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A+S ,
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10/06/2010 12:55:00 PM
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कभी खुद पे, कभी हालात पे रोना आया
बात निकली तो, हर एक बात पे रोना आया
हम तो समज़े थे के हम भूल गये हैं उनको
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
किस लिए जीते हैं हम किस के लिए जीते हैं
बारहा आयायसे सावालात पे रोना आया
कौन रोता हैं किसी अओर की खातिर आए दोस्त
सब को अपने ही किसी बात पे रोना आया
बात निकली तो, हर एक बात पे रोना आया
हम तो समज़े थे के हम भूल गये हैं उनको
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
किस लिए जीते हैं हम किस के लिए जीते हैं
बारहा आयायसे सावालात पे रोना आया
कौन रोता हैं किसी अओर की खातिर आए दोस्त
सब को अपने ही किसी बात पे रोना आया
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कोइ होता जिस को अपना, हम अपना कह लेते यारो
पास नहीं तो दूर ही होता, लेकीन कोइ मेरा अपना
आखो में नींद ना होती, आंसू हे तैरत रहा
ख्वाबाने में जागते हम रात भर
कोइ तो गम अपनाता, कोइ तो साथी होता
भूला हुआ कोइ वादा, बीती हुयी कुछ यादे
तनहाई दोहराती हैं रातभर
कोइ दिलासा होता, कोइ तो अपना होता
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A+S ,
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10/06/2010 12:41:00 PM
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Ustaad Rashid Khan in drut teentaal accompanied by Pandit Samir Chatterjee on Raag Kirwaani.
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A+S ,
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10/06/2010 12:33:00 PM
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माझ्या गोव्याच्या भूमीत गड्या नारळ मधाचे
कड्याकपारी मधोनी घट फुटती दुधाचे॥१॥
माझ्या गोव्याच्या भूमीत आंब्याफणसाची रास
फुली फळाचे पाझर फळी फुलाचे सुवास॥२॥
माझ्या गोव्याच्या भूमीत येते चांदणे माहेरा
ओलावल्या लोचनांनी भेटे आकाश सागरा॥३॥
माझ्या गोव्याच्या भूमीत चाफा पानावीण फुले
भोळा भाबडा शालीन भाव शब्दावीण बोले॥४॥
माझ्या गोव्याच्या भूमीत गड्या साळीचा रे भात
वाढी आईच्या मायेने सोन केवड्याचा हात॥५॥
माझ्या गोव्याच्या भूमीत लाल माती निळे पाणी
खोल आरक्त घावात शुद्ध वेदनाची गाणी॥६॥
_______________
"आमच्या गोयेंची अस्मिता"
गीतकार : बाकिबाब बोरकार
संगीतकार : पंडित हृदयनाथ मंगेशकर
गायक : राधा मंगेशकर
कड्याकपारी मधोनी घट फुटती दुधाचे॥१॥
माझ्या गोव्याच्या भूमीत आंब्याफणसाची रास
फुली फळाचे पाझर फळी फुलाचे सुवास॥२॥
माझ्या गोव्याच्या भूमीत येते चांदणे माहेरा
ओलावल्या लोचनांनी भेटे आकाश सागरा॥३॥
माझ्या गोव्याच्या भूमीत चाफा पानावीण फुले
भोळा भाबडा शालीन भाव शब्दावीण बोले॥४॥
माझ्या गोव्याच्या भूमीत गड्या साळीचा रे भात
वाढी आईच्या मायेने सोन केवड्याचा हात॥५॥
माझ्या गोव्याच्या भूमीत लाल माती निळे पाणी
खोल आरक्त घावात शुद्ध वेदनाची गाणी॥६॥
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"आमच्या गोयेंची अस्मिता"
गीतकार : बाकिबाब बोरकार
संगीतकार : पंडित हृदयनाथ मंगेशकर
गायक : राधा मंगेशकर
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A+S ,
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10/06/2010 12:25:00 PM
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तमाम-ए-उम्र इंतेज़ार हम ने कियाँ
इस इंतेज़ार में किस किस से प्यार हम ने कियाँ
तलाश-ए-दोस्त को इक उम्र चाहिए दोस्त
की एक उम्र तेरा इंतज़ार हम ने कियाँ
तेरे ख़याल में दिल शाडमा रहा बरसों
तेरे हुज़ूर इसे सो गवार हम ने कियाँ
ये तीष्नगी है के उनसे करीब राहेकर भी
हफ़ीस याद उन्हे बार बार हम ने कियाँ
