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गुलों में रंग भरें बाद-ए-नौबहार चले


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गुलो मे राग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले
चले भी आ ओ के गुलशन का कार-ओ-बार चले

क़ाफास उदास है यारो सबा से कुच्छ तो कहो
कही तो बाहर-ए-खुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले

जो हम पे गुज़री सो गुज़री मगर शब-ए-हिजरां
हमारे अश्क तेरी आकबत संवार चले

मकाम 'फ़ैज़' कोई राह मे जाँचा ही नही
जो कू-ए-यार से निकले तो सू-ए-दार चले

कभी तो सुबह तेरे कुज-ए-लब से हो आगाज़
कभी तो शब सर-ए-काकुल से मुश्काबार चले

बड़ा है दर्द का रिश्ता ये दिल ग़रीब सही
तुम्हारे नाम पे आएगे गम-गुसार चले

हुज़ूर-ए-यार हूइ दफ़्तर-ए-जुनून की तलब
गिरह मे ले के गिरेबान का तार तार चले
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 शायर : फ़िज़ अली फ़िज़
फनकार : मेहँदी हसन

गेली निघून रात्र


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एक अप्रतीम मराठी गझल
स्वर : डॉक्टर प्रभा अत्रे

आई इधर बहारें जवानी उधर गयी

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फनकार : हरिहरन

रफ़्ता रफ़्ता वो मेरी हस्ती का सामा हो गये

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रफ़्ता रफ़्ता वो मेरी हस्ती का सामा हो गये
पहले जान फिर जान-ए-जान फिर जान-ए-जाना हो गये
Rafta: Slowly
Hasti: Being, Existence, Life
Saamaan: Articles, Apparatus, Baggage, Custom, Equipment, Luggage, Power, Understanding, Ware
Jaan: Beloved, Life, Mind, Sweetheart, Soul, Vigor, Zing
Jaan-e-Jaan: Love of my life
Jaan-e-Jaanaan: Beloved, Dear One, Sweetheart

दिन-बा-दिन बढ़ती गयी इस हुश्न की रानयीयाण
फेले गुल फिर गुल बदन फिर गुल बादामा हो गये
Din-ba-din: Day by day, day after day, every day, daily, from day to day
Raanaaii: Beauty
Gul: Rose, Flower, Ornament, Brand
Gul-badan: Delicate, Gracefu
Gul-badaamaa: almond blossom (possible a very delicate/attractive flower?)

आप तो नज़दीक से नज़दीक तार आते गये
पहले दिल फिर दिलरुबा फिर दिल के मेह्माण हो गये
Nazdeek: Near
Tar: Fresh, Humid, Moist, Wet
Dilruba: Alluring, Fascinating, Sweetheart
Mehmaan: Guest, Occupant

प्यार जब हद से बढ सारे तकल्लूफ मिट गये
आप से फिर तुम हुए फिर तू का उन्वाण हो गये
Hadh: Boundary, Limit, Very, At Most, Utmost Point
Takalluf: Etiquette, Formality, Luxury,Manners
Unwaan: Form, Headline, Label, Legend, Preface, Start Of Chapter, Title
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शायर : तसलीं फ़ाज़ली
फनकार : मेहदी हॅसन

तुमने सूली पे लटकते जिसे देखा होगा



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तुमने सूली पे लटकते जिसे देखा होगा,
वक्त आएगा वही शक्स मसीहा होगा

ख्वाब देखा था के सेकर में बसेरा होगा,
क्या खबर थी की यही ख्वाब तो सच्चा होगा

मैं फ़िज़ाओं में बिखर जाऊँगा खुशबू बनकर,
रंग होगा न बदन होगा न चेहरा होगा
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मौसिकार : जगजीत सिंघ
फनकार : जगजीत सिंघ

ये करें और वो करें

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ये करे और वो करेऐसा करे वैसा करे,
जिंदगी  दो दिन कि हैं दो दिन मैं हम क्या क्या करे
जी में आता हैं की दे पर्दे का जवाब,
हम  से वो परदा करें दुनियाँ से हम परदा करें
सुन रहा हूँ कुछ लुटेरे आ गायें हैं शेहेर मैं,
आप जल्दी बाँध अपने घर का दरवाजा करे
इस पुरानी बेवफ़ा दुनियाँ का रोना कब तलक,
आईने मिल-जुल के इस दुनियाँ नया पैदा करे
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 शायर : शकेब जलाली मौसिकार : जगजीत सिंघ
फनकार : जगजीत सिंघ और चित्र सिंघ

अपनी आग को ज़िंदा रखना कितना मुश्किल है



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अपनी आग को ज़िंदा रखना कितना मुश्किल है,
पत्थर बीच आईना रखना कितना मुश्किल है

