__________________
तेरी बात ही सुनाने आये, दोस्त भी दिल ही दुखाने आये
फूल खिलते हैं तो हम सोचते हैं तेरे आने का ज़माने आये
शायद मुझे निकाल के पछता रहे हो आप
महफ़िल में इस ख़याल से फिल आ गया हूँ मैं
महफ़िल में बार बार किसी पर नज़र गई
हमने बचाई लाख मगर फिर उधर गई
उनकी नज़र में कोई तो जादू ज़ुरूर है
जिस पर पड़ी, उसी के जिगर तक उतर गई
उस बेवफा की आँख से आंसू झलक पड़े
हसरत भारी निगाह बड़ा काम कर गई
उनके जमाल-इ-रुख पे उन्ही का जमाल था
वोह चल दिए तो रौनक-इ-शाम-ओ-सहर गई
उनको खबर करो के है बिस्मिल करीब-इ-मर्ग
वोह आयेंगे ज़ुरूर जो उन तक खबर गई
_________________________
शायर : आगा बिसमिल
मौसीकार और फनकार : गुलाम अली
फूल खिलते हैं तो हम सोचते हैं तेरे आने का ज़माने आये
शायद मुझे निकाल के पछता रहे हो आप
महफ़िल में इस ख़याल से फिल आ गया हूँ मैं
महफ़िल में बार बार किसी पर नज़र गई
हमने बचाई लाख मगर फिर उधर गई
उनकी नज़र में कोई तो जादू ज़ुरूर है
जिस पर पड़ी, उसी के जिगर तक उतर गई
उस बेवफा की आँख से आंसू झलक पड़े
हसरत भारी निगाह बड़ा काम कर गई
उनके जमाल-इ-रुख पे उन्ही का जमाल था
वोह चल दिए तो रौनक-इ-शाम-ओ-सहर गई
उनको खबर करो के है बिस्मिल करीब-इ-मर्ग
वोह आयेंगे ज़ुरूर जो उन तक खबर गई
_________________________
शायर : आगा बिसमिल
मौसीकार और फनकार : गुलाम अली
7 Comments