इस इंतेज़ार में किस किस से प्यार हम ने कियाँ
तमाम-ए-उम्र इंतेज़ार हम ने कियाँ
इस इंतेज़ार में किस किस से प्यार हम ने कियाँ
तलाश-ए-दोस्त को इक उम्र चाहिए दोस्त
की एक उम्र तेरा इंतज़ार हम ने कियाँ
तेरे ख़याल में दिल शाडमा रहा बरसों
तेरे हुज़ूर इसे सो गवार हम ने कियाँ
ये तीष्नगी है के उनसे करीब राहेकर भी
हफ़ीस याद उन्हे बार बार हम ने कियाँ
इस इंतेज़ार में किस किस से प्यार हम ने कियाँ
तमाम-ए-उम्र इंतेज़ार हम ने कियाँ
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Posted by
A+S ,
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10/06/2010 12:17:00 PM
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उसकी हसरत है जिसे दिल से मिटा भी ना सकूँ
اُسکی ھسرت ہے جسےدل سےمٹا بھی نا سکون
ढूँदने उसको चला हून जिसे पा भी ना सकूँ
ڈھوندنےاُسکو چلا ھون جسےپا بھی نا سکون
मेहरबान होके बुला लो मुझे चाहो जिस वक़्त
میہربان ھوکےبلا لو مجھےچاہو جس وکت
मैं गया वक़्त नहीं हून के फिर आ भी ना सकूँ
میںگیا وقت نہیںھون کےپھر آ بھی نا سکون
डाल कर खाक मेरे खून पे क़ातिल निकाह
ڈال کر کھاک میرےخون پےقاتل نکاہ
कुछ ये मेहन्दी नहीं मेरी के छुपा भी ना सकूँ
کچھ یہ میہندی نہیںمیری کےچھپا بھی نا سکون
ज़ॉफ में ता माए अगियार का शिकवा क्या है
جاپھ میں تا مائی اَگیار کا شکوا کیا ہے
बात कुछ सर तो नहीं है के उठा भी ना सकूँ
بات کچھ سر تو نہیںہے کےاُٹھا بھی نا سکون
ज़ब्त कम्बख़्त ने और आके गला घोंटा है
جبت کمبخت نےاور آکےگلا گھونٹا ہے
के उसे' हाल सुनाऊं तो सुना भी ना सकूँ
کےاُسی\' حال سنااُوںتو سنا بھی نا سکون
ज़हेर मिलता ही नहीं मुझको सिटमगर वरना
جہیر ملتا ھی نہیںمجھکو سٹمگر ورنا
क्या कसम है तेरे मिलने की के खा भी ना सकूँ
کیا قسم ہے تیرےملنےکی کےکھا بھ
उसके पहलून में जो ले जाके सुला डून दिल को
اُسکےپہلون میں جو لےجاکےسلا ڈون دل کو
नींद ऐसी उसे' आए के जगा भी ना सकूँ
نیند ایسے اُسی\' آئی کےجگا بھی نا سکون
_______________
दो फनकार : चित्रा सिंग और जगजीत सिंग
دو پھنکار : چترا سنگ اور جگجیت سنگ
शायर : अमीर मिनाई
شایر : اَمیر منائی
اُسکی ھسرت ہے جسےدل سےمٹا بھی نا سکون
ढूँदने उसको चला हून जिसे पा भी ना सकूँ
ڈھوندنےاُسکو چلا ھون جسےپا بھی نا سکون
मेहरबान होके बुला लो मुझे चाहो जिस वक़्त
میہربان ھوکےبلا لو مجھےچاہو جس وکت
मैं गया वक़्त नहीं हून के फिर आ भी ना सकूँ
میںگیا وقت نہیںھون کےپھر آ بھی نا سکون
डाल कर खाक मेरे खून पे क़ातिल निकाह
ڈال کر کھاک میرےخون پےقاتل نکاہ
कुछ ये मेहन्दी नहीं मेरी के छुपा भी ना सकूँ
کچھ یہ میہندی نہیںمیری کےچھپا بھی نا سکون
ज़ॉफ में ता माए अगियार का शिकवा क्या है
جاپھ میں تا مائی اَگیار کا شکوا کیا ہے
बात कुछ सर तो नहीं है के उठा भी ना सकूँ
بات کچھ سر تو نہیںہے کےاُٹھا بھی نا سکون
ज़ब्त कम्बख़्त ने और आके गला घोंटा है
جبت کمبخت نےاور آکےگلا گھونٹا ہے
के उसे' हाल सुनाऊं तो सुना भी ना सकूँ
کےاُسی\' حال سنااُوںتو سنا بھی نا سکون
ज़हेर मिलता ही नहीं मुझको सिटमगर वरना
جہیر ملتا ھی نہیںمجھکو سٹمگر ورنا
क्या कसम है तेरे मिलने की के खा भी ना सकूँ
کیا قسم ہے تیرےملنےکی کےکھا بھ
उसके पहलून में जो ले जाके सुला डून दिल को
اُسکےپہلون میں جو لےجاکےسلا ڈون دل کو
नींद ऐसी उसे' आए के जगा भी ना सकूँ
نیند ایسے اُسی\' آئی کےجگا بھی نا سکون
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दो फनकार : चित्रा सिंग और जगजीत सिंग
دو پھنکار : چترا سنگ اور جگجیت سنگ
शायर : अमीर मिनाई
شایر : اَمیر منائی
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A+S ,
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10/06/2010 11:03:00 AM
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Live life to the fullest.