कितना आसान है तस्वीर बनाना औरों की,
खुद को पासे-आईना रखना कितना मुश्किल है

तुमने मंदिर देखे होंगे ये मेरा आँगन है,
एक दिया भी जलता रखना कितना मुश्किल है

चुल्लू में हो दर्द का दरिया ध्यान में उसके होंठ,
यूँ भी खुद को प्यासा रखना कितना मुश्किल है
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मौसीकार : जगजीत सिंग
फनकार : जगजीत सिंग और चित्रा सिंग



शाम-ए-फ़िराक अब न पूछों

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फनकाराँ  : बेगम अक्तर

देखना उनका कनखियो से


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देखना उनका कनखियो से इधर देखा किये
अपनी आहें कम असर का हम असर देखा किये

जो बा-ज़ाहिर हमसे सदियों की मुसाफत पर रहें
हम उन्हें हर गाम अपना हमसफ़र देखा किये

लम्हा-लम्हा वक़्त का सैलाब चढ़ता ही गया
रफ़्ता-रफ़्ता डूबता हम अपना घर देखा किये

कोई क्या जाने के कैसे हम भारी बरसात में
नज़रें आतिश अपने ही दिल का नगर देखा किये

सुन के वो ‘शहज़ाद’ के आसार सर धुनता रहा
थाम कर हम दोनों हाथों से जिगर देखा किये
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शायर : फरहत शेहज़ाद
फनकार : महेंदी हसन

हम तो यूँ अपनी ज़िंदगी से


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हम तो यूँ अपनी ज़िंदगी से मिले
अजनबी जैसे अजनबी से मिले

हर वफ़ा एक जुर्म हो गोया
दोस्त कुछ ऐसी बेरूख़ी से मिले

फूल ही फूल हम ने माँगे थे
दाग ही दाग ज़िंदगी से मिले

जिस तरह आप हम से मिलते हैं
आदमी यूँ ना आदमी से मिले
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शायर : सुदर्शन फकीर
फनकार : शोभा गुर्टु

जो थके थके से थे हौसले


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जो थके थके से थे हौसले वो शबाब बन के मचल गए
जो नज़र नज़र से गले मिली तो बुझे चिराग भी जल गए।

ये शिक़स्त-ए-दीद की करवटें भी बड़ी लतीफ़-ओ-ज़मील
मैं नज़र झुका के तड़प गया वो नज़र बचा के निकल गए।

न ख़िज़ाँ में है कोई तीरगी न बहार में है कोई रोशनी
ये नज़र-नज़र के चिराग हैं कहीं बुझ गए कहीं जल गए।

जो सँभल-सँभल के बहक गए वो फ़रेब ख़ुर्द-ए-राह थे
वो मक़ाम इश्क को पा गए जो बहक बहक के सँभल गए।

जो खिले हुए हैं रविश-रविश वो हज़ार हुस्न-ए-चमन सही
मग़र उन गुलों का जवाब क्या जो क़दम-क़दम पे कुचल गए।

न है शायर अब ग़म-ए-नौ-ब-नौ न वो दाग़-ए-दिल न वो आरज़ू
जिन्हें एतमाद-ए-बहार था वो ही फूल रंग बदल गए।
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शायर : लखनवी
फनकार : मेहँदी हसन

कैसे चुपाउँ राज़-ए-ग़म | کیسے چھپاؤ راز ا گم


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कैसे चुपाउँ राज़-ए-ग़म दीदार-ए-तार को क्या करू
दिल की तपिश को क्या करू सोज़-ए-जिगर को क्या करू ?

शोरिश-ए-आशिकी कहाँ और मेरी सादगी कहाँ
हुसं कों तेरे क्यां कहूँ अपनी नज़र कों क्यां कहूँ ?

गम का न दिल में हो गुज़र वस्ल की शब् हो यूँ बज़र
सब ये कुबील हैं मगर खौफ-ए-सहर को क्यां करूँ ?

हाल मेरा था जब बतर तब ना हुई तुम्हें खबर
बाद मेरे हवा असर अब मैं असर कों क्यां कहूँ ?
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शायर : सलीम गिलानी
फनकार : महेंदी हसन

रात तारोँ से जब सवरती हैं


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फनकार : तलत महमूद

ज़िक्र उस परीवश का : ذکر اس پروش کا


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شیر : مرزا گالب
शायर : मिर्ज़ा ग़ालिब
فنکار : طلعت محمود
फंकार : तलत महमूद

ये बातें झुटि बातें हैं


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ये बातें झुटि बातें हैं
ये लोगों ने फैलाई हैं

तुम इंशजी का नाम ना लो
क्या इंशजी सौदाई हैं
ये बातें झुटि बातें हैं
ये लोगों ने फैलाई हैं
ये बातें, ये बातें

