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When I first heard ghazals I knew only Pankaj Udaas. But during the time of Marathi Sahitya Sammhelan, on the pave lawn of Kala Academy in Panaji, the chairperson was (at that time) Ranjit Desai. He and his wife, Madhavi Desai, were staying at Hotel Samraat in Panaji. During that period, he noticed that I was hearing the ghazals sung by Pankaj Udaas on my walkman player. He told me to stop it and gave me a different ghazal cassette instead. I realized that my perspective of ghazals voluminously changed and that too entirely. Here is the first that I heard, cherished, enjoyed and shared with all who will love it too, sung and composed by nun other the Ghulaam Ali !!!
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हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं डाला चोरी तो नही की है
ना-तजुर्बाकारी से वाइज़ की ये बातें है
इस रंग को क्या जाने पुउछो तो कभी पी है
उस मई से नहिी.न मतलब दिल जिस से हो बेगाना
मक़सूद है उस मई से दिल ही में जो खिचकी है
वह दिल में की सदमे दो या जी में के सब सह लो
उन का भी अजब दिल है मेरा भी अजब जी है
हर ज़र्रा चमकता हैं अंवार-ए-इलाही से
हर साँस ये कहती हैं हम हैं तो खुदा भी हैं
सूरज में लगे धब्बा फितरत के करिश्मे हैं
बुत हम को कहें काफ़िर अल्लाह की मर्ज़ी हैं
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हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं डाला चोरी तो नही की है
ना-तजुर्बाकारी से वाइज़ की ये बातें है
इस रंग को क्या जाने पुउछो तो कभी पी है
उस मई से नहिी.न मतलब दिल जिस से हो बेगाना
मक़सूद है उस मई से दिल ही में जो खिचकी है
वह दिल में की सदमे दो या जी में के सब सह लो
उन का भी अजब दिल है मेरा भी अजब जी है
हर ज़र्रा चमकता हैं अंवार-ए-इलाही से
हर साँस ये कहती हैं हम हैं तो खुदा भी हैं
सूरज में लगे धब्बा फितरत के करिश्मे हैं
बुत हम को कहें काफ़िर अल्लाह की मर्ज़ी हैं
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शायर : अकबर अल्लहाबादी
फ़नकार: गुलाम अली
फ़नकार: गुलाम अली
July 12, 2010 at 2:23:00 PM GMT+5:30
GM ABHI !! THANKS!!
July 12, 2010 at 2:24:00 PM GMT+5:30
my fav earlier as well along with Jagjit Singh
July 12, 2010 at 2:24:00 PM GMT+5:30
college ke din yad aye.
July 12, 2010 at 2:25:00 PM GMT+5:30
Waah! Wah !! Shukriya Abhi.
July 12, 2010 at 2:26:00 PM GMT+5:30
हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं डाला चोरी तो नही की है... See More
ना-तजुर्बाकारी से वाइज़ की ये बातें है
इस रंग को क्या जाने पुउछो तो कभी पी है
उस मई से नहिी.न मतलब दिल जिस से हो बेगाना
मक़सूद है उस मई से दिल ही में जो खिचकी है
वह दिल में की सदमे दो या जी में के सब सह लो
उन का भी अजब दिल है मेरा भी अजब जी है
हर ज़र्रा चमकता हैं अंवार-ए-इलाही से
हर साँस ये कहती हैं हम हैं तो खुदा भी हैं
सूरज में लगे धब्बा फितरत के करिश्मे हैं
बुत हम को कहें काफ़िर अल्लाह की मर्ज़ी हैं
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शायर : अकबर अल्लहाबादी
फ़नकार: गुलाम अली
July 12, 2010 at 2:26:00 PM GMT+5:30
क्या बात है अभी, अरे मी तर गुलाम अली यांच्यापासूनच गझल्स ऐकण्याची सुरुवात केली रे. कलकत्त्याला असताना त्यांचे अनेक live प्रोग्राम्स ऐकले. तृप्त झालो. डॉ. विनय वाइकरान्चे गझल दर्पण पुस्तक आणून या गझल्स आणि त्यांचा स्वैर अनुवाद तसेच उर्दू शब्द आणि त्यांचे वजन - अभ्यास केला आणि मजा उत्तरोत्तर वाढतच गेली. माझ्या काव्यावर तर या थोड्या उदास शायरीचा परिणाम झाला आहे.