True and honest, begin with yourself and extend it to others.
Use your words wisely. Words have power and create influence, do not spread them carelessly.
Negative words create negative energy and repel those around you.
Live in the positive.
Leave your 'stamp' on everything you do.
Make yourself an icon to be admired and respected.
Become an inspiration to others-so think carefully before you speak and act.
Every action, every word carries a consequence.
Create a genuineness about you that is
addictive to all those who meet you.
And finally, leave a mark on those you meet that couldn't have been left if you weren't in their lives.
True and honest, begin with yourself and extend it to others.
Use your words wisely. Words have power and create influence, do not spread them carelessly.
Negative words create negative energy and repel those around you.
Live in the positive.
Leave your 'stamp' on everything you do.
Make yourself an icon to be admired and respected.
Become an inspiration to others-so think carefully before you speak and act.
Every action, every word carries a consequence.
Create a genuineness about you that is
addictive to all those who meet you.
And finally, leave a mark on those you meet that couldn't have been left if you weren't in their lives.
Posted by
A+S ,
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10/06/2010 10:49:00 AM
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माना के मुश्त-ए-खाक से बढ़ कर नहीं हूं मैं
مانا کےمشت ئی کھاک سےبڑھ کر نہیںھوںمین
लेकिन हवा के रहमो-करम पर नहीं हूं मैं
لیکن ھوا کےرہموکرم پر نہیںھوںمین
इंसान हूं धड़कते हुए दिल पर हाथ रख
ئنسان ھوںدھڑکتےہوئے دل پر ھاتھ رکھ
यून डूब कर ना देख समंदर नहीं हूं मैं
یون ڈوب کر نا دیکھ سمندر نہیںھوںمین
चेहरे पे मल रहा हूं सियाही नसीब की
چیہرےپےمل رہا ھوںسیاہی نسیب کی
आइंना हाथ में है सिकंदर नहीं हूं मैं
آئننا ھاتھ میں ہے سکندر نہیںھوںمین
'ग़ालिब' तेरे ज़मीन में लिखी तो है ग़ज़ल
گالب تیرےزمین میں لکھی تو ہے گجل
तेरे कद-ए-सुखन के बराबर नहीं हूं मैं
تیرےکد - ئی - سکھن کےبرابر نہیںھوںمین
________~________
फ़नकार : जगजित सिंग
فنکار : جگجت سنگ
शायर : मिर्ज़ा गालिब
شایر : مرزا گالب
مانا کےمشت ئی کھاک سےبڑھ کر نہیںھوںمین
लेकिन हवा के रहमो-करम पर नहीं हूं मैं
لیکن ھوا کےرہموکرم پر نہیںھوںمین
इंसान हूं धड़कते हुए दिल पर हाथ रख
ئنسان ھوںدھڑکتےہوئے دل پر ھاتھ رکھ
यून डूब कर ना देख समंदर नहीं हूं मैं
یون ڈوب کر نا دیکھ سمندر نہیںھوںمین
चेहरे पे मल रहा हूं सियाही नसीब की
چیہرےپےمل رہا ھوںسیاہی نسیب کی
आइंना हाथ में है सिकंदर नहीं हूं मैं
آئننا ھاتھ میں ہے سکندر نہیںھوںمین
'ग़ालिब' तेरे ज़मीन में लिखी तो है ग़ज़ल
گالب تیرےزمین میں لکھی تو ہے گجل
तेरे कद-ए-सुखन के बराबर नहीं हूं मैं
تیرےکد - ئی - سکھن کےبرابر نہیںھوںمین
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फ़नकार : जगजित सिंग
فنکار : جگجت سنگ
शायर : मिर्ज़ा गालिब
شایر : مرزا گالب
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A+S ,
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10/06/2010 12:05:00 AM
...and why not ?
Though my personal views may differ with multiple fabrics, I, at times (and that too intensively !!!), do imagine the 'fantasy' of our "united" country in a 'rewind' glory !!! With my 'limited yet intensive' inputs on the 'non-required partition' in the subcontinent in Asia, one intensive feeling that 'pops up' again and again is that 'individual political ambition and interest' was (and STILL !!!!) much much more then a nationalistic togetherness !!!
Amongst several socio-political documentaries, one (amongst many) from the BBC Archive, I will be uploading a 90 minutes documentary in 6 parts due to the limitation on the Facebook platform and later moved to my blog "My Amphitheatre" (http://filmi-kaa-rafu-chakkar.blogspot.com/).
1.for WE the PEOPLE
_______
2.for WE the PEOPLE
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3.for WE the PEOPLE
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4.for WE the PEOPLE
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5.for WE the PEOPLE
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6.for WE the PEOPLE
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