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फिर छिडि रात, बात फूलों की

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फिर छिडि रात, बात फूलों की
रात है या बारात फूलों की

फूल के हैं फूल के गजरे
शाम फूलों की, रात फूलों की

आपका साथ-साथ फूलों का
आपकी बात बात फूलों की

फूल खिलते रहेंगे दुनिया में
रोज़ निकलेगी बात फूलों की

नज़रें मिलती हैं जाम मिलते हैं
मिल रही है हयात फूलों की

ये महकती हुई ग़ज़ल मकाडू
जैसे सहारा में रात फूलों की
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स्वर : तलत अज़ीज़ और लता मंगेशकर