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देखना उनका कनखियो से इधर देखा किये
अपनी आहें कम असर का हम असर देखा किये
जो बा-ज़ाहिर हमसे सदियों की मुसाफत पर रहें
हम उन्हें हर गाम अपना हमसफ़र देखा किये
लम्हा-लम्हा वक़्त का सैलाब चढ़ता ही गया
रफ़्ता-रफ़्ता डूबता हम अपना घर देखा किये
कोई क्या जाने के कैसे हम भारी बरसात में
नज़रें आतिश अपने ही दिल का नगर देखा किये
सुन के वो ‘शहज़ाद’ के आसार सर धुनता रहा
थाम कर हम दोनों हाथों से जिगर देखा किये
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शायर : फरहत शेहज़ाद
फनकार : महेंदी हसन
अपनी आहें कम असर का हम असर देखा किये
जो बा-ज़ाहिर हमसे सदियों की मुसाफत पर रहें
हम उन्हें हर गाम अपना हमसफ़र देखा किये
लम्हा-लम्हा वक़्त का सैलाब चढ़ता ही गया
रफ़्ता-रफ़्ता डूबता हम अपना घर देखा किये
कोई क्या जाने के कैसे हम भारी बरसात में
नज़रें आतिश अपने ही दिल का नगर देखा किये
सुन के वो ‘शहज़ाद’ के आसार सर धुनता रहा
थाम कर हम दोनों हाथों से जिगर देखा किये
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शायर : फरहत शेहज़ाद
फनकार : महेंदी हसन
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Shweta Javeri
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21.6.12
6/21/2012 08:34:00 PM
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Raag
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Shweta Javeri
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6/21/2012 06:39:00 PM
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12.6.12
6/12/2012 05:21:00 PM
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अर्धीच रात्र वेडी अर्धी पुरी शहाणी
भोळ्या सदाफुलीची ही रोजची कहाणी
फुलले पुन्हा पुन्हा हा केला गुन्हा जगाचा
ना जाहले कुणाची पत्त्यामधील राणी
येता भरून आले, जाता सरून गेले
नाही हिशेब केले, येतील शाप कानी
आता न सांध्यतारा करणार रे पहारा
फुलणार नाही आता श्वासात मूढ गाणी
शापू तरी कशाला या बेगडी जगाला
मी कागदी फुलांनी भरतेच फूलदाणी
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गीत : विंदा करंदीकर
संगीत : यशवंत देव
स्वर : पद्मजा फेणाणी-जोगळेकर
भोळ्या सदाफुलीची ही रोजची कहाणी
फुलले पुन्हा पुन्हा हा केला गुन्हा जगाचा
ना जाहले कुणाची पत्त्यामधील राणी
येता भरून आले, जाता सरून गेले
नाही हिशेब केले, येतील शाप कानी
आता न सांध्यतारा करणार रे पहारा
फुलणार नाही आता श्वासात मूढ गाणी
शापू तरी कशाला या बेगडी जगाला
मी कागदी फुलांनी भरतेच फूलदाणी
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गीत : विंदा करंदीकर
संगीत : यशवंत देव
स्वर : पद्मजा फेणाणी-जोगळेकर
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Vasantrao Deshpande
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10.6.12
6/10/2012 08:20:00 AM
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थाट - कल्याण
जाती - औधव - सम्पूर्ण
वादी स्वर - ग
संवादी स्वर - नी
समय - श्याम
आरोह - नी़ सा ग म प प नी सां ।
अवरोह - सां नी ध प मे ग, मे ग रे सा ।
पकड - ग मे ग रे सा, सा म ग सा ग मे प ।
जाती - औधव - सम्पूर्ण
वादी स्वर - ग
संवादी स्वर - नी
समय - श्याम
आरोह - नी़ सा ग म प प नी सां ।
अवरोह - सां नी ध प मे ग, मे ग रे सा ।
पकड - ग मे ग रे सा, सा म ग सा ग मे प ।
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6/10/2012 04:19:00 AM
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आज अचानक गाठ पडे
भलत्या वेळी भलत्या मेळी
असता मन भलतीचकडे
नयन वळविता सहज कुठेतरी
एकाएकी तूच पुढे
दचकुनि जागत जीव नीजेतच
क्षणभर अंतरपट उघडे
गूढ खूण तव कळून नाकळून
भांबावुन मागे मुरडे
निसटुनि जाई संधीचा क्षण
सदा असा संकोच नडे
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गीत - आ. रा. देशपांडे 'अनिल'
स्वर/संगीत - पं. कुमार गंधर्व
भलत्या वेळी भलत्या मेळी
असता मन भलतीचकडे
नयन वळविता सहज कुठेतरी
एकाएकी तूच पुढे
दचकुनि जागत जीव नीजेतच
क्षणभर अंतरपट उघडे
गूढ खूण तव कळून नाकळून
भांबावुन मागे मुरडे
निसटुनि जाई संधीचा क्षण
सदा असा संकोच नडे
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गीत - आ. रा. देशपांडे 'अनिल'
स्वर/संगीत - पं. कुमार गंधर्व
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स्वर : उस्ताद पुरन चंद वडाली और उस्ताद लखविंदर वडाली
(Video by R.Swami & Label by Music Waves)
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