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जेव्हा तुला मी पाहिले

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जेव्हा तुला मी पाहिले, वळुनी पुन्हा मी पाहिले

काही न आता आठवे, होतो कधी का भेटलो
पटता खुणा या वाद का, होतो कधी का भेटलो ?
या सागराने का कधी होते नदीला पाहिले ?

जाणी तुझे नच नाव मी, प्रीती अनामिक जन्मता
वारा विचारी का फुला, हा गंध आहे कोणता ?
तू ऐस कोणी कामिनी, मी स्वामिनी तुज मानिले !

होऊन एकच चालणे, या दोन वाटा संपती
उंचावते तेथे धरा, आभाळ येई खालती
हरतात दोघेही जिथे, कोणी कुणाला जिंकिले ?
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गीत - वसंत निनावे
संगीत - बाळ बर्वे
स्वर - तलत महमूद

रात तारोँ से जब सवरती हैं


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फनकार : तलत महमूद

ज़िक्र उस परीवश का : ذکر اس پروش کا


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شیر : مرزا گالب
शायर : मिर्ज़ा ग़ालिब
فنکار : طلعت محمود
फंकार : तलत महमूद

तुम जुदा होकर हमें


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तुम जुड़ा होकर हमें कुच्छ और प्यारे हो गये - (२)
पास रहकर गैर थे, एब्ब तो हमारे हो गये

लौट जाने को कहाँ हमने मगर कुच्छ इश्स तरह - (२)
जिंदगी से मौत तक इकरार सारे हो गये - (२)
तुम जुड़ा होकर हमें कुच्छ और प्यारे हो गये

वेस्ल की एब्ब चाँदनी छ्चाए ना छ्चाए घूम नही - (२)
हिजर की रातों में रोशन छ्चांद तारे हो गये
तुम जुड़ा होकर हमें कुच्छ और प्यारे हो गये

प्यार के तूफान में हर मौज साहिल बन गयी - (२)
जिस तरफ देखा किनारें ही किनारें हो गये
तुम जुड़ा होकर हमें कुच्छ और प्यारे हो गये
पास रहकर गैर थे, अब तो हमारे हो गये
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"तेरे बगैर"
शायर : रविंदर क्रिशन
मौसिकार : मदन मोहन
फनकार : तलत महमूद

रंग लाई अब मेरी


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ग़ज़ल, नज़्म या कोई मेरे ज़िंदगी मे तब आई जब हमारे अब्बाजानने ("अर्थात माझे वडील मराटी लेखक श्री. शरद दळवी") ग़ज़लो की एक एल.पि. खरीदली और....
आप सुनिए और पेहचानिये किस का एह सुरीला आवज़ और लुफ्त उठाई ये ग़ज़ल...
और हां.... मेरी उर्दू की ज़ुबान पूरितरह 'पक' नही गई.... अगर ग़लत हैं तो सर आखोपर, माफ़ कीजिए गा...
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گجل , نجم یا کوئی میرےزندگی میں تب آئی جب ھمارےاَبباجاننےگجلو کی ایک ئیل . پ . کھریدلی اور . . . . آپ سنئی اور پیہچانیہ کنکا ئیہ سریلا آوج اور لپھت اُٹھائی یہ گا . . . . اؤر ھاں. . . . میری اُردو کی زبان پورطرح \'پک\' نہی گئی . . . . اگر غلط ہیں تو سر آکھوپر , ماف کیجئی گا . . .