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हो बहुत रात हुई..
थक गया हूं, मुझे सोने दो
हो बहुत रात हुई
चांद से कह दो उतर जाये
बहुत बात हुई -२
थक गया हूं....रात हुई
आशियां के लिये चार तिनके भी थे
आसरे रात के और दिन के भी थे
ढूंढते थे जिसे, वो ज़रा सी ज़मीं
आसमां के तले खो गयी है कहीं
धूप से कह दो उतर जाये, बहुत बात हुई
मैं थक....रात हुई
[ओ मलैय्या, चलो धीरे धीरे (पंचम की आवाज़ में)]
याद आता नहीं अब कोई नाम से
सब घरों के दिये बुझ गये शाम से
वक़्त से कह दो गुज़र जाये, बहुत बात हुई
मैं थक....रात हुई
ज़िन्दगी के सभी रास्ते सर्द हैं
अजनबी रात के अजनबी दर्द हैं
याद से कह दो गुज़र जाये, बहुत बात हुई
मैं थक गया हूं, मुझे सोने दो, बहुत रात हुई
[ओ मलैय्या, चलो धीरे धीरे]
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गीत : थक गया हूं, बहुत रात हुई
फ़िल्म : मुसफ़िर (१९८४)
संगीतकार : आर.डी. बर्मन
गीतकार : गुलज़ार
गायक : किशोर कुमार, आर.डी. बर्मन
September 11, 2010 at 5:00:00 PM GMT+5:30
Nice one kaka.
September 11, 2010 at 5:00:00 PM GMT+5:30
SUPERB
September 11, 2010 at 5:00:00 PM GMT+5:30
durlabhji bahut khub thank you......
September 11, 2010 at 5:01:00 PM GMT+5:30
one of the best of posts DK.Thnaks
September 11, 2010 at 5:01:00 PM GMT+5:30
khup sundar ahe he gane mi donvela aikale...........!
September 11, 2010 at 5:02:00 PM GMT+5:30
phar chhan ahe he kaka
September 11, 2010 at 5:02:00 PM GMT+5:30
kharach khup han aahe heeeee...
APRATIM
September 11, 2010 at 5:02:00 PM GMT+5:30
he is very beautiful
October 9, 2012 at 8:54:00 AM GMT+5:30
good see the sea coast agian..