32 Comments
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A+S ,
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10/05/2010 09:58:00 PM
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शाम को सूभ-ए-चमन याद आई
شام کو سوبھ - ئی - چمن یاد آئی
किस की खुश्बू-ए-बदन याद आई
کس کی کھشبو - ئی - بدن یاد آئی
चाँद जब दूउर उफ़ाक़ पर डूबा
چاند جب دواُر اُفاک پر ڈوب
तेरे लहजे की थकान याद आई
تیرےلہجےکی تھکان یاد آئی
याद आए तेरे पैकर के खुतूवत
یاد آئی تیرےپیکر کےکھتووت
अपनी कोताही-ए-फान्न याद आई
اَپنی کوتاہی - ئی - پھانن یاد آئی
जब ख़यालों में कोई मोर आया
جب خیالوںمیں کوئی مور آیا
तेरे गेसू की शिकर्ण याद आई
تیرےگیسو کی شکرن یاد آئی
दिन शुआओं से उलझते गुज़रा
دن شآاوںسےاُلجھتےگجرا
रात आई तो किरण याद आई
رات آئی تو کرن یاد آئی
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फ़नकार : गुलाम अली
शायर : एहमद नदीम काज़मी
شام کو سوبھ - ئی - چمن یاد آئی
किस की खुश्बू-ए-बदन याद आई
کس کی کھشبو - ئی - بدن یاد آئی
चाँद जब दूउर उफ़ाक़ पर डूबा
چاند جب دواُر اُفاک پر ڈوب
तेरे लहजे की थकान याद आई
تیرےلہجےکی تھکان یاد آئی
याद आए तेरे पैकर के खुतूवत
یاد آئی تیرےپیکر کےکھتووت
अपनी कोताही-ए-फान्न याद आई
اَپنی کوتاہی - ئی - پھانن یاد آئی
जब ख़यालों में कोई मोर आया
جب خیالوںمیں کوئی مور آیا
तेरे गेसू की शिकर्ण याद आई
تیرےگیسو کی شکرن یاد آئی
दिन शुआओं से उलझते गुज़रा
دن شآاوںسےاُلجھتےگجرا
रात आई तो किरण याद आई
رات آئی تو کرن یاد آئی
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फ़नकार : गुलाम अली
शायर : एहमद नदीम काज़मी
Posted by
A+S ,
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10/05/2010 09:50:00 PM
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...a rich combinatorial result of and by Gulzar's direction, music composed by Hridaynaath Mangeshkar and the 'evergreen' sound of Asha Bhosle along with Pt.Satyasheel Deshpande !!!
Posted by
A+S ,
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10/05/2010 09:41:00 PM
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2 great legends of entire blends of every 'frames' of Indian 'nashaa' of rich music that has, will and always remain tinkling on our minds always, Asha Bhosle and Khaiyyam
Posted by
A+S ,
Labels:
G.D.Madgulkar
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Sudhir Phadke
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पराधीन आहे जगती पुत्र मानवाचा
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10/05/2010 05:57:00 PM
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गीत रामायण
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पाराधीन आहे जगती पुत्र मानवाचा
गीत: ग.दी.मा
गायक व संगीत: सुधीर फडके
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पाराधीन आहे जगती पुत्र मानवाचा
गीत: ग.दी.मा
गायक व संगीत: सुधीर फडके
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एनिमेटेड संस्करण
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||पाराधीन आहे जगती पुत्र मानवाचा||
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"गीत रामायण"
||गीतकार||
ग.दि.मा
||संगीतकार व गायक||
सुधीर फडके
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||पाराधीन आहे जगती पुत्र मानवाचा||
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"गीत रामायण"
||गीतकार||
ग.दि.मा
||संगीतकार व गायक||
सुधीर फडके
Posted by
A+S ,
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10/05/2010 05:41:00 PM
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मिराज़-ए-ग़ज़ल
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|composer|| Gulaam Ali|
|Singers|| Asha Bhosle & Gulaam Ali|
|Photo-shoot by|| Santosh Jadhav|
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|composer|| Gulaam Ali|
|Singers|| Asha Bhosle & Gulaam Ali|
|Photo-shoot by|| Santosh Jadhav|
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Naina Tose Laage (Remix)
The mesmerizing voice of
ASHA BHOSLE
Posted by
A+S ,
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10/05/2010 05:30:00 PM
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रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आए
आ फिर से मुझे छ्चोड़ के जाने के लिए आ
रंजिश ही सही…………
पहले से मारसीं ना सही फिर भी कभी तो
रस्मो रहे दुनिया ही निभाने के लिए आ
रंजिश ही सही…………
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझसे खफा है तो ज़माने के लिए आ
रंजिश ही सही…………
कुछ तो मेरे पिंडयर-ए-मोहब्बत का भरम रख
तू भी तो कभी मुझको मानने के लिए आ
रंजिश ही सही…………
इक उम्र से हून लज़्ज़त-ए-गिरिया से भी महरूम
आए राहत-ए-जान मुझको रुलाने के लिए आ
रंजिश ही सही…………
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Fankaar: Runa Laila
आ फिर से मुझे छ्चोड़ के जाने के लिए आ
रंजिश ही सही…………
पहले से मारसीं ना सही फिर भी कभी तो
रस्मो रहे दुनिया ही निभाने के लिए आ
रंजिश ही सही…………
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझसे खफा है तो ज़माने के लिए आ
रंजिश ही सही…………
कुछ तो मेरे पिंडयर-ए-मोहब्बत का भरम रख
तू भी तो कभी मुझको मानने के लिए आ
रंजिश ही सही…………
इक उम्र से हून लज़्ज़त-ए-गिरिया से भी महरूम
आए राहत-ए-जान मुझको रुलाने के लिए आ
रंजिश ही सही…………
