______________
रात जो तूने दीप बुझाएँ मेरे थे
अश्क जो तारीकी ने छुपायेन मेरे थे
कैफ़-ए-बहाराँ महार-ए-निगारान लुत्फ़-ए-जुनून
मौसम-ए-गुल के महके साए मेरे थे
मेरे थे वो काब जो टुउने च्चीं लिए
गीत जो होंठों पर मुरझाए मेरे थे
आँचल आँचल गेसूउ गेसूउ चमन चमन
सारी कूशब्ुऊ मेरी साए मेरे थे
साहिल साहिल लहरें जिसको धुँधती हैं
माज़ी के वो महके साए मेरे थे
_____________
मिराज-ए-ग़ज़ल
मौसिकार : गुलाम अली
फनकार : आशा भोसले
अश्क जो तारीकी ने छुपायेन मेरे थे
कैफ़-ए-बहाराँ महार-ए-निगारान लुत्फ़-ए-जुनून
मौसम-ए-गुल के महके साए मेरे थे
मेरे थे वो काब जो टुउने च्चीं लिए
गीत जो होंठों पर मुरझाए मेरे थे
आँचल आँचल गेसूउ गेसूउ चमन चमन
सारी कूशब्ुऊ मेरी साए मेरे थे
साहिल साहिल लहरें जिसको धुँधती हैं
माज़ी के वो महके साए मेरे थे
_____________
मिराज-ए-ग़ज़ल
मौसिकार : गुलाम अली
फनकार : आशा भोसले
48 Comments