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जानें क्यूँ ऐसा लगता हैं....


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चित्रपट : श्रद्धांजलि (१९८०)
गीतकार : अंजान
संगीतकार : हेमंत भोसले
स्वर : आशा भोसले और भूपेंदर सिंह

ज़िंदगी में जब तुम्हारे गम नही थे


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ज़िंदगी में जब तुम्हारे गम नही थे
इतने तन्हा थे की हम भी हम नही थे

वक़्त पर जो लोग काम आए हैं अक्सर
अजनबी थे, वो मेरे हमदम नही थे

बेसबब था तेरा मिलना रहगुज़ार में
हादसे हर मोड़ पर कुछ कम नही थे

हमने ख्वाबो में खुदा बनकर भी देखा
आप थे, बाहों में दो आलम नही थे

सामने दीवार थी खुद्दारियों की
वरना रास्ते प्यार के पूराकम नही थे
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स्वर : भूपेंडर सिंग और अनुराधा पौडवाल

ऐतबार

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किसी नज़र को तेरा, ऐतबार आज भी हैं
कहा हो तुम के ये दिल बेकरार आज भी हैं

वो वादिया, वो फिजायँ के हम मिले थे जहाँ
मेरी वफ़ा कॅया वही पर मज़ार आज भी हैं

न जाने देख के क्यू उन को ये हुआ एहसास
के मेरे दिल पे उन्हे इकतियार आज भी हैं

वो प्यार जिस के लिए ह्युमेन छ्चोड़ डी दुनियाँ
वफ़ा की राह में घायल वो प्यार आज भी हैं

यकीन नहीं हैं मगर आज भी ये लगता हैं
मेरी तलाश में शायद बहार आज भी हैं

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