ना सकूँ
میںگیا وقت نہیںھون کےپھر آ بھی نا سکون
डाल कर खाक मेरे खून पे क़ातिल निकाह
ڈال کر کھاک میرےخون پےقاتل نکاہ
कुछ ये मेहन्दी नहीं मेरी के छुपा भी ना सकूँ
کچھ یہ میہندی نہیںمیری کےچھپا بھی نا سکون
ज़ॉफ में ता माए अगियार का शिकवा क्या है
جاپھ میں تا مائی اَگیار کا شکوا کیا ہے
बात कुछ सर तो नहीं है के उठा भी ना सकूँ
بات کچھ سر تو نہیںہے کےاُٹھا بھی نا سکون
ज़ब्त कम्बख़्त ने और आके गला घोंटा है
جبت کمبخت نےاور آکےگلا گھونٹا ہے
के उसे' हाल सुनाऊं तो सुना भी ना सकूँ
کےاُسی\' حال سنااُوںتو سنا بھی نا سکون
ज़हेर मिलता ही नहीं मुझको सिटमगर वरना
جہیر ملتا ھی نہیںمجھکو سٹمگر ورنا
क्या कसम है तेरे मिलने की के खा भी ना सकूँ
کیا قسم ہے تیرےملنےکی کےکھا بھ
उसके पहलून में जो ले जाके सुला डून दिल को
اُسکےپہلون میں جو لےجاکےسلا ڈون دل کو
नींद ऐसी उसे' आए के जगा भी ना सकूँ
نیند ایسے اُسی\' آئی کےجگا بھی نا سکون
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दो फनकार : चित्रा सिंग और जगजीत सिंग
دو پھنکار : چترا سنگ اور جگجیت سنگ
शायर : अमीर मिनाई
شایر : اَمیر منائی