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आँखों में तूफ़ान सा क्यों हैं ?


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सीने में जलन, आँखों में तूफ़ान सा क्यों हैं ?
इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यों हैं ?

दिल हैं तो, धड़कने का बहाना कोई ढूंढें
पत्थर की तरह बेहिसा-ओ-बेजान सा क्यों हैं ?

तनहाई की ये कौनसी, मंझिल हैं रफीकों
ता-हद्द-ए-नजर एक बयाबान सा क्यों हैं ?

क्या कोई नयी बात नजर आती हैं हम में
आईना हमे देख के हैरान सा क्यों हैं ?
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गीतकार : शहरयार
गायक : सुरेश वाडकर
संगीतकार : जयदेव
चित्रपट : गमन - १९७९

आप की याद आती रही रातभर

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आप की याद, आती रही रातभर
चश्मा-ये-नाम मुस्कुराती रही रातभर

रातभर दर्द की शम्मा जलती रही
गम की लाउ तारथराती रही रातभर

बासूरी की सुरीली सुहानी सदा
याद बन बन के आती रही रातभर

याद के चाँद दिल में उतरते रहे
चाँदनी ज़गमगाती रही रातभर

कोई दीवाना गलियों में फिरता रहा
कोई आवाज़ आती रही रातभर
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चित्रपट : गमन
निर्देशक : मुज़फर अली
मौसीकार : जयदेव
फनकार : छाया गांगुली

अजीब सानेहा मुझ पर गुज़र गया यारों


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अजीब सानेहा मुझ पर गुज़र गया यारों
मैं अपने सायँ से कल रात दर गया यारो

हर एक नक़्श तमन्ना का हो गया धुंधला
हर एक ज़कं मेरे दिल का भर गया यारो

भटक रही थी जो कश्ती वो गाक़र-ए-आब हुई
चढ़ा हुआ था जो दरिया उतार गया यारो

वो कौन था वो कहा का था क्या हुआ था उसे
सुना है आज कोई शाकस मार गया यारो
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मौसीकार : जयदेव
फनकार : हरिहरन