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सर-ए-राह जुछ भी कहा नहीं, कभी उसके घर में गया नहीं
سر - ئی - راہ جچھ بھی کہا نہیں , کبھی اُسکےگھر میں گیا نہین
मैं जनम जनमसे उसीका हूँ, उसे आज तक ये पता नहीं |
میںجنم جنمسےاُسیکا ھوں , اُسےآج تک یہ پتہ نہیں|
ये खुदा की देन अजीब हैं के उसी का नाम नसीब हैं,
یہ کھدا کی دین عجیب ہیں کےاُسی کا نام نسیب ہیں ,
जिसे तुने चाहा वो मिलगया जिसे मैंने चाहा मिला नहीं |
جسےتنےچاہا وہ ملگیا جسےمیںنے چاہا ملا نہیں|
उसे पाके नज़रों से चूमना की इबादतों में शुमार हैं,
اُسےپاکےنزروںسےچومنا کیابعدتوںمیں شمار ہیں ,
कोई फूल लाख करीब हो कभी मैंने उसको छुवा नहीं |
کوئی پھول لاکھ قریب ھو کبھی میںنے اُسکو چھوا نہیں|
इसी शेहेर में कई सालसे मेरे कुछ करीबी अज़ीज़ हैं,
اسی شیہیر میں کئی سالسےمیرےکچھ کریبی اَزیز ہیں ,
उन्नेह मेरी कोई खबर नहीं, मुझे उनका कोई पता नहीं |
اُننیہ میری کوئی خبر نہیں , مجھےاُنکا کوئی پتہ نہیں|
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शायर : बशीर बद्र
شایر : بشیر بدر
फनकार : तलत अज़ीज़
پھنکار : تلت اَجیج
संगीत : तलत अज़ीज़
سنگیت : تلت اَجیج
سر - ئی - راہ جچھ بھی کہا نہیں , کبھی اُسکےگھر میں گیا نہین
मैं जनम जनमसे उसीका हूँ, उसे आज तक ये पता नहीं |
میںجنم جنمسےاُسیکا ھوں , اُسےآج تک یہ پتہ نہیں|
ये खुदा की देन अजीब हैं के उसी का नाम नसीब हैं,
یہ کھدا کی دین عجیب ہیں کےاُسی کا نام نسیب ہیں ,
जिसे तुने चाहा वो मिलगया जिसे मैंने चाहा मिला नहीं |
جسےتنےچاہا وہ ملگیا جسےمیںنے چاہا ملا نہیں|
उसे पाके नज़रों से चूमना की इबादतों में शुमार हैं,
اُسےپاکےنزروںسےچومنا کیابعدتوںمیں شمار ہیں ,
कोई फूल लाख करीब हो कभी मैंने उसको छुवा नहीं |
کوئی پھول لاکھ قریب ھو کبھی میںنے اُسکو چھوا نہیں|
इसी शेहेर में कई सालसे मेरे कुछ करीबी अज़ीज़ हैं,
اسی شیہیر میں کئی سالسےمیرےکچھ کریبی اَزیز ہیں ,
उन्नेह मेरी कोई खबर नहीं, मुझे उनका कोई पता नहीं |
اُننیہ میری کوئی خبر نہیں , مجھےاُنکا کوئی پتہ نہیں|
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शायर : बशीर बद्र
شایر : بشیر بدر
फनकार : तलत अज़ीज़
پھنکار : تلت اَجیج
संगीत : तलत अज़ीज़
سنگیت : تلت اَجیج
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