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Fankaar: Runa Laila
Posted by
A+S ,
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10/05/2010 05:27:00 PM
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Raag Jogiya rendered by Ustaad Nazaakat Ali Khan & Ustaad Salaamat Ali Khan
in a thumri "aan milo ik baar sajanwa"
Posted by
A+S ,
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10/05/2010 04:14:00 PM
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Since my childhood, with and around my environment and 'mental' growth, music "made, played as well grew" parallel around me. During the end of '70s my father had purchased a LP (Long Play) with the face and name of a budding hundustani vocal artist at that time called Prabha Atre. Personally I was quite childish. Yet, after my first hearing I was feeling excited though not particularly in its technical aspects. A few days later I hear it again. I was getting a simple yet 'different' feeling. Calm, relaxed and sense of mixed combination of spiritual as well happiness. As I grew, I used to get the opportunity for various festivals and concerts and eagerly waiting to hear more and particularly for that similar raag. That was the time I came to know that it is a particular rendition raag called Maru Bihaag. Years later last year during the end of 2009 I was in Music Academy in Chennai for the live concert of Pandit Channulal Mishra. My past memories were 're-enlightened'. So here is a creative compilation the raag Maru Bihaad rendered by Pandit Channulal Mishra in a drut teentaal to share with friends, old and new.
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The raag has been rendered in a drut ektaal.
I look forward for one and all to hear and enjoy the rich treasure of hindustaani classical music.
I look forward for one and all to hear and enjoy the rich treasure of hindustaani classical music.
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Rendered by Ustaad Rashid Khan in drut Teentaal.
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Raag Maaru Bihaag rendered by Dr.Prabhaa Atre in drut teentaal.
A romantic evening raag with its much-loved Maaru Bihaag is of fairly recent vintage. The Maaru Bihaag in currency is widely acknowledged to be a product of Atrauli-Jaipur founder Alladiya Khan's prodigious imagination. Over the years and in the course of its journey across regions, the raag has acquired quaint touches and flavors reflecting the idiosyncrasies of some of the more creative minds.
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Posted by
A+S ,
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10/05/2010 02:57:00 PM
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माला हों या मायाजाल, ममता हो या मेह्जबीन का आँचल...
वोह जो हम में तुम में करार था
तुम्हे याद हो के ना याद हो
वो ही यँनी वाडा निबाह का
तुम्हे याद हो के ना याद हो
वो नये गीले वो शिकायतें
वो मज़े मज़े की हिकायतें
वो हर एक बात पे रूठना
तुम्हे याद हो के ना याद हो
कभी हम मे तूमे मे भी चाह थी
कभी हम से तुम से भी राह थी
कभी हम भी तुम से थे आशना
तुम्हे याद हो के ना याद हो
वोह जो हम में तुम में करार था
तुम्हे याद हो के ना याद हो
वो ही यँनी वाडा निबाह का
तुम्हे याद हो के ना याद हो
वो नये गीले वो शिकायतें
वो मज़े मज़े की हिकायतें
वो हर एक बात पे रूठना
तुम्हे याद हो के ना याद हो
कभी हम मे तूमे मे भी चाह थी
कभी हम से तुम से भी राह थी
कभी हम भी तुम से थे आशना
तुम्हे याद हो के ना याद हो
of
Gwaalher Gharanaa
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विभूषि श्रीमती मालिनी राजुरकर (१९४१ में पैदा हुई) एक ग्वालियर घराने की हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक संतोष व्यक्त किया. वह राजस्थान के राज्य में भारत में वृद्धि हुई. , उसके भविष्य के पति वसंतराव के एक चाचा गोविंद राजुरकर, शुरू में उसे संगीत सिखाया. वह तो आगे वसंतराव मालिनी. भारत में प्रमुख संगीत उत्सव, गुणिदाससम्मेलन (मुंबई), तानसेन समारोह (ग्वालियर) में शामिल किया गया है के तहत संगीत सीखा, सवाई गंधर्व समारोह (पुणे), शंकर लाल समारोह (दिल्ली), श्रीमती केसरबाई केरकर समारोह.
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01 Bhopali.mp3 |
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02 Shankara.mp3 |
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03 Sohoni.mp3 |
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04 Chhayanat.mp3 |
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05 Hameer.mp3 |
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06 Adana.mp3 |
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07 Kaushik Ranjani... |
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08 Tappa Khamaaj.m... |
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09 Salagwarali.mp3 |
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10 Bibhas.mp3 |
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11 Bhairavi Tappa ... |
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