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दिल-ए-नादान तुझे हुआ क्या है
आख़िर इस दर्द की दावा क्या है
हम है मुश्ताक़ और वो बेज़ार
या इलाही, ये माजरा क्या है
मैं भी मूह मे ज़ुबान रखता हूँ
काश पुच्च्ो की मुद्दा क्या है
जबकि तुझ बिन नही कोई मौजूद
फिर ये हगामा आई खुदा क्या है
ये पारी-चेहरा लोग कैसे है
गामज़ा-ओ-उष{}वा-ओ-. क्या है
शिकाने-ज़ुलाफे-आमबारी क्या है
निगाहे-चश्मे-सूरमा सा क्या है
सब्ज़-ओ-गुल कहाँ से आए है
अब्र क्या चीज़ है, हवा क्या है
हमको उनसे वफ़ा की है उम्मीद
जो नही जानते वफ़ा क्या है
हन भला कर, तेरा भला होगा
और दरवेश की सदा क्या है
जान तुम पर निसार करता हूँ
मैं नही जानता दुआ क्या है
मैने माना की कुच्छ नही ग़ालिब
मुफ़्त हाथ आए, तो बुरा क्या है
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मौसिकार : जगजीत सिंह
फनकार : जगजीत सिंह और चित्रा सिंह