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गुलों में रंग भरें बाद-ए-नौबहार चले


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गुलो मे राग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले
चले भी आ ओ के गुलशन का कार-ओ-बार चले

क़ाफास उदास है यारो सबा से कुच्छ तो कहो
कही तो बाहर-ए-खुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले

जो हम पे गुज़री सो गुज़री मगर शब-ए-हिजरां
हमारे अश्क तेरी आकबत संवार चले

मकाम 'फ़ैज़' कोई राह मे जाँचा ही नही
जो कू-ए-यार से निकले तो सू-ए-दार चले

कभी तो सुबह तेरे कुज-ए-लब से हो आगाज़
कभी तो शब सर-ए-काकुल से मुश्काबार चले

बड़ा है दर्द का रिश्ता ये दिल ग़रीब सही
तुम्हारे नाम पे आएगे गम-गुसार चले

हुज़ूर-ए-यार हूइ दफ़्तर-ए-जुनून की तलब
गिरह मे ले के गिरेबान का तार तार चले
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 शायर : फ़िज़ अली फ़िज़
फनकार : मेहँदी हसन

रफ़्ता रफ़्ता वो मेरी हस्ती का सामा हो गये

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रफ़्ता रफ़्ता वो मेरी हस्ती का सामा हो गये
पहले जान फिर जान-ए-जान फिर जान-ए-जाना हो गये
Rafta: Slowly
Hasti: Being, Existence, Life
Saamaan: Articles, Apparatus, Baggage, Custom, Equipment, Luggage, Power, Understanding, Ware
Jaan: Beloved, Life, Mind, Sweetheart, Soul, Vigor, Zing
Jaan-e-Jaan: Love of my life
Jaan-e-Jaanaan: Beloved, Dear One, Sweetheart

दिन-बा-दिन बढ़ती गयी इस हुश्न की रानयीयाण
फेले गुल फिर गुल बदन फिर गुल बादामा हो गये
Din-ba-din: Day by day, day after day, every day, daily, from day to day
Raanaaii: Beauty
Gul: Rose, Flower, Ornament, Brand
Gul-badan: Delicate, Gracefu
Gul-badaamaa: almond blossom (possible a very delicate/attractive flower?)

आप तो नज़दीक से नज़दीक तार आते गये
पहले दिल फिर दिलरुबा फिर दिल के मेह्माण हो गये
Nazdeek: Near
Tar: Fresh, Humid, Moist, Wet
Dilruba: Alluring, Fascinating, Sweetheart
Mehmaan: Guest, Occupant

प्यार जब हद से बढ सारे तकल्लूफ मिट गये
आप से फिर तुम हुए फिर तू का उन्वाण हो गये
Hadh: Boundary, Limit, Very, At Most, Utmost Point
Takalluf: Etiquette, Formality, Luxury,Manners
Unwaan: Form, Headline, Label, Legend, Preface, Start Of Chapter, Title
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शायर : तसलीं फ़ाज़ली
फनकार : मेहदी हॅसन

देखना उनका कनखियो से


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देखना उनका कनखियो से इधर देखा किये
अपनी आहें कम असर का हम असर देखा किये

जो बा-ज़ाहिर हमसे सदियों की मुसाफत पर रहें
हम उन्हें हर गाम अपना हमसफ़र देखा किये

लम्हा-लम्हा वक़्त का सैलाब चढ़ता ही गया
रफ़्ता-रफ़्ता डूबता हम अपना घर देखा किये

कोई क्या जाने के कैसे हम भारी बरसात में
नज़रें आतिश अपने ही दिल का नगर देखा किये

सुन के वो ‘शहज़ाद’ के आसार सर धुनता रहा
थाम कर हम दोनों हाथों से जिगर देखा किये
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शायर : फरहत शेहज़ाद
फनकार : महेंदी हसन

जो थके थके से थे हौसले


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जो थके थके से थे हौसले वो शबाब बन के मचल गए
जो नज़र नज़र से गले मिली तो बुझे चिराग भी जल गए।

ये शिक़स्त-ए-दीद की करवटें भी बड़ी लतीफ़-ओ-ज़मील
मैं नज़र झुका के तड़प गया वो नज़र बचा के निकल गए।

न ख़िज़ाँ में है कोई तीरगी न बहार में है कोई रोशनी
ये नज़र-नज़र के चिराग हैं कहीं बुझ गए कहीं जल गए।

जो सँभल-सँभल के बहक गए वो फ़रेब ख़ुर्द-ए-राह थे
वो मक़ाम इश्क को पा गए जो बहक बहक के सँभल गए।

जो खिले हुए हैं रविश-रविश वो हज़ार हुस्न-ए-चमन सही
मग़र उन गुलों का जवाब क्या जो क़दम-क़दम पे कुचल गए।

न है शायर अब ग़म-ए-नौ-ब-नौ न वो दाग़-ए-दिल न वो आरज़ू
जिन्हें एतमाद-ए-बहार था वो ही फूल रंग बदल गए।
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शायर : लखनवी
फनकार : मेहँदी हसन

कैसे चुपाउँ राज़-ए-ग़म | کیسے چھپاؤ راز ا گم


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कैसे चुपाउँ राज़-ए-ग़म दीदार-ए-तार को क्या करू
दिल की तपिश को क्या करू सोज़-ए-जिगर को क्या करू ?

शोरिश-ए-आशिकी कहाँ और मेरी सादगी कहाँ
हुसं कों तेरे क्यां कहूँ अपनी नज़र कों क्यां कहूँ ?

गम का न दिल में हो गुज़र वस्ल की शब् हो यूँ बज़र
सब ये कुबील हैं मगर खौफ-ए-सहर को क्यां करूँ ?

हाल मेरा था जब बतर तब ना हुई तुम्हें खबर
बाद मेरे हवा असर अब मैं असर कों क्यां कहूँ ?
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शायर : सलीम गिलानी
फनकार : महेंदी हसन

जब तेरे नैन मुस्कुराते हैं


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जब तेरे नैन मुस्कुराते हैं
ज़ीस्त के रंज भूल जाते हैं

क्यूँ शिकन डालते हो माथे पर
भूल कर आ गए हम जाते हैं

कश्तियाँ यूँ भी डूब जाती हैं
नाख़ुदा किसलिये डराते हैं

इक हसीं आँख के इशारे पर
क़ाफ़िले राह भूल जाते हैं

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फनकार और मौसिकार : मेहन्दी हसन