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तुमने सूली पे लटकते जिसे देखा होगा



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तुमने सूली पे लटकते जिसे देखा होगा,
वक्त आएगा वही शक्स मसीहा होगा

ख्वाब देखा था के सेकर में बसेरा होगा,
क्या खबर थी की यही ख्वाब तो सच्चा होगा

मैं फ़िज़ाओं में बिखर जाऊँगा खुशबू बनकर,
रंग होगा न बदन होगा न चेहरा होगा
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मौसिकार : जगजीत सिंघ
फनकार : जगजीत सिंघ

ये करें और वो करें

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ये करे और वो करेऐसा करे वैसा करे,
जिंदगी  दो दिन कि हैं दो दिन मैं हम क्या क्या करे
जी में आता हैं की दे पर्दे का जवाब,
हम  से वो परदा करें दुनियाँ से हम परदा करें
सुन रहा हूँ कुछ लुटेरे आ गायें हैं शेहेर मैं,
आप जल्दी बाँध अपने घर का दरवाजा करे
इस पुरानी बेवफ़ा दुनियाँ का रोना कब तलक,
आईने मिल-जुल के इस दुनियाँ नया पैदा करे
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 शायर : शकेब जलाली मौसिकार : जगजीत सिंघ
फनकार : जगजीत सिंघ और चित्र सिंघ

ये बातें झुटि बातें हैं


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ये बातें झुटि बातें हैं
ये लोगों ने फैलाई हैं

तुम इंशजी का नाम ना लो
क्या इंशजी सौदाई हैं
ये बातें झुटि बातें हैं
ये लोगों ने फैलाई हैं
ये बातें, ये बातें

है लाखों रोग ज़माने में
क्यों इश्क़ है रुसवा बेचारा
हैं और भी वजे वहशत की
इंसान को रखती दुखियारा
हन बेकल बेकल रहता है
वो प्रीत में जिस ने दिल हरा
पर शाम से लेकर सुबो तलाक़
यून कौन फिरे है आवारा
ये बातें झुटि बातें हैं
ये लोगों ने फैलाई हैं
ये बातें, ये बातें

गर इश्क़ किया है तब क्या है
क्यों शाद नहीं आबाद नहीं
जो जाम लिए बिन चल ना सके
ये ऐसी भी उस्ताद नहीं
फाइंड मोरे लिरिक्स अट ववव.स्वीत्सल्यरीक्स.कॉम
ये बात तो तुम भी मानो गे
वो कैस नहीं फरहाद नहीं
क्या हिजर का दारू मुश्किल है
क्या फास्ल मुस्ते याद नहीं
ये बातें झुटि बातें हैं
ये लोगों ने फैलाई हैं
ये बातें, ये बातें

जो हम से कहो हम करते हैं
क्या इंशा को समझना है
उस लड़की से भी कहलेंगे
गो अब कुच्छ और ज़माना है
या छ्चोड़ें या तकमील करें
ये इश्क़ है या अफ़साना है
ये कैसा गोरख धनदा है
ये कैसा तानाबाना है
ये बातें झुटि बातें हैं
ये लोगों ने फैलाई हैं

तुम इंशजी का नाम ना लो
क्या इंशजी सौदाई हैं
ये बातें झुटि बातें हैं
ये लोगों ने फैलाई हैं
ये बातें, ये बातें
ये बातें, ये बातें
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फनकार/मौसीकार : गुलाम अली

दिल की बात लबों पर लाकर


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दिल की बात लबों तक लाकर अब तक दुख सहते हैं
हम ने सुना था इस बस्ती में दिल वाले भी रहते हैं

बीत गया सावन का महीना मौसम ने नज़रें बदली
लेकिन इन प्यासी आँखों में अब तक आसू बहते हैं

एक ह्यूम आवारा केहेना कोई बड़ा इल्ज़ाम नही
दुनिया वाले दिल वालों को और बहूत कुछ कहते हैं

जिसकी खतीर शहर भी चोरदा जिसके लिए बदनाम हुए
आज वोही हुंसे बेगाने बेगाने से रहते हैं

वो जो अभी रहगीज़ार से चक-ए-ग़रेबान गुज़रा था
उस आवारा दीवाने को "जालीब जालीब कहते हैं
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शायर : हबीब ज़ालीब
फनकार/मौसीकार : गुलाम अली

खूबरूयों से यारियाँ ना गयीं


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फनकार और मौसीकार
गुलाम अली

जब तेरे नैन मुस्कुराते हैं


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जब तेरे नैन मुस्कुराते हैं
ज़ीस्त के रंज भूल जाते हैं

क्यूँ शिकन डालते हो माथे पर
भूल कर आ गए हम जाते हैं

कश्तियाँ यूँ भी डूब जाती हैं
नाख़ुदा किसलिये डराते हैं

इक हसीं आँख के इशारे पर
क़ाफ़िले राह भूल जाते हैं

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फनकार और मौसिकार : मेहन्दी हसन

बिन बारिष बरसात ना होगी


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बिन बारिष बरसात ना होगी
रात गयी तो रात ना होगी

राज़-इ-मोहब्बत तुम मत पूछो
मुझसे तो ये बात ना होगी

किस से दिल बहलाओगे तुम
जिस दम मेरी ज़ात ना होगी

अश्क भी अब ना पैद हुए हैं
शायम अब बरसात ना होगी

यूं देखेंगे आरिफ उसको
बीच में अपनी ज़ात ना होगी
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शायर : खालिद महमूद आरिफ़
मौसीकार/फनकार : गुलाम अली

दिल में एक ल़हेर सी उठी हैं अभी


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दिल में एक ल़हेर सी उठी हैं अभी
कोई ताज़ा हवा चली हैं अभी

शोर बरपा है खाना ए दिल में
कोई दीवार सी गिरी हैं अभी

कुच्छ तो नाज़ुक मिज़ाज हैं हम भी
और ये चोठ भी नयी हैं अभी

भारी दुनियाँ में जी नहीं लगता
जाने किस चीज़ की कमी हैं अभी

तू शरीक-ए-सुख्हन नहीं हैं तो क्या
हम सुख्हन तेरी खामोशी हैं अभी

याद के बेनिशान जज़ीरों से
तेरी आवाज़ आ रही हैं अभी

शहेर के बेचराग़ गलियों में
ज़िंदगी तुझ को ढ्नडती हैं अभी

सो गये लोग उस हवेली के
एक खिडकी मगर खुली है अभी

तुम तो यारो अभी से उठ बैठे
शहर मैं रात जागती है अभी

वक़्त अच्छा भीइ आएगा 'नसीर'
गम ना कर ज़िंदगीइ पा.डी है अभी
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शायर : नसीर काज़मी
फनकार/मौसीकार : गुलाम अली