है लाखों रोग ज़माने में
क्यों इश्क़ है रुसवा बेचारा
हैं और भी वजे वहशत की
इंसान को रखती दुखियारा
हन बेकल बेकल रहता है
वो प्रीत में जिस ने दिल हरा
पर शाम से लेकर सुबो तलाक़
यून कौन फिरे है आवारा
ये बातें झुटि बातें हैं
ये लोगों ने फैलाई हैं
ये बातें, ये बातें

गर इश्क़ किया है तब क्या है
क्यों शाद नहीं आबाद नहीं
जो जाम लिए बिन चल ना सके
ये ऐसी भी उस्ताद नहीं
फाइंड मोरे लिरिक्स अट ववव.स्वीत्सल्यरीक्स.कॉम
ये बात तो तुम भी मानो गे
वो कैस नहीं फरहाद नहीं
क्या हिजर का दारू मुश्किल है
क्या फास्ल मुस्ते याद नहीं
ये बातें झुटि बातें हैं
ये लोगों ने फैलाई हैं
ये बातें, ये बातें

जो हम से कहो हम करते हैं
क्या इंशा को समझना है
उस लड़की से भी कहलेंगे
गो अब कुच्छ और ज़माना है
या छ्चोड़ें या तकमील करें
ये इश्क़ है या अफ़साना है
ये कैसा गोरख धनदा है
ये कैसा तानाबाना है
ये बातें झुटि बातें हैं
ये लोगों ने फैलाई हैं

तुम इंशजी का नाम ना लो
क्या इंशजी सौदाई हैं
ये बातें झुटि बातें हैं
ये लोगों ने फैलाई हैं
ये बातें, ये बातें
ये बातें, ये बातें
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फनकार/मौसीकार : गुलाम अली

दिल की बात लबों पर लाकर


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दिल की बात लबों तक लाकर अब तक दुख सहते हैं
हम ने सुना था इस बस्ती में दिल वाले भी रहते हैं

बीत गया सावन का महीना मौसम ने नज़रें बदली
लेकिन इन प्यासी आँखों में अब तक आसू बहते हैं

एक ह्यूम आवारा केहेना कोई बड़ा इल्ज़ाम नही
दुनिया वाले दिल वालों को और बहूत कुछ कहते हैं

जिसकी खतीर शहर भी चोरदा जिसके लिए बदनाम हुए
आज वोही हुंसे बेगाने बेगाने से रहते हैं

वो जो अभी रहगीज़ार से चक-ए-ग़रेबान गुज़रा था
उस आवारा दीवाने को "जालीब जालीब कहते हैं
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शायर : हबीब ज़ालीब
फनकार/मौसीकार : गुलाम अली

खूबरूयों से यारियाँ ना गयीं


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फनकार और मौसीकार
गुलाम अली

महफ़िल में बार बार किसी पर नज़र गई


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तेरी बात ही सुनाने आये, दोस्त भी दिल ही दुखाने आये
फूल खिलते हैं तो हम सोचते हैं तेरे आने का ज़माने आये
शायद मुझे निकाल के पछता रहे हो आप
महफ़िल में इस ख़याल से फिल आ गया हूँ मैं

महफ़िल में बार बार किसी पर नज़र गई
हमने बचाई लाख मगर फिर उधर गई

उनकी नज़र में कोई तो जादू ज़ुरूर है
जिस पर पड़ी, उसी के जिगर तक उतर गई

उस बेवफा की आँख से आंसू झलक पड़े
हसरत भारी निगाह बड़ा काम कर गई

उनके जमाल-इ-रुख पे उन्ही का जमाल था
वोह चल दिए तो रौनक-इ-शाम-ओ-सहर गई

उनको खबर करो के है बिस्मिल करीब-इ-मर्ग
वोह आयेंगे ज़ुरूर जो उन तक खबर गई
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शायर : आगा बिसमिल
मौसीकार और फनकार : गुलाम अली

जब तेरे नैन मुस्कुराते हैं


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जब तेरे नैन मुस्कुराते हैं
ज़ीस्त के रंज भूल जाते हैं

क्यूँ शिकन डालते हो माथे पर
भूल कर आ गए हम जाते हैं

कश्तियाँ यूँ भी डूब जाती हैं
नाख़ुदा किसलिये डराते हैं

इक हसीं आँख के इशारे पर
क़ाफ़िले राह भूल जाते हैं

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फनकार और मौसिकार : मेहन्दी हसन

बिन बारिष बरसात ना होगी


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बिन बारिष बरसात ना होगी
रात गयी तो रात ना होगी

राज़-इ-मोहब्बत तुम मत पूछो
मुझसे तो ये बात ना होगी

किस से दिल बहलाओगे तुम
जिस दम मेरी ज़ात ना होगी

अश्क भी अब ना पैद हुए हैं
शायम अब बरसात ना होगी

यूं देखेंगे आरिफ उसको
बीच में अपनी ज़ात ना होगी
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शायर : खालिद महमूद आरिफ़
मौसीकार/फनकार : गुलाम अली