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लोग कहते हैं अजनबी तुम हो
अजनबी मेरी ज़िंदगी तुम हो
दिल किसी और का न हो पाया
आरज़ू मेरी आज भी तुम हो
मुझको अपना शरीक-ए-ग़म कर लो
यूँ अकेले बहुत दुखी तुम हो
दोस्तों से वफ़ा की उम्मीदें
किस ज़माने के आदमी तुम हो
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शायर : बशीर बद्र
मौसीकार : हरीहरन
फ़नकारां : आशा भोसले
अजनबी मेरी ज़िंदगी तुम हो
दिल किसी और का न हो पाया
आरज़ू मेरी आज भी तुम हो
मुझको अपना शरीक-ए-ग़म कर लो
यूँ अकेले बहुत दुखी तुम हो
दोस्तों से वफ़ा की उम्मीदें
किस ज़माने के आदमी तुम हो
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शायर : बशीर बद्र
मौसीकार : हरीहरन
फ़नकारां : आशा भोसले
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