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एक अकेला इस शहर में रात में और दोपहर में
आबोड़ाना ढूनडता है आशियाना ढूनडता है
दिन खाली खाली बर्तन है और रात है जैसे अँधा कुआँ
इन सूनी अंधेरी आँखों से आनसून की जगह आता हैं धुआँ
जीने की वजह तो कोई नही मरने का बहाना ढूनडता है
एक अकेला इस शहर में...
इन उमर से लंबी सड़कों को मंज़िल पे पोहॉंछते देखा नहीं
बस दौड़ती फिरती रहती हैं हुँने तो ठहेरते देखा नहीं
इस अजनबी से शहर में जाना पहेचना ढूनडता है
एक अकेला इस शहर में...
आबोड़ाना ढूनडता है आशियाना ढूनडता है
दिन खाली खाली बर्तन है और रात है जैसे अँधा कुआँ
इन सूनी अंधेरी आँखों से आनसून की जगह आता हैं धुआँ
जीने की वजह तो कोई नही मरने का बहाना ढूनडता है
एक अकेला इस शहर में...
इन उमर से लंबी सड़कों को मंज़िल पे पोहॉंछते देखा नहीं
बस दौड़ती फिरती रहती हैं हुँने तो ठहेरते देखा नहीं
इस अजनबी से शहर में जाना पहेचना ढूनडता है
एक अकेला इस शहर में...
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