July 12, 2010 at 2:26:00 PM GMT+5:30
sir ji tks for postin this vedio. gullam ali raw n young even he himself is enjiyin
July 12, 2010 at 2:27:00 PM GMT+5:30
ABHI JEET ,.
A,lla zock ki tassdeek hai ,.
SUPERB ,..
July 12, 2010 at 2:28:00 PM GMT+5:30
good morning! mazi khup aawadati gazal aahe,mi kalach post karanar hote...khup dhanyavad!
July 12, 2010 at 2:29:00 PM GMT+5:30
Thanx Abhijeet 4 posting! this is my most favourite gazal of Gulam Ali. I too have his live recording incl this gazal in my collection .
July 12, 2010 at 2:29:00 PM GMT+5:30
love his entusiasm when he sings the teasing parts...unique ghulam ali!...thanks Abhi.
July 12, 2010 at 2:30:00 PM GMT+5:30
madhavi desai yanche nach a ghuma atmacharitra vachale ka?
July 12, 2010 at 2:31:00 PM GMT+5:30
Try to see if you can get an album called Meraz-e-Ghazal by Ghulam Ali and Asha Bhosale . Its a classic
July 12, 2010 at 2:31:00 PM GMT+5:30
Dear Abhijit,
Like you I am also a fan of Gulam Ali,
I have a collection of about 90 odd Gazals by Gulam Ali.
If you are interested I can send the CD to you.
Please forward your address.
July 12, 2010 at 2:32:00 PM GMT+5:30
I too like Ghulam Ali ghazals.....
July 12, 2010 at 2:32:00 PM GMT+5:30
नीकाह मधील 'चुपके चुपके' या गाण्यानंतर गजल चा ट्रेंड बदलला असावा
पंकज उदास, मनहर उदास, अनुप जलोटा यांचे व यासारखे अनेकांचे आल्बम बाजारात दिसू लागले.
July 12, 2010 at 2:33:00 PM GMT+5:30
So evocative.
July 12, 2010 at 2:33:00 PM GMT+5:30
Mast....
July 12, 2010 at 2:34:00 PM GMT+5:30
Wah wah...What a style of Darbari....beautiful notations and lheykari.
July 12, 2010 at 2:34:00 PM GMT+5:30
Thanks for sharing it
July 12, 2010 at 2:34:00 PM GMT+5:30
This is one of best Gazhal which I like.... Thanks for sharing it
July 12, 2010 at 2:35:00 PM GMT+5:30
ह्या आनंदात सहभागी करून दिल्याबद्दल आभारी आहे
July 12, 2010 at 6:17:00 PM GMT+5:30
The ultimate in Gazal singing! Thanks!
May 19, 2011 at 11:25:00 AM GMT+5:30
main teri mast nigah ka baram rakh loonga hosh aaya to keh doonga mujeh hosh naheen!
May 19, 2011 at 11:25:00 AM GMT+5:30
yaadain!!
May 20, 2011 at 9:11:00 PM GMT+5:30
Abhijeet SInce I am in journy and have a limited access to FB, couldnot hear the Gazal, I too treat Gulamalli the best.
August 4, 2011 at 3:54:00 PM GMT+5:30
hangama hai kiyoonbarpa .................?
August 4, 2011 at 3:55:00 PM GMT+5:30
daka to naheen dala chori to naheenkee hai..........!
August 4, 2011 at 3:55:00 PM GMT+5:30
sirf itna kehkar khatm kartee hoonki mujey jeeney do!!
November 27, 2012 at 8:23:00 PM GMT+5:30
My Fav.
November 27, 2012 at 8:23:00 PM GMT+5:30
Was...khup divasani aikayala maza ali
November 27, 2012 at 10:37:00 PM GMT+5:30
One of my all time favorite....
November 28, 2012 at 8:01:00 AM GMT+5:30
yala boltat asli gayaki